जिंदगी में बदलाव, बदलाव

समग्र खुशहाली: इन 19 छोटे उपायों से ज़िंदगी में लाएं बड़ा बदलाव

आपने अक्सर लोगों से कहते हुए सुना होगा कि स्वस्थ रहने के लिए जीवन में समग्र खुशहाली ज़रूरी है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि ये 'समग्र खुशहाली यानी हॉलिस्टिक वेल्बीइंग' क्या चीज़ होती है। सोलवेदा समग्र खुशहाली लाने के कुछ छोटे-छोटे उपायों के बारे में बताने जा रहा है, जो अनिवार्य रूप से ज़रूरी हैं, ताकि आपकी ज़िंदगी में बदलाव आ सके।

हर इंसान अपनी ज़िंदगी में चाहता है कि कुछ-न-कुछ बेहतर और बदलाव (Shift) हो। आपको बहुत कम ही लोग मिलेंगे, जिनकी अपनी कोई ख्वाहिश नहीं होती है। हर कोई चाहता है कि वह शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रहे, दिखने में हमेशा जवां और एक अच्छी-खासी नौकरी हो, जिसके लिए आपके दोस्त भी आपसे ईर्ष्या रखते हैं। साथ ही आपके पास अच्छा-खासा बैंक बैलेंस हो, इतनी हवाई यात्रा करने का मौका मिले कि पायलट भी आपके सामने फीका पड़ जाए, शादी के बाद आपको स्वर्ग जैसी अनुभूति हो, लोगों से आपके रिश्ते काफी मधुर रहे, अच्छी जीवन संगिनी हो, एक खुशहाल परिवार, आपकी सोच हमेशा सकारात्मक रहे, आंतरिक खुशी की अनुभूति मिले और इंस्टाग्राम पर आपकी अच्छी-खासी फैन फॉलोइंग हो। इतना होने के बाद भी कहीं आप उन लोगों में शुमार तो नहीं हैं जो अपने वजन बढ़ने या घटने के बारे में अक्सर परेशान रहते हैं, अपना काम बाधित करने लगते हैं, छोटी-छोटी बातों पर बिफर जाते हैं, अपने ऊपर नकारात्मक विचारों को हावी कर लेते हैं और खुद से एक अलगाव जैसा महसूस करते हैं? अगर ऐसा है, तो गैलप की 2018 ग्लोबल इमोशन रिपोर्ट के मुताबिक, आप दुनिया के हर तीन हताश-निराश लोगों में से एक हो सकते हैं। ऐसे में आपको अपनी ज़िंदगी में छोटे-छोटे बदलाव जाने की ज़रूरत पड़ सकती हैं, ताकि आपका समग्र रूप से स्वस्थ रह सकें।

ज़िंदगी में तमाम बदलाव, मौके, विकल्पों, पैसे और पर्याप्त मात्रा में सुख भोगने वाली चीज़ें होने के बावजूद हम अक्सर दुखी रहते हैं। ऐसे में जीवन पहले की तुलना में काफी परेशानी भरा हो जाएगा। ऐसी आदतें आपको शारीरिक, मानिसक व भावनात्मक तौर पर परेशानी कर सकती हैं। इससे आपकी आंतरिक शांति पर भी असर पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में हम अपनी ज़िंदगी में बदलाव लाने के लिए क्या कर सकते हैं, जिससे हम समग्र रूप से खुशहाल व स्वस्थ जीवन जी सकें? जब ऐसी स्थिति हो जाती है, तो हम समस्या से छुटकारा पाते हैं, उन दिक्कतों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटते हैं और उन्हें अपने स्तर से समाधान निकालने का प्रयास करते हैं। लेकिन, हममें से अधिकांश लोग कम ही इस बात से अवगत रहते हैं कि अगर समस्याएं एक-दूसरे से जुड़ी हों, तो उन्हें अलग-अलग करने से शायद ही कोई स्थायी हल निकल सकता है। मिसाल के तौर पर, अगर आप शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रहते हैं, तो यह आपके मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी तत्काल फायदा पहुंचा सकता है। इसलिए अगर आप किसी समस्या से निजात पाना चाहते हैं, तो उसे आजकल की भाषा में समग्र रूप कहते हैं, जिसमें आपका मन, शरीर और आत्मा शामिल है। इस लेख के ज़रिए सोलवेदा आपको उन उपायों के बारे जानकारी दे रहा, जिससे समग्र रूप से खुशहाल व स्वस्थ रहने के लिए व ज़िंदगी में बदलाव लाने के लिए आप एक हेल्दी लाइफस्टाइल को अपना सकते हैं।

