माघ पूर्णिमा का महत्व और इसे मनाने के पीछे का कारण

इस पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा कहते हैं। कहा जाता है कि माघ के महीने में किया गया दान-पुण्य का काम हमेशा शुभ फल देता है। माघ पूर्णिमा पर सभी देवी-देवता पृथ्वी लोक पर आते हैं।

हिंदू धर्म में जितने देवी-देवता हैं, उससे ज़्यादा यहां त्योहार मनाएजातेहैं।फरवरी को हिन्दू धर्म कैलेंडर केअनुसार माघकामहीना कहा जाता हैऔर इसमहीनेकोहिन्दूओंमें एक विशेष त्योहार केरूप में मनाया जाता है।इसमहीने में आने वाली पूर्णिमा काभी अपना विशेष महत्व है।इसपूर्णिमा को माघपूर्णिमा कहते हैं।कहाजाता है कि माघकेमहीने में किया गया दान-पुण्य का काम हमेशा शुभ फल देता है। माघ पूर्णिमा पर सभी देवी-देवता पृथ्वी लोक पर आते हैं औरधार्मिक नदियों में स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस मास यामहीने में तीन बार स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल की मिलता है।पूरे महीने का माघ स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सुख-सौभाग्य से जीवन भरदेतेहैं।वहींमाघ पूर्णिमा केदिन धार्मिक नदियों में स्नान करने से शरीर केसारे रोगदूर होते हैं और समाज में सम्मान मिलता है।

धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है किअगर हममाघ पूर्णिमा के दिन प्रयाग के संगम में स्नान करते हैं तो हमें भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।सच्ची आस्था रखने वाले व्यक्ति कोभगवान वासुदेव की कृपा से सुख, सौभाग्य, धन, संतान की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष भी मिल जाता है।व्यक्ति जन्म और मरण के चक्र से आज़ाद होकर भगवान केचरणों में जगहबना लेताहै।माना जाता है कि इस दौरान भगवान सूर्य की पूजा की जाती है,धर्म यज्ञऔरअनुष्ठान किए जाते हैं। कल्पवास (एक ऐसा उपवास जिसमें व्यक्ति संसारिक सुखों को त्यागकर सादाजीवन जीता है) दान के साथ पूरा होता है। इस दौरान कल्पवास करने वाला श्रद्धालु दान केरूप में ब्राह्मणों को बिस्तर समेत खान-पान की चीजें दान करता हैऔर अपने इसव्रतकोखत्म करके, भगवान काआशीर्वाद लेताहै।चलिए माघपूर्णिमा औरमाघकेमहीने में लगने वाले मेले के बारे में और भी बातें जानते हैं।

माघ मेलाहै बहुत ही अनूठा (Magh Mela hai bahut hi anootha)

इलाहाबादअपने बदले हुए नामप्रयागराज से जाना जाता है, जो भारत के सभी पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। प्रयाग का माघ मेला विश्व का सबसे बड़ा मेला है। हर वर्ष त्रिमोहिनी संगम पर एक अद्भुत सुंदर मेला, माघ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर लगता है।बिहार के कई जिलों सेऔर नेपाल से भी हज़ारों श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा स्नान के लिए त्रिमोहिनी संगम नदी पर पहुंचती है।

बात करें माघ मेले की मान्यताओं की तो इसके लिए कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के मुताबिक कहा जाता है कि माघ में भगवान ब्रह्मा ने इस सारे ब्रह्मांड की रचना की थी। कहा जाता है कि ये रचना माघमहीने में हुई थी, इसलिए इस महीने को त्योहार के तौर पर मनाया जाता है।प्रयागराज और यहां होने वाले माघ मेले का बहुत महत्व है। ये तो सभी जानते हैं कि प्रयागराज को संगम नगरी भी कहा जाता है, क्योंकि यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां आपस में मिलती हैं। हिंदू रीति रिवाजों और मान्यताओं के मुताबिक तीनों ही नदियां धार्मिक महत्व रखती हैं। इसके अलावा प्रयागराज को तीर्थों का राजा भी कहा जाता है। इसलिए यहां माघ मेले का खास महत्व है। माना जाता है कि नागा साधुओं के शाही स्नान के बाद हीअन्य सभी भक्त जनस्नान करते हैऔर मेले काआरंभ होता है।

माघपूर्णिमा क्यों मानीजाती है इतनी खास? (Magh Purnima kyun mani jati hai itni khas?)

माघ पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस दिन स्नान दान और जप करना शुभऔर फलदायी रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन माघ पूर्णिमा व्रत रखा जाता है। इस विशेष दिन पर पवित्र नदियों में स्नान दान और पूजा पाठ से भी भक्तों को विशेष लाभ मिलता हैऔर उनके जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 27 नक्षत्रों में एक माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति हुई है। माघ पूर्णिमा के महत्व के बारे में पौराणिक ग्रंथों मेंलिखा मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु और हनुमान जी की विशेष रुप से पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, ऐसीहिंदू मान्यता है। इसके साथ ही श्रृद्धालु येभी मानते हैं कि इस दिन गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से दान पुण्य मिलता है।शास्त्रों के अनुसार इस दिन चन्द्रदेव अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करते हैं। होली से एक महीने पूर्व इसमाघ पूर्णिमा पर ही होली रखने कीशुरुआत होती है।इसलिए इसे होलिका डांडा रोपणी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

कबहै माघपूर्णिमा? (Kab hai Magh Purnima?)

माघ पूर्णिमा का व्रत 23 फरवरी 2024 को शाम 3 बजकर 36 मिनट पर पूर्णिमा पर शुरूहोगा। 24 फरवरी को शाम 6 बजकर 3 मिनट तकयह व्रत रहेगा।

माघमहीने की शुरुआत (Magh Mahine ki shuruaat)

हिंदू कैलेंडर का 11वां महीना ‘माघ मास’ 26 जनवरी से शुरू हो रहा है। इसकी समाप्ति 24 फरवरी 2024 को होगी। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में पूजा-पाठ, स्नान-दान, व्रत, जप, साधना, अनुष्ठान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। माघ महीने में गंगा स्नान करने सेबहुत अच्छे फल मिलते हैं।

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