महासागर की गहराई महासागर

महासागर की गहराई में गोते लगाते कई रहस्य

साइंस फिक्शन के लेखक आर्थर सी क्लार्क ने अपनी साइंस जर्नल में लिखा कि “इस ग्रह को पृथ्वी कहना कितना गलत है, जबकि यह महासागरों से परिपूर्ण है।" यह सही भी है, क्योंकि पृथ्वी का दो तिहाई हिस्सा पानी है।

महासागर इतने विशाल हैं कि मानव उनके सामने एक छोटी सी बूंद है। मनुष्य इस विशाल जल क्षेत्र के केवल पांच प्रतिशत हिस्से तक पहुंच पाया है। लेकिन महासागर की गहराई (Depth of Ocean) में अभी भी बहुत कुछ मिलना बाकी है, जो वास्तव में आश्चर्यचकित करने वाला हो सकता है। समुद्र की गहराइयों के रहस्य और आकर्षक चीजों का जश्न मनाने के लिए विश्व महासागर दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर सोलवेदा विभिन्न महासागरों और उनकी विशेषता के बारे में आपको जानकारी दे रहा है।

प्रशांत महासागर (Prashant Mahasagar)

प्रशांत महासागर पृथ्वी का सबसे बड़ा जल स्रोत है। लेकिन इस महासागर के बीच में ग्रेट व्हाइट शार्क एकत्र होती हैं। इसी वजह से इस क्षेत्र को व्हाइट शार्क कैफे कहा जाता है (यहां पर कोई पेय या भोजन नहीं परोसा जाता है)। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह क्षेत्र रेगिस्तान जैसा है, शार्कों के इस व्यवहार के पीछे के रहस्य का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है।

अटलांटिक महासागर (Atlantic Mahasagar)

जिस तरह प्रशांत महासागर के बीच में एक रेगिस्