समग्र खुशहाली और बेहतर स्वास्थ्य की ओर रुख करने से पहले यह जानना बेहद ज़रूरी है कि आखिकार समग्र खुशहाली के मायने क्या हैं? समग्र खुशहाली एक ऐसी सर्वव्यापक अवधारणा है जो मन, शरीर और आत्मा हर स्तर पर खरा उतरता है। मस्तिष्क एक तरह से आपकी भावनात्मक स्थिति की एक परछाई है, जबकि शरीर आपके शारीरिक स्वास्थ्य और लंबा जीवन जीने और आध्यामिक सुख आपको अंदर से मज़बूत बनाने में मदद करता है। सही और गलत पहचाने में मदद मिलती है। दुनिया के प्रति आपकी सोच में तालमेल मिलाकर चलती है। यह ऐसा जुड़ाव है, जिससे आपको आंतरिक सुखी और शांति की अनुभूति मिलती है। ऐसे में आप समग्र खुशहाली व बेहतर स्वास्थ्य को कैसे हासिल कर सकते हैं? मामले में दक्ष लोगों का मानना है कि अपने रोज़मर्रा की ज़िंदगी में थोड़ा बहुत बदलाव लाकर आप इसे आसानी से हासिल कर सकते हैं।

होलिस्टिक वेल्बीइंग की ओर हमारा मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य ही पहला कदम है।

अपने करीबी दोस्तों से मिले और उनके साथ समय बिताएं (Apne karibi dost se mile aur unke sath samay bitaye)

सबसे पहले आप सकारात्मक सोच और आपके विचारों से सहमत होने वाले लोगों से संपर्क बढ़ाएं और ज़िंदगी में बदलाव लाएं। यह काफी महत्वपूर्ण उपाय है। भावनात्मक तौर पर खुश रखने में और इसे बेहतर करने में आपके परिवार के लोग, दोस्त, रिश्तेदार और साथ में काम करने वाले लोग काफी मदद कर सकते हैं। इसके लिए अपने दोस्तों के साथ हफ्ते में एक दिन बाहर भोजन करने के लिए जा सकते हैं, कॉफी पीने और स्क्रैबल खेल खेलने जा सकते हैं। जब आपको कभी मदद की ज़रूरत हो, तो उनसे खुलकर बात करें। किसी नेक कार्य के लिए अपने आप-पड़ोस में रहने वाले लोगों और सहकर्मियों के साथ अच्छा नेटवर्क तैयार करें। अगर आप अलग-अलग ख्यालात वाले लोगों से मिलना-जुलना शुरू करेंगे, तब आपका मन, मानसिक और भावनात्मक तौर पर समाज की बेहतरी के लिए काम करने के लिए भी प्रेरित कर सकता है। आज के स्क्रीन और वर्चुअल इंटरेक्शन के दौर में समग्र खुशहाली के लिए व्यक्तिगत रूप में लोगों से मिलना-जुलना और संपर्क स्थापित करना बहुत ज़रूरी है। इसलिए ज़िंदगी में थोड़ा बदलाव ज़रूरी है।

हंसना भी ज़रूरी है (Hasna bhi jaruri hai)

ज़िंदगी में बदलाव और हंसना बहुत ज़रूरी है। आपको हंसने के लिए विभिन्न तरीकों के बारे में भी सोचना चाहिए। इसलिए अपने अंदर सेंस ऑफ ह्यूमर को विकसित करें, जिससे आप खुद अपनी छोटी-छोटी मूर्खतापूर्ण बातों पर खुलकर हंस सकें। साथ ही अपने व्यवहार से दूसरों को भी हंसने के लिए मजबूर कर सकें। हंसने के लिए किसी खास वजह की ज़रूरत नहीं पड़ती है। इसलिए बेवजह हंसे। ज़िंदगी में किसी भी परेशानी को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। भावनात्मक तौर पर खुद के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए अपनी रोज़मर्रा की दिनचर्या में हंसी को भी शामिल करें। हास्य योग के संस्थापक डॉ. मदन कटारिया के मुताबिक मैंने कभी भी किसी को हंसी से मरते नहीं देखा, बल्कि मैं ऐसे लाखों लोगों से भली-भांति परिचित हूं जो इसलिए मर रहे हैं, क्योंकि उनकी ज़िंदगी से हंसी पूरी तरह नदारद थी।

ज़िंदगी में कभी किसी प्रकार का तनाव ना लें (Zindagi main kabhi kisi prakar ka tanav na len)

सुबह जल्दी बिस्तर से उठना, खाना तैयार करना, ऑफिस जाना, बस छूटने का डर, ऑफिस की मीटिंग में घंटों बैठना, अलग-अलग तरह की सूचनाओं का आदान-प्रदान करना, अपने बच्चे को स्कूल से लाना और अगर कहीं नल से पानी टपक रहा हो, तो ठीक करना, अपनी सामाजिक गतिविधियों में भी हिस्सा लेना जैसे कई अन्य कामों की एक लंबी सूची आपके पास हो सकती है। 21वीं सदी के में लोगों की जीवनशैली काफी तनावपूर्ण है। तनाव हमारे मन की उपज है। अगर तनाव बढ़ता है, तो यह आपके शरीर को भी काफी नुकसान पहुंचा सकता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर, एंजाइटी, डिप्रेशन, वज़न बढ़ना और एनर्जी लेवल में गिरावट जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। तनाव आपके शरीर पर एक तरह से शत्रु का काम करता है। जिस शत्रु को आप कभी भांप नहीं सकते हैं, ऐसे में उससे कैसे मुकाबला करेंगे? इसलिए कुछ ऐसे काम करें, जिससे आपका शरीर स्वस्थ रहे। जैसे-दिन में दो बार टहलने के लिए जाएं, योगाभ्यास करें, मेडिटेशन करें, मसाज कराएं और अपना पसंदीदा म्यूजिक ज़रूर सुनें। साथ ही जिंदगी में थोड़ा बदलाव लाएं।

