आज के ज़माने में क्यों ज़रूरी है आत्म-जागरूकता, जानें इसके प्रकार

आज के ज़माने में क्यों ज़रूरी है आत्म-जागरूकता, जानें इसके प्रकार

आत्म-जागरूकता खुद के विचारों, भावनाओं और व्यवहार को समझने का सबसे बढ़िया तरीका है। इससे मेंटल हेल्थ भी सही रहता है। साथ ही मेंटल अवेयरनेस को भी सही रखा जा सकता है। इसलिए आत्म-जागरूक होना बहुत ही ज़रूरी है।

जीवन में आगे बढ़ने के लिए आत्म-जागरूकता (Self-Awareness) बहुत ही ज़रूरी है। इससे हमें अपने अंदर की क्षमता के बारे में पता चलता है। साथ ही हमारा विश्वास भी अपने ऊपर काफी बढ़ जाता है। यह हमें अपने निर्णय के बारे में जागरूक होने भी मदद करता है। इसके अलावा इससे हमें अपने रिश्ते सुधारने में भी हेल्प मिलती है।आत्म-जागरूकता खुद के विचारों, भावनाओं और व्यवहार को समझने का सबसे बढ़िया तरीका है। इससे मेंटल हेल्थ भी सही रहता है। साथ ही मेंटल अवेयरनेस को भी सही रखा जा सकता है। इसलिए आत्म-जागरूक होना बहुत ही ज़रूरी है।

आत्म-जागरूकता आपको आपकी सच्चाई से भी रूबरू रखती है कि आप कौन हैं और क्या हैं। आत्म-जागरूक होने का ये भी मतलब नहीं है कि आप अपनी हर भावानाओं को समझें हीं बल्कि इसका मतलब यह है कि आप अपने अनुभव के बारे में सोचते-विचारते रहें। इससे आपको आगे बढ़ने में काफी मदद मिलेगी।

तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं कि आज के ज़माने में आत्म-जागरूकता इतनी ज़रूरी क्यों है। साथ ही इस आर्टिकल में हम कुछ तरीके भी बताएंगे कि कैसे आप आत्म-जागरूकता बढ़ा सकते हैं।

आत्म-जागरूकता क्यों है ज़रूरी?(Aatm jagrukta kyun hai jaruri?)

आज के समय में जिस तरह से कॉम्पिटीशन का दौर है, ऐसे में आत्म-जागरूकता अपनी स्किल्स को बेहतर करने के लिए और बेस्ट करियर ऑप्शन चुनने के लिए बहुत ही ज़रूरी है। आत्म-जागरूक होकर हम अपने कार्यों को बेहतर तरीके से करते हैं। इससे हमें सही डिसीजन लेने में काफी मदद मिलती है। आत्म-जागरूक होने के लिए ज़रूरी है कि आप खुद से क्या बात करते हैं, इसको मॉनिटर करें। इससे आप सही और गलत के बीच अंतर कर पाएंगे।

साथ ही आज के दौर में किसी भी रिश्ते को भी सही तरीके से चलाने के लिए भी आत्म-जागरूक होना बहुत ज़रूरी है। इससे हम अपने अंदर चल रही भावनाओं को सही तरह से समझ पाते हैं और उसे सामने वाले लोगों को सही तरीके से समझा पाते हैं। इससे रिश्तों को निभाने में हमें काफी मदद मिलती है। हम अगर सेल्फ अवेयर रहते हैं, तो हमें कम से कम नुकसान का सामना पड़ता है।

आत्म-जागरूकता के प्रकार (Aatm jagrukta ke prakar)

इंट्रापर्सनल सेल्फ अवेयरनेस (Intrapersonal Self Awareness)

आत्म-जागरूकता के प्रकार में इंट्रापर्सनल सेल्फ अवेयरनेस का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। इसके तहत हम खुद की पर्सनैलिटी, ताकत, कमजोरी, मोटिवेशन, इमोशन्स के बारे में समझते हैं। इससे हम खुद को अच्छी तरह से डेवलप कर पाते हैं, जिसका असर हमारे काम में दिखता है। इससे हम खुद से खुद के बारे में फीडबैक ले सकते हैं। इससे हमें पर्सनल लाइफ में काफी फायदा होता है।

इंटरपर्सनल सेल्फ अवेयरनेस (Interpersonal Self Awareness)

इंटरपर्सनलसेल्फ अवेयरनेस का मतलब है कि अगर आप दूसरे लोगों से बात करते हैं, तो उसे किस तरह से लेते हैं और कितनी अच्छी तरह से समझ पाते हैं। इंटरपर्सनल सेल्फ अवेयरनेस से आपको यह भी समझने में मदद मिलती है कि आप जिससे बात कर रहे हैं या फिर जो आपके सामने है वो आपकी बातों को किस तरह से ले रहा है, सामने वाला इंसान आपके बारे में क्या सोच रहा है। व्यक्ति के अंदर इंटरपर्सनल सेल्फ अवेयरनेस रहने  से रिश्तों  को मजबूत करने में काफी मदद मिलती है।

