आग की खोज का इतिहास में बहुत ज्यादा महत्व है। दो पत्थरों को रगड़ने के लिए प्रेरित करने वाली चीज़ ने हमारी दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया। आदिमानव उत्तरजीवी, शिकारी और संग्रहकर्ता थे। वे हर दिन खतरनाक मांसाहारी जानवरों को दूर भगाते और अंधेरे से संघर्ष करते थे। इन सब मुश्किलों के बीच आग उनके लिए वरदान साबित हुई। इसने उनमें प्रकृति से बढ़कर होने की भावना पैदा की, जैसा किसी और चीज़ ने नहीं किया था। आग (Holy fire) डराने वाली, हाथ-पांव फुला देने वाली और यहां तक कि सम्मोहित करने वाली भी रही होगी, लेकिन आदिमानव ने इसे नियंत्रित करने और रोज़मर्रा के जीवन में इस्तेमाल करने का हुनर सीख लिया।
आज सैकड़ों वर्षों के बाद भी आग (Holy fire) का वही प्रभाव है। हम इसे कभी भी और कहीं भी माचिस की तीली या लाइटर से जला सकते हैं और उतनी ही आसानी से बुझा भी सकते हैं। यह हमारे अस्तित्व का एक ऐसा हिस्सा है, जिसे हमसे अलग नहीं किया जा सकता। आग की खोज ने इतिहास की धारा को ही बदल दिया। इसने इंसानों के साथ-साथ उनकी आध्यात्मिक यात्रा को भी प्रभावित किया। जैसे-जैसे मानव जाति विकसित हुई, इसे सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण स्थान मिला। हमारे जीवन में आग का महत्व इस तथ्य से जाहिर होता है कि कई संस्कृतियों में इसकी पूजा की जाती है।
अग्नि देवता की पूजा (Agni Devta ki pooja)
हिंदू धर्म में अग्नि देवता (Holy fire) के रूप में आग की पूजा होती है। इसे शक्तिशाली माना जाता है, जो नश्वर क्षेत्र में रहने वाले अमर हैं। उन्हें आमतौर पर एक लाल व्यक्ति के रूप में बताया जाता है, जिसकी काली आंखें, 7 हाथ और 3 पैर हैं। जो पैर फैला कर घोड़े पर सवार हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब वह पैदा हुए थे, तब उन्होंने अपने माता-पिता को निगल लिया था। इस क्रिया को उनके द्वारा बनाई गई एक ही आग से दो छड़ियों के भस्म होने का प्रतीक माना जाता है।
हिंदू धर्म में अग्नि (Holy fire) लगभग हर प्रमुख अनुष्ठान का केंद्र है, फिर चाहे वह शादी हो या अंतिम संस्कार। देवताओं के यज्ञ वाली अग्नि का मुंह पूर्व की ओर होना चाहिए, जबकि खाना पकाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली आग का मुंह पश्चिम की ओर। वहीं, अगर आत्माओं को बलि देना चाहते हैं, तो अग्नि का मुख दक्षिण की ओर होना चाहिए।
लौ के रखवाले
पारसी धर्म में भी अग्नि (होली फायर) की पूजा होती है। पारसी इसे सूर्य का पुत्र कहते हैं। उनके देवता अहुरा मज्दा को निराकार कहा जाता है। पारसी धर्म में अग्नि को एक भौतिक चीज़ से ज्यादा पवित्र प्रतीक के रूप में माना गया है। इसका उल्लेख धार्मिक किताब अवेस्ता में मिलता है। अग्नि मंदिर या अगियारी वह जगह है, जहां पवित्र अग्नि (Holy fire) जलती है। जो बात इस अग्नि को खास बनाती है, वह यह कि इसे हमेशा जलना पड़ता है।
ज़हन्नुम की आग
कुछ धर्मों में बिना आग के नरक की कल्पना नहीं की जाती है। शायद आस्तिक लोगों के काम को नियंत्रण में रखने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसे इस्लाम में ज़हन्नुम कहा जाता है। जहां पापी अनंत काल के लिए जहीम नाम की आग में जलते रहते हैं।
पवित्र भूत
ईसाई धर्म में आग (होली फायर) मोमबत्ती की लौ के रूप में प्रकट होती है, जो प्रकाश और शुद्धि का प्रतीक है। इसे आमतौर पर पवित्र आत्मा के बराबर माना जाता है। पवित्र त्रिमूर्ति में से इसे नरक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। बाइबल में नरक को अनंत काल के लिए सजा की ऐसी जगह बताया गया है, जहां आग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बाइबल में इसे अनंत आग, आग की झील, आग की भट्टी, आग का फैसला, न बुझने वाली आग और नरक की आग के रूप में बताया गया है।
जलती हुई झाड़ी
यहूदियों की पवित्र किताब निर्गमन में परमेश्वर मूसा से आग (होली फायर) में घिरी झाड़ी से बात करते हैं। कहानी के अनुसार होरेब पर्वत पर एक झाड़ी को जलता हुआ देख मूसा उसके पास जाते हैं। वह देखते हैं कि आग लगने पर भी झाड़ी को कोई नुकसान नहीं हुआ। यह देखकर परमेश्वर मूसा को मिस्र से यहूदियों का नेतृत्व करने के लिए चुनते हैं। किताब में एक ‘देवदूत’ के बारे में भी बताया गया है, जिसे परमेश्वर यहूदियों के पलायन के दौरान उनकी मदद के लिए भेजते हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवदूत दिन में बादल का खंभा और रात में रोशनी के लिए आग (होली फायर) के खंभे के तौर पर उनका मार्गदर्शन करते हैं।
आग की सर्वोच्चता
आदिकाल से आग कई अवधारणाओं का प्रतीक रही है। उदाहरण के लिए रसायन विद्या और खाना पकाने की प्रक्रिया बदलाव का प्रतिनिधित्व करती हैं। अशुद्धियों को जलाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख तत्वों में से एक होने की वजह से अग्नि को पवित्रता के प्रतीक के रूप में माना जाता है। साथ ही इसे जीवन को पोषित करने वाले प्रकाश का भी प्रतीक माना जाता है। हमें किसी अनजान से बचाने के लिए इसकी जरूरत नहीं है, फिर भी यह हमारे लिए लड़ती है। यह हमेशा गति में रहती है और इसकी लौ रास्ते में आने वाली हर चीज को खा जाती है।
हमारी सभी सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं में अग्नि का महत्वपूर्ण स्थान है। एक तत्व और ईश्वर की अभिव्यक्ति के रूप में कोई इसकी जगह नहीं ले सकता। हम भी यह जानते हैं और पूरी तरह से मानते हैं कि आग के बिना कोई जीवन नहीं होगा।