खुशहाली के लिए आप खुद मदद करें (Khushali ke liye aap khud madad karen)

किसी जानकार ने एक बार कहा था कि स्वयं की सहायता करने के लिए सबसे उपयुक्त इंसान आप खुद हैं। 10 साल में पर्सनल ग्रोथ के लिए सेल्प हेल्प सबसे कारगर उपाय के तौर पर सामने आया है। अपनी मनपसंद की पुस्तकें पढ़कर, दोस्तों के साथ बातचीत करके, नए-नए स्किल को सीख कर, अपनी दिनचर्या में नई-नई आदतें सीखकर और अपनी हॉबी या सपने को पूरा करने के लिए काम करके आप खुद अपनी समग्र खुशहाली के लिए खुद मदद कर सकते हैं। हकीकत यह है कि ‘आप’ की तरह शायद ही कोई आपकी सहायता कर सकता है।

अपनी भावनाओं के दास न बनें (Apni bhavnaon ke das na banen)

 किसी भी इंसान की ज़िंदगी में लोगों के साथ उसके मज़बूत संबंधों को कायम रखने और कामयाबी के पीछे भावना एक अहम प्रेरणा के रूप में काम करती हैं। भले ये भावनाएं सकारात्मक हो सकती हैं, जीवन की दिशा तय करने वाली हो सकती हैं या आपके हौसले को कमजोर करने वाली भी हो सकती है। ज़िंदगी में हर बदलाव के बीच ये मौजूद रहती हैं। लेकिन, अगर आप अपनी भावनाओं के हिसाब से जीवन जीने लगते हैं, तो इसका खामियाजा क्या होगा, आपको पता है? दरअसल, जब भावनाएं आपके व्यक्तित्व पर हावी हो जाती हैं, तो आप किसी मुद्दे पर तार्किक और न्यायसंगत आचरण नहीं कर पाते हैं। भावनाओं के चक्कर में आप खुद को खत्म न करें, इसे आप एक मानवीय ही रहने दें। आपके जीवन में जो भी दिक्कते हैं, उनको दबाने की बजाय उचित समाधान निकालें। आपके मन में क्या चल रहा है, उसे बाहर आने दें। इस बात को स्वीकार करें कि इस समस्या से निजात पाने के लिए आपको बाहरी सहायता की ज़रूरत है। अगर आप अपनी भावनाओं के बवंडर को सही तरीके से संचालित नहीं कर पा रहे हैं, दूसरों की मदद ले सकते हैं।

वास्तविक दुनिया में जिएं (Vastvik duniya mein jiyen)

आपका दिल उनकी चीज़ों की चाहत रखता है जो वह चाहता है। लेकिन, जीवन में कौन-सी चीज़ वास्तविक है और कौन स्वीकार्य है, यह तय करना दिल के लिए कभी-कभी मुश्किल हो जाता है। सिर्फ आप ही अपनी कमजोरियों और मजबूत पक्ष से भली-भांति परिचित होते हैं। इसलिए जब आप खुद एक गोल सेट करते हैं, तो उसके लिए सही तरीके से काम भी कर पाते हैं। जुनूनी होना किसी के लिए एक धन हो सकता है। लेकिन, जुनूनी होने का अर्थ ये नहीं है कि आप अपनी क्षमता को भूल जाएं और ज़िंदगी से कुछ ज्यादा ही अपेक्षाएं करने लगें। भावनात्मक तौर पर आपका सुख-चैन अपनी क्षमता से अधिक उम्मीद लगा लेने से प्रभावित होता है। मन में इस तरह की भावना अक्सर आप अपने आस-पड़ोस में रहने वाले लोगों को देखकर लाते हैं। भले ही आपके संबंध हो, प्रेम हो या प्रोफेशनल लाइफ हो, जीवन में रियलिस्टिक और व्यवहारिक बने रहने का एकमात्र उपाय है अपनी भावनाओं के साथ संतुलन बैठाकर रहना। इसके लिए ज़िंदगी में बदलाव भी ज़रूरी है।

खुद को डिजिटल डिटॉक्स करें (Khud ko digital detox karen)

आजकल सभी लोगों की ज़िंदगी डिजिटल के इस दौर में गैजेट्स और टेक्नोलॉजी के आस-पास ही घूमती रहती है। आज के समय में गैजेट्स के बगैर जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। भले ही कोई बच्चा हो या जवान, हर किसी के पास गैजेट्स हैं। साल 2018 में आई ए डिकेड ऑफ डिजिटल डिपेंडेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूके में एक औसतन वयस्क व्यक्ति सप्ताह में 24 घंटे से अधिक समय सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर ऑनलाइन चैनल देखने, पढ़ने या इंटनेट सर्फ करने में व्यतीत करता है।

मैकिन्से डिजिटल की एक रिपोर्ट की मानें, तो भारत में यह आंकड़ा प्रति हफ्ते 17 घंटे है। लोगों के बीच “पर्याप्त समय न होना” एक धारणा बन गई है। वे अपने रोज़मर्रा के कामों को पूरा करते हुए, चलते हुए, खाना खाते हुए और यात्रा करने के दौरान अपना अधिकतर समय मोबाइल देखकर व्यतीत करते हैं। ऐसे तमाम अध्ययन मौजूद हैं, जिससे पता चलता है कि मोबाइल, टैब जैसे गैजेट्स के आने से लोगों के मेंटल हेल्थ और इमोशनल वेलबींग पर काफी असर पड़ा है।

इस क्रम में टेक्सास विश्वविद्यालय की ओर से की गई एक स्टडी से पता चला है कि अगर आप मोबाइल-टैब जैसे गैजेट्स से दूरी बनाकर रखते हैं, तो आपका फोकस, ध्यान की अवधि और सोचने-समझने की क्षमता में काफी सुधार आ सकता है। अगर आपको इस तरह की परेशानी है, तो गैजेट्स से दूरी बनाएं और अपनी ज़िंदगी में बदलाव लाएं।

डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन के लिए अपनाएं ये तरीके : सबसे पहले आप अपना वाई-फाई बंद करके रखें। जब आप सोने जा रहे हों, तो मोबाइल फोन को बेड से दूर रखें। ऑफिस से घर लौटने के बाद कोशिश करें कि आपको अपना लैपटॉप न खोलना पड़े। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक और ट्विटर के मैसेज देखने के लिए एक समय निर्धारित कर लें। हमेशा अपने फोन को साइलेंट मोड में रखें। इसी बीच आप अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ समय बिताएं। प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेने के लिए बाहर जाएं, जहां नेटवर्क दूर-दूर तक न मिले। लोगों को देखें, वे क्या कर रहे हैं। साथ ही प्राकृतिक सुंदरता का भरपूर लुत्फ उठाएं और ज़िंदगी में बदलाव लाएं।

अगर आप इन आदतों पर काबू पा लेते हैं, तो अगली बार से आपको हवाएं काफी सुहावनी लगने लगेंगी। आप बहुत हल्का महसूस करेंगे। इस तरह आप अपने सपनों और लक्ष्य को भी बखूबी पूरा कर पाएंगे।

आपका एटीट्यूड भी मायने रखता है (Aapka attitude bhi mayne rakhta hai)

आज हम जिस गला-काट स्पर्धा के दौर में जी रहे हैं, ऐसी स्थिति में आत्मसम्मान में कमी, असुरक्षा का भाव, क्षति होने के भय और किसी-न-किसी कमी के बीच फंसना बेहद आसान है। इसके बाद अपनी नेगेटिविटी को जायज बताने के लिए शिकायत करने, रोने-चिल्लाने का अंतहीन रवायत चालू हो जाती है। ऐसी स्थिति में आप क्या कदम उठाते हैं? अगर ऐसी परिस्थिति आए, तो आप सेल्प हेल्प की मदद से खुद को नेगेटिव विचारों से बाहर ला सकते हैं। इससे सकारात्मक सोच की ओर बढ़ने में भी मदद मिलती है। जीवन में एक स्वस्थ, आशावादी दृष्टिकोण आपके मेंटल और इमोशनल हेल्थ में एक बड़ा फेरबदल ला सकता है। इसलिए ज़िंदगी में बदलाव लाएं।

इस संबंध में माया एंजेलो ने ठीक ही कहा है कि यदि आपको कुछ पसंद नहीं आ रहा है, तो तत्काल बदल दें। अगर आप इसे बदल नहीं पा रहे हैं, तो अपना नज़रिया बदल लें। खुद को पॉजिटिव विचारों की तरफ ले जाएं। उन परिस्थितियों और जीवन के अनुभव के प्रति शुक्रगुजार रहें, जिससे आपको खुशी मिलती है। साथ ही विपरीत हालातों के प्रति भी अहसानमंद रहे कि वे आपको मजबूत बनाने में काफी मदद करते हैं। आप खुद की समग्र खुशहाली, भावनात्मक और मानसिक तौर पर समरसता स्थापित करने के लिए आप खुद ही जिम्मेवार हैं। वेलनेस एक्सपर्ट्स की मानें, तो अगर आप किसी दूसरे व्यक्ति के लिए मजबूत बनते हैं, तो आप खुद भी ताकतवर बनते हैं। भले ही अपने जीवन में सूर्य को दर्शन कर पा रहे हो या नहीं, लेकिन आप भी किसी और की ज़िंदगी में उम्मीद की रोशनी ज़रूर फैलाएं और ज़िंदगी में बदलाव लाएं।

