काली बिल्ली

क्या काली बिल्ली खुद का ही रास्ता काट गई?

बात जब काली बिल्ली की आती है, तो यह मामला अंधविश्वास से जुड़ जाता है।

इतिहास में एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हें देवी और देवताओं की तरह पूजा जाता था। वक्त ने उन्हें एक ऐसे अंधविश्वास से कलंकित कर दिया कि उन्हें अपशगुन माना जाने लगा। कुछ लोगों को लगेगा कि उन्हें पूज्य बताना राई का पहाड़ बनाने जैसा होगा, परंतु बिल्ली पालने वालों का मानना है कि बिल्ली अब भी उस वक्त को नहीं भूली है जब उसे पूज्य और शुभ माना जाता था।

आज भी बाकी सभी बिल्लियां तो अच्छा जीवन जीती हैं, लेकिन बात जब काली बिल्ली (Black Cat) की आती है तो यह मामला अंधविश्वास से जुड़ जाता है। सारी दुनिया में ब्लैक कैट के रास्ता काटते ही (बुरी बला से बचने के लिए) या तो लोग अपने हाथ का काम छोड़ देते हैं या फिर उल्टे पैर लौट जाते हैं। ऐसे में यह सोचना तो बनता ही है कि आखिर काली बिल्ली को लेकर यह अंधविश्वास कब शुरू हुआ? कब उन्हें पूज्य की बजाय अशुभ और अपशगुन माना जाने लगा।

बिल्लियों को प्राप्त था काफी सम्मान (Billiyon ko prapt tha kafi samman)

प्राचीन मिस्त्र में बिल्लियों को काफी सम्मान प्राप्त था। नागरिकों का मानना था कि देवता किसी भी जानवर का रूप लेकर प्रकट हो सकते हैं, लेकिन देवी हमेशा बिल्ली के ही मुंह या ऊपरी हिस्से के रूप में दिखाई देंगी। यह मान्यता थी कि वे बिल्ली का पालन-पोषण करके इस देवी की कृपा के पात्र बनेंगे और बुराई उनसे दूर रहेगी। बिल्ली को क्षति पहुंचाना अपराध समझा जाता था। इसी वजह से बिल्ली का विशेष ध्यान रखा जाता था। कुछ मामलों में तो मृत्यु के बाद उन्हें ममी बनाकर भी संरक्षित रखा जाता था।

बिल्ली की यह शानदार ज़िंदगी हर संस्कृति का हिस्सा थी। ‘बास्ट’ (बिल्ली जैसा मुख या ऊपरी भाग) को यूनान में ऐल्यूरोस के नाम से पहचाना जाता था। नॉर्स (नॉव्रे) में प्रेम और प्रजनन की देवी फ्रीजा के शानदार रथ को दो विशाल बिल्लियां खींचती थी। देवी की पूजा करने वाले किसान अच्छी फसल पाने के लिए इन बिल्लियों को अच्छा भोजन उपलब्ध करवाते थे।

मान्यता है कि ईसाई धर्म में टॅबी बिल्ली के माथे पर जो चिह्न् अंकित हैं वह मदर मेरी का आशीर्वाद है।

यह आशीर्वाद उन्होंने बिल्ली को बेबी प्रभु यीशु के साथ खेलते हुए देखने के बाद दिया था। दूसरी ओर हिंदू मान्यताओं में बिल्ली का उल्लेख सिर्फ एक ग्रामीण देवी षष्ठी से जुड़ा है, जिसे बच्चों का दान दाता और संरक्षक माना जाता है। षष्ठी देवी बिल्ली की सवारी करती हैं।

इसके अलावा भी और मान्यताएं हैं, जिसमें बिल्ली को पूज्य माना जाता है और उनका संबंध सीधे देवी-देवताओं से जोड़ा जाता है।

काली बिल्ली से जुड़ी मिथक की शुरुआत (Kali billi se judi mithak ki shuruat)

विभिन्न संस्कृतियों में बिल्ली से जुड़ी कथाएं सुनने को मिलती हैं, लेकिन ब्लैक कैट से जुड़ा मिथक प्राचीन मिस्त्र के समय से संबंधित है। वहां काली बिल्ली को शुभ और अशुभ दोनों ही माना जाता है। कहते हैं कि जब किंग चार्ल्स प्रथम की काली बिल्ली की मृत्यु हुई तो अगले ही दिन उन्हें देशद्रोह के लिए गिरफ्तार कर लिया गया। उसी वक्त से लोग यह मानने लगे कि यह जानवर उनके लिए अशुभ थी।

इस घटना के बाद से ही ब्लैक कैट को यूरोप में डायन के समकक्ष समझा जाने लगा। मध्य युग में यह अंधविश्वास इतना फैला कि लोग ब्लैक कैट की हत्या करने लगे।

शुभ बात

दुनिया के विभिन्न हिस्सों की मान्यता के अनुसार बिल्ली को शुभ या अशुभ माना जाता है। स्कॉटलैंड में ब्लैक कैट का आगमन संपन्नता की आहट है, जबकि इंग्लैंड में विवाह योग्य युवती के लिए अच्छे घर से रिश्ता आने का संकेत है। 18वीं और 19वीं शताब्दी के नाविक मानते थे कि यदि ये आपकी ओर आएगी तो भाग्य लेकर और आपसे दूर जाएगी तो अपने साथ भाग्य भी ले जाएगी।

दुर्भाग्य से इन मिथकों की वजह से ही 21वीं सदी में भी लोग काली बिल्ली को पालने से परहेज करते हैं। सदियों से चले आ रहे मिथक को टूटने में अभी समय लगेगा। रही बात अंधविश्वास की तो याद रखिए, बिल्ली अगर आपका रास्ता काटती है तो यह दुर्भाग्य का संकेत नहीं है, बल्कि बिल्ली को उस दिशा में ही जाना है जहां वह जा रही है।

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