बिहेवियर सेल्फ अवेयरनेस (Behaviour Self Awareness)

बिहेवियर सेल्फ अवेयरनेस खासतौर पर काम करने और आपकी आदतों की समझ पर फोकस करता है। इसके तहत आप हर दिन कौन से पैटर्न को दोहराते हैं, ऐसा क्या है, जो आपको कुछ भी करने के लिए मोटिवेट करता है, इन चीज़ों को समझने में मदद मिलती है। इससे आप खुद को काफी बेहतर ढंग से जान पाते हैं और अपनी कमियों और खूबियों पर काम भी कर पाते हैं।

इमोशनल सेल्फ अवेयरनेस (Emotional Self Awareness)

इमोशनल रूप से आत्म-जागरूक होने पर हम अपनी भावनाओं को बहुत ही अच्छी तरह से समझ पाते हैं। हम जान पाते हैं कि हमारा जो इमोशन है, वो किस तरह से हमें प्रभावित कर रहा है। कुछ भी होने पर हम किस तरह से रियेक्ट कर रहे हैं और इसका क्या प्रभाव होगा। इमोशनली सेल्फ अवेयर होने पर हम  किसी भी परिस्थिति के लिए भावनात्मक रूप से पहले ही तैयार होते हैं और सही ढंग से प्रतिक्रिया दे पाते हैं।

आत्म-जागरूकता बढ़ाने के कुछ तरीके (Aatm jagrukta badhane ke kuch tareeke)

अगर आप आत्म-जागरूक नहीं हैं तो आप कुछ तरीकों से इसे अपने अंदर विकसित कर सकते हैं। आइए देखते हैं किन तरीकों से आप अपने अंदर सेल्फ-अवेयरनेस को बढ़ा सकते हैं।

फीडबैक लें

अपने आप को निष्पक्ष रखना बहुत ही मुश्किल होता है। अपने काम के बारे में भी खुद सही मुल्यांकन कर पाना परेशानी वाला काम होता है। इसलिए दूसरों से फीडबैक लें। इससे हम अपनी ताकत और कमजोरियों के बारे में ज़्यादा अच्छे तरीके से जान पाते हैं। अपने बारे में उन लोगों से पूछें, जो आपको सही तरीके से जानते हों। इससे आपको अधिक आत्म-जागरूक बनने में मद मिलेगी। साथ ही आपके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आएगा। हालांकि, इस दौरान यह ध्यान रखें कि खुद पर विश्वास कम न हो। हर  हालात में खुद पर विश्वास कायम रखना बहुत ज़रूरी होता है।

खुद से खुद की देखभाल का अभ्यास करें

अपने आप से खुद की देखभाल करना बहुत ज़रूरी है। इससे आप आत्म जागरूक तो होते ही हैं, साथ ही आपको अपने शारीरिक स्वास्थ्य और मेंटल हेल्थ की भी बेहतर जानकारी होती है। बेहतर जानकारी होने पर आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर रखने की अधिक कोशिश कर सकते हैं। खुद से खुद की देखभाल करने से आप अपना बेहतर ख्याल रख पाते हैं। यही नहीं बल्कि इससे आप आत्म-निर्भर भी बनते हैं। इससे आपको खुद से निर्णय लेने में भी परेशानी नहीं होगी।

आत्म-चिंतन का अभ्यास करें

अपने अनुभवों के बारे में आत्म-जागरूक होने पर आपकी समझ डेवलप होती है। अपने व्यवहार, विचार और भावनाओं के बारे में सही से समझने से काफी फायदा होता है। इससे खुद में काफी सुधार होता है। साथ ही रणनीति विकसित करते में भी काफी मदद मिलती है। इससे हम अपने कार्यों को बेहतर तरीके से कर पाते हैं। ज़िंदगी में सुकून और सही निर्णय लेने के लिए आत्म-चिंतन बहुत ही ज़रूरी है।

सकारात्मक लोगों से करें दोस्ती

आत्म-जागरूक होने के लिए पॉजिटिव रहना बहुत ज़रूरी है। आप जब पॉजिटिव रहेंगे, तभी ही किसी भी चीज़के बारे में सही तरीके से सोच पाएंगे और उसे पूरा कर पाएंगे। वहीं, ज़िंदगी में सकारात्मक रहने के लिए पॉजिटिव लोगों के साथ रहना भी बहुत ज़रूरी है। इसलिए जब भी दोस्ती करें, तो इस बात का खास ध्यान रखें कि आप सकारात्मक लोगों से ही दोस्ती करें। इससे आपको जीवन में आगे बढ़ने में काफी मदद मिलेगी।

इस आर्टिकल में हमने आत्म-जागरूकताक्या है इसके बारे में बताया। साथ ही हमने के इसके मायने भी बताएं। इसी तरह के और भी ज्ञानवर्द्धक आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी से जुड़े रहें।

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