जिंदगी में बदलाव, बदलाव

होलिस्टिक वेल्बीइंग का रास्ता स्वस्थ शरीर से होकर गुज़रता है।

अपने दिमाग को थोड़ा आराम दें (Apne dimag ko thoda aaram den)

जीवन में पर्याप्त नींद लेना बहुत ज़रूरी है। यह उतना ही मायने रखता है, जितना आप रोजाना सुबह उठकर ताज़गी का अहसास करते हैं। लेकिन, अगर आप रात दो बजे तक जग रहे हैं, तो यह आपके लिए महज एक हसरत बनकर ही रह जाएगा। समग्र खुशहाली और बेहतर स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त नींद लेना ज़रूरी है। इसलिए ज़िंदगी में थोड़ा बदलाव लाएं। इससे दिमाग को काफी राहत मिलती है। साथ ही नींद दिमाग को ज़रूरत के मुताबिक आराम पहुंचाती है। वरना, समग्र खुशहाली मिलना मुश्किल है। ज़िंदगी में बदलाव के लिए बेड पर जाने के लिए एक समय सुनिश्चित करें और बखूबी उस समय पर कड़ाई से पालन भी करें। एक पुरानी कहावत है कि अर्ली टू बेड, अर्जी टू राइज। संभव हो, तो दिन में एक बार थोड़ी देर के लिए झपकी ज़रूर लें। पावर नैप के ज़रिए आप दिमाग को थोड़ा आराम दे सकते हैं और इससे आप खुद भी तरोताज़ा महसूस करेंगे। पर्याप्त नींद लेने का सबसे सही तरीका है कि आप सोने से कम-से-कम 4 घंटे पहले कॉफी, चॉकलेट व सिगरेट जैसे चीज़ों का सेवन न करें और अपनी ज़िंदगी में बदलाव लाएं।

अगर आप पर्याप्त नींद नहीं लेने की आदतों को बदल नहीं पा रहे हैं, तो इस बात का ख्याल ज़रूर रखें कि नींद के ग्रीक देवता हिप्नोस, मौत के भगवान थानाटोस के जुड़वां भाई हैं। इसके लिए आपको खुद को थोड़ा मोटिवेट करने की ज़रूरत है।

अपने खानपान के स्वाद को बदलें (Apane khanpan ke swad ko badlen)

क्या आप खाने के शौकिन हैं? क्या आप कम मात्रा में भोजन करना पसंद करते हैं? या फिर आप मात्र जीवन को जीने के लिए खाना खाते हैं? भले ही भोजन और आपके बीच जैसा भी संबंध हो, लेकिन जंक फूड आपकी डाइट में सबसे ज्यादा मात्रा में रहता है। यदि आप ऐसे हैं तो ज़िंदगी में बदलाव ला जंच फूड से तौबा कर सकते हैं। जंक फूड को छोड़ना कठिन है। जिस तरीके से कोकिन और हिरोइन जैसे नशीले पदार्थों की लत लग जाती है, उसी तरह जंक फूड भी एक तरह का नशा ही है। दो सबसे डेंजर्स ड्रग में से एक ग्लूटन का नाम सुनते ही आपके भीतर डर पैदा हो जाता है और आप अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों का नाम सुनकर शांत हो जाते हैं। लेकिन, जैसे ही इसका डर दूर होता है, तो आपके भीतर भूख फिर बढ़ जाती है। ऐसे में इन जंक फूड को खाने की बैड हैबिट्स से बचने के लिए आप क्या तरकीब अपनाते हैं? अगर आपके सामने इस तरह का संकट आए, तो कड़ा कदम उठाएं। सबसे पहले अपने स्वाद को बदलें। अगर आपको सब्जी खाने का मन नहीं करता है, तो आप वेजिटेबल स्मूदी पी सकते हैं, फल खा सकते हैं। इनका जूस पीने से बचें। पोटैटो चिप्स खाने की बजाय आप एक मुट्ठी ड्राई फ्रूट्स ले सकते हैं। शूगर की मात्रा कम करने के लिए आप इसमें अपने स्वाद के अनुसार नमक ले सकते हैं।

उन चीज़ों पर काम करें, जो आपकी स्किल्स को बेहतर बनाते हैं (Uan cheezon par kaam kare, Jo aapki skills ko behtar banate hain)

