देश भर में कितने तरह से मनाते हैं जन्माष्टमी और क्या है कारण?

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इसके कारण जन्माष्टमी का काफी ज़्यादा महत्व है। भगवान कृष्ण की कृपा के लिए लोग इस दिन व्रत करते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं।

जन्माष्टमी का त्योहार आस्था, खुशहाली और उल्लास का प्रतीक है। श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार के कई रूप हैं, पूरे भारत देश में ये एक त्योहार कई अलग-अलग रूप में नज़र आता है। कहीं दही हांडी, तो कहीं जागरण, कहीं रंगोली तो कहीं महापूजा। श्री कृष्ण की लीलाओं के जितने रंग हैं, उतने ही जन्माष्टमी के भी हैं।

हर त्योहार अपने साथ खुशियों और उत्साह की बौछार लेकर आता है। इस बार की जन्माष्टमी भी कुछ ऐसी होगी, अगर आप भी इसे पूरे दिल से मनाएं। लेकिन, क्या आप जानते हैं भारत के अलग-अलग राज्यों में जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है। तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको भगवान कृष्ण के बारे में बताते हैं, साथ ही जन्माष्टमी क्यों और कितने तरह से मनाई जाती है, इसके बारे में भी बताते हैं।

जन्माष्टमी का महत्व (Janmashtami ka mahtv)

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इसके कारण जन्माष्टमी का काफी ज़्यादा महत्व है। भगवान कृष्ण की कृपा के लिए लोग इस दिन व्रत करते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं। साथ ही मंदिरों को बहुत ही अच्छी तरह से सजाया जाता है। कुछ जगहों पर इस दिन दही-हांडी का भी आयोजन किया जाता है और विशेष पूजा-पाठ किया जाता है।

जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को लगते हैं 56 भोग (Janmashtami ke din Bhagwan Krishna ko lagte hain 56 bhog)

जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान कृष्ण की विशेष पूजा के दौरान उन्हें 56 तरह की खाने की चीज़ें चढ़ाई जाती हैं, जिसे व्रत के पूरा होने के बाद लोगों के बीच प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है। पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि इसमें भगवान कृष्ण के पसंदीदा पकवानों को शामिल किया जाना चाहिए।  

जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? (Janmashtmi kyun manai jaati hai?)

हिंदू धर्म में जन्माष्टमी पर्व का बहुत ही खास महत्व है। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्तों की भीड़ मंदिरों में लगी रहती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में हुआ था। कहा जाता है धरती को कंस के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए भगवान विष्णु, कृष्ण के रूप में धरती पर अवतरित हुए थे। इसी मान्यता के अनुसार हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की कृष्ण अष्टमी को जन्माष्टमी मनाई जाती है।

भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में जन्माष्टमी का त्योहार (Bharat ke alag-alag kshetron mein Janmashtmi ka tyohar) 

मथुरा-वृंदावन (Mathura-Vrindavan) 

मथुरा-वृंदावन उत्तर प्रदेश में स्थित है। यहां मुख्य रूप से भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। ये दोनों जगह बाल लीलाओं का प्रमुख सेंटर है। जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर यहां विशेष उत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की झांकियां निकाली जाती हैं और अलग-अलग मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है। वहीं, विशेष पूजा का भी आयोजन किया जाता है। जन्माष्टमी के अवसर पर यहां देश-विदेश से लोग पहुंचते हैं। 

द्वारका (Dwarka)

द्वारका को श्री कृष्ण ने बसाया था। इसलिए द्वारका को भगवान कृष्ण की नगरी भी कहा जाता है और भगवान कृष्ण को द्वारिकाधीश कहा जाता है। जन्माष्टमी के अवसर पर यहां के मंदिर को फूलों और अलग-अलग चीज़ों से सजाया जाता है। भगवान की मूर्ति पर सोने के आभूषण अर्पित किए जाते हैं। वहीं, जन्माष्टमी के अवसर पर पूरे गुजरात की महिलाएं घर का कोई भी काम नहीं करती हैं और सिर्फ ताश खेलती हैं। इस दिन गुजरात में दही-हांडी की तरह ही मक्खन हांडी उत्सव मनाया जाता है। 

उडुपी (Udupi) 

उडुपी कर्नाटक में स्थित है। यहां भगवान श्री कृष्ण को समर्पित श्री कृष्ण मठ है। यहां जन्माष्टमी के मौके पर मठ को बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है। साथ ही साथ भगवान कृष्ण के बाल रूप को भी बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया जाता है। इसके अलावा यहां जन्माष्टमी के अवसर पर बाल लीलाओं का प्रदर्शन भी होता है, जिसमें भगवान कृष्ण के बचपन के रूपों को दिखाया जाता है। 

महाराष्ट्र (Maharashtra) 

महाराष्ट्र में जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यहां इस पर्व की चारों ओर धूम रहती है, लोग अलग-अलग तरीके से इसे सेलिब्रेट करते हैं। यहां सड़कों पर मटके में छाछ भरकर दही-हांडी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं, विशेष पूजा-अर्चना भी की जाती है।

इसके अलावा भी भारत के अलग-अलग क्षेत्र में खास तरह से श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। जैसे साउथ इंडिया में लोग अपने घरों के गेट पर सुंदर रंगोली बनाते हैं। यह रंगोली चावल के पाउडर और कलरफुल रंगों से बनाई जाती है। 

इस आर्टिकल में हमने जन्माष्टमी के बारे में बताया और इसके महत्व से भी आपको रूबरू करवाया। साथ ही भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में किस तरह से जन्माष्टमी मनाई जाती है, इसके बारे में जानकारी दी। 

इसी तरह की और भी जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी। आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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