समग्र खुशहाली व बेहतर स्वास्थ्य का रास्ता स्वस्थ शरीर से होकर ही गुजरता है। इसके लिए सूर्य की पहली रोशनी पड़ने से पहले कुछ लोग सुबह उठकर टहलने निकल जाते हैं। कुछ लोग जिम में एक्सरसाइज करते हैं और कुछ लोग ठंडे पानी से तैराकी करना पसंद करते हैं। उन लोगों के बारे में आप क्या कहेंगे जो इस तरह की किसी भी गतिविधि के लिए समय, धैर्य या कभी-कभार शारीरिक क्षमता भी मौजूद नहीं है। आपको क्या लगता है, इस तरह के लोगों के लिए समग्र खुशहाली हासिल करना बेहद मुश्किल है? ऐसा बिल्कुल नहीं है।

किसी इंसान के पास पर्याप्त समय, धैर्य और शारीरिक क्षमता होने पर भी जीवन में अनुशासन और अभ्यास बहुत ज़रूरी है। इनके माध्यम से ही समग्र खुशहाली के तीन कारक मन, शरीर और आत्मा एक साथ मिलकर काम करती है। मिसाल के तौर पर योग सबसे प्राचीन तरीका है। योग शरीर और मन के बीच ताल-मेल स्थापित करने में मदद करता है। बहुत कठिन आसन होने के बाद भी अगर आप इसका निरंतर अभ्यास करते हैं, तो आप उम्र के किसी भी पड़ाव में उसे बखूबी कर पाने में सक्षम होते हैं। इससे आपके भीतर धैर्य, शक्ति बढ़ती है। वहीं, ताई ची को शारीरिक रूप से अक्षम लोग भी कर सकते हैं। समग्र खुशहाली के लिए व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे इस चीनी आसन को आसानी से कर सकते हैं।

अपने पीएच लेवल को मैनेज करें (Apne PH level ko manage karen)

एक स्वस्थ शरीर से किस चीज़ का निर्माण होता है? वैसे तो बहुत सारी चीज़ें बनती और बिगड़ती हैं, लेकिन शरीर में जिस चीज़ का भी निर्माण होता है वह बॉडी की सबसे मूलभूत ईकाई पीएच लेवल से शुरू होती है। साधारण शब्दों में इसका मतलब है कि पीएच लेवल ऐसा कुछ भी नहीं, बस यह शरीर में एसिडिटी और ऐल्कलिनिटी होता है। पीएच लेवल जितना बैलेंस रहेगा, उतनी ही आपकी बॉडी हेल्दी रहेगी। अच्छी डाइट शरीर के सही संतुलन के लिए पहली ज़रूरत है।

अलग-अलग स्टडी से मालूम पड़ता है कि जिन खाद्य पदार्थो में एसिड की मात्रा होती है, वे हार्ट की स्थिति, टाइप 2 डायबिटीज और ओबेसिटी से जुड़े होते हैं। वहीं, ऐल्कलिनिटी फूड जैसे फल, हरी सब्जियों का संबंध याददाश्त में वृद्धि, अच्छी अनुभूति, वज़न नियंत्रित करने और हार्ट से संबंधित रोगों को दबाने से होती है। यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि जिन पेय पदार्थों में गैस, कॉफी, एल्कोहल, कैचप, मेयोनीज़, कैन फूड, पिनट बटर, प्रोसेस्ड फूड जैसे खाद्य पदार्थों में एसिड की मात्रा काफी अधिक होती है।

अगर आप अपने पीएच लेवल को संतुलित करना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने दिन की शुरुआत ब्रेकफास्ट से आधा घंटे पहले फ्रूट्स या पानी से ज़रूर करें। जब भी आपको को भूख लगे, तो खाना खाने से पहले एक ग्लास पानी ज़रूर पीना चाहिए। वास्तव में जब हमें प्यास लगती है, उस वक्त भी ऐसा महसूस होता है कि बड़ी तेज़ भूख लगी है। अपनी जीवनशैली में एक नई आदत विकसित करें। ग्रीन टी पीएं। निश्चित तौर पर ग्रीन टी सबसे थेरप्यूटिक वेबरेज है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट एपिगैलोकैटेचिन गैलेट (ईजीसीजी) बड़ी मात्रा में होती है। कई स्टडी से पता चला है कि इम्युनिटी और लंबा जीवन जीने के लिए यह काफी कारगर है। इसलिए ज़िंदगी में सिर्फ हरा की तरफ मत भागिए, हरा पेय भी ज़रूर पीएं और ज़िंदगी में बदलाव लाएं।

सुबह की धूप ज़रूर लें 

आपका स्वास्थ्य समग्र रूप से स्वस्थ रहे, इसके लिए सूर्य की रोशनी बेहद ज़रूरी है। वैसे अधिक देर तक सूर्य की रोशनी में रहने से त्वचा की उम्र घट सकती है और कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। लेकिन, क्या आपको मालूम है कि सूर्य की रोशनी के फायदे अधिक और नुकसान कम हैं। धूप में रहने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिलता है। इससे हमारे शरीर की हड्डियां और मसल्स स्ट्रॉन्ग और हेल्दी रहते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें, अगर आप हल्का धूप लेते हैं, तो आपको कैंसर और त्वचा संबंधी रोग सोरायसिस होने की संभावना कम रहती है। इसके लिए जिंदगी में बदलाव ज़रूरी है।

घर से बाहर निकलकर खूब खेलें

शारीरिक रूप से बेहतर रहने का मतलब है कि आप मानसिक और भावनात्मक रूप से भी काफी अच्छा महसूस करेंगे। शारीरिक रूप से स्वस्थ और चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए कई कारगर उपाय मौजूद हैं। इन उपायों में सबसे प्रमुख स्पोर्ट्स है। खेलकूद से ना सिर्फ आप फिजिकली फिट रहेंगे, बल्कि कई रोगों से भी हमेशा-हमेशा के लिए दूर रहेंगे। स्पोर्ट्स, किसी व्यक्ति में टीम वर्क, अनुशासन, धैर्य, हार को मानने की क्षमता विकसित करने और सही तरीके से खेलने की सीख देता है। जीवन के ये सबक मानसिक और भावनात्मक रूप से खुशहाल और बेहतर रखने में आपकी काफी मदद करते हैं। खेलकूद सभी तरह की समस्याओं का एक तरह से रामबाण है जो आपके शरीर को स्वस्थ और निरोग रखता है। ऐसे में आपको किस बात का इंतजार करना है। बस घर से बाहर निकलिए और ज़िंदगी में बदलाव लाकर खूब खेलिए।

जिंदगी में बदलाव, बदलाव

जीवन में उद्देश्य की खोज ही आध्यात्मिक शांति की नींव है।

जीवन के लक्ष्य को पहचानें   

समग्र खुशहाली और आध्यात्मिक शांति एक-दूसरे के पूरक हैं। आध्यात्मिक शांति और लक्ष्य एक-दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। आपके लिए ज़िंदगी के क्या मायने हो सकते हैं? इस दुनिया में आपकी क्या भूमिका है, इसे आप किस रूप से देखते हैं? एक अभिभावक के रूप में, किसी के बच्चे के रूप में, किसी के लाइफ पार्टनर के रूप या किसी का ख्याल रखने वाले के रूप में। इन बातों पर अगर आप थोड़ा विचार करेंगे, तो पाएंगे कि इन सतही चीज़ों के अलावा आपके जीवन का उद्देश्य इससे कही ज्यादा है। समग्र रूप से स्वस्थ जीवन जीने की आपकी क्षमता आपकी आध्यात्मिक शांति से काफी गहराई से जुड़ी हुई है। आध्यात्मिक शांति लक्ष्य की भावना से आती है। ज़िंदगी में व्याप्त उथल-पुथल के बीच लक्ष्य की भावना चीज़ों को सही दिशा में रखती है। यह ज़िंदगी को सही तरीके से जीने के प्रति एक नए सिरे से सोचने-समझने के लिए मोटिवेट करता है। कुछ लोग अपने जीवन के उद्देश्यों की खोज के लिए मान्यताओं और प्रथाओं का अनुसरण करते हैं। कुछ लोग जीवन जीने और योगदान देने के लिए बेहतर से बेहतर वजहों की पड़ताल करने की कोशिश करते हैं।

कंफर्ट जोन से बाहर निकलें  

आदत मनुष्य का स्वभाविक गुण होता है और आदतें उनके लिए एक कंफर्ट जोन तैयार करती है। कंफर्ट जोन में रहना सभी को काफी अच्छा लगता है और उसमें कदम रखना भी बेहद आसान होता है। अगर आप कंफर्ट जोन से बाहर आते हैं, आपके लिए सब कुछ बदला-बदला लग सकता है। ज़िंदगी में बदलाव इतना सरल नहीं होता है, जब तक कि इसकी ज़रूरत न पड़े। थोड़ा खुद को आरामदायक क्षेत्र के बाहर निकालें और अपनी कल्पनाशक्ति से ऊपर उठकर लकीर खीचें। जब बॉडी को 20 की ज़रूरत पड़ती है, उस वक्त अगर किसी ने 5 बार एक्सरसाइज कर लिया, तो उससे मोटापा कहीं कम नहीं होने वाला है। जब मन किसी काम को करने के लिए आदी नहीं रहता है, तो उसे आप तैयार करें। इससे न सिर्फ आप मानसिक रूप से मज़बूत बनते हैं, बल्कि आप आध्यात्मिक तौर पर काफी समृद्ध हो सकते हैं।

स्वीकृति आध्यात्मिक समृद्धि का मूलमंत्र है

ज़िंदगी में किसी भी चीज़ की स्वीकृति आध्यात्मिक समृद्धि का सबसे बड़ा मूलमंत्र होता है। अवश्यंभावी चीज़ों को स्वीकार करना इतना सरल काम नहीं है। जो चीज़ें या व्यक्ति हमें पसंद नहीं होते हैं, उन्हें स्वीकार करने के लिए काफी हिम्मत और लचीलापन की ज़रूरत पड़ती है। बिना सुख-साधन के साथ आरामदेह होना बेहद ही मुश्किल होता है। लेकिन, अगर आपने एक बार इसे हासिल कर लिया, तो आपका मन-मस्तिष्क तय करता है कि ज़िंदगी में कोई भी निराशा आपके मनोबल को तोड़ न पाए। दर्शनशास्त्र के जानकार और आध्यात्मिक गुरु आमतौर पर ज़िंदगी में स्वीकार्यता के लिए खुशी को वजह मानते हैं। उनका मानना है कि आप अपनी खुशी के लिए खुद जिम्मेवार हैं। जब आप खुशी के लिए दूसरे पर निर्भर रहते हैं या अपनी पीड़ा के लिए किसी और के गले मढ़ देते हैं, तो यकीन मानिए खुशी और आध्यात्मिक शांति आपसे कोसो दूर चली जाती है।

माफ करने से आत्मा भी शुद्ध रहती है

जीवन में गलती करना प्रत्येक इंसान का स्वाभाविक गुण है और गलती के लिए माफ करना देवताओं का स्वभाव होता है। इस कहावत को हममें से हर कईयों ने ज़रूर सुना होगा। माफ करना, उन लोगों के लिए एक औषधी जैसा है जो इसे चुनते हैं। किसी को माफ करने के लिए बड़ी ही हिम्मत और दरियादिली बनने की ज़रूरत पड़ती है। जबकि हकीकत यह है कि जो लोग हमें नुकसान पहुंचाते हैं, उन्हें माफ करना इतना सरल काम नहीं है। माफ करने में कोई हर्ज नहीं है। यह इंसान के अंदर धीरज, खुशहाली व आध्यात्मिक समृद्धि का भाव पैदा करता है। ईर्ष्या का भाव जख्म को और अधिक गहरा करता है और आपके अंदर नेगेटिविटी को बढ़ाता है। किसी को क्षमा करना, जीवन का एक अहम हिस्सा है। आध्यात्मिक समृद्धि के लिए खुद को माफ करना भी काफी मायने में अहम है। जब तब आप अपनी पुरानी गलतियों से सबक नहीं लेते हैं, तब तक खुद को कोसने की ज़रूरत नहीं है। माफी एक तरह से स्वतंत्र है।

शरीर की बजाय दिमाग की सुनें

आध्यात्मिक समृद्धि खुद को व्यापक और बड़े स्तर पर जोड़ती है। यह आपके जीवन की चुनौतियों और परेशानियों से बड़ा बनने से संबंधित है। निश्चित रूप से यह आपके दिमाग का स्वामी बनाने में मदद करती है। बेहद मुश्किल लगने वाले इस काम को कोई कैसे पूरा करता है? दिमागी तौर पर सचेत रहने का अभ्यास ही इसका जवाब है। अपने रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ज्ञान को समाहित करें। रोजाना सुबह के शांत माहौल और एकांत के बीच खुद का मूल्यांकन करें। बाहरी दुनिया के शोर-शराबे से दूरी बना लें व वर्तमान समय में रहते हुए खुद पर ध्यान लगाएं। बीते दिनों को भूल जाएं- आप अब उस अतीत में नहीं जी रहे हैं और भविष्य भी आपके साथ नहीं है। आपके सामने जो है वह वर्तमान है।

घड़ी की सूईयां सभी लोगों के लिए समान रूप से चक्कर लगाती है। हम सभी के लिए 24 घंटे ही निर्धारित है। अमीर हो या कोई गरीब, सभी इसी धरती पर रह रहे हैं। जब हम जीवित हैं, तो समय के साथ क्या कर रहे हैं। हम अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी को किस ढंग से जीते हैं और इस धरती पर अपनी खुद की दुनिया का निर्माण कैसे करते हैं। ऐसे में यह उस जीवन की सबसे अहम उपलब्धि हमें अवगत कराती है, जिसका हमने नेतृत्व किया है। हालांकि, ये सब बड़े आदर्श की चीज़ें हैं। आपको जीवन में छोटे-छोटे बदलाव की ज़रूरत है। ये बदलाव आपको बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।

समग्र खुशहाली और आध्यात्मिक शांति आपको अद्भुत लक्ष्य लग सकते हैं, पर हम और आप जैसे अन्य साधारण लोग भी इसे आसानी से हासिल कर सकते हैं। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए की यात्रा छोटे-छोटे पहल से होती है। जिस तरह दुनिया और ज़िंदगी को देखने का नज़रिया हम लोगों के पास है, उसी तरह ये छोटे बदलाव भी होते हैं। इन छोटे फेरबदल से ही बड़े बदलाव संभव होते हैं।

X

आनंदमय और स्वस्थ जीवन आपसे कुछ ही क्लिक्स दूर है

सकारात्मकता, सुखी जीवन और प्रेरणा के अपने दैनिक फीड के लिए सदस्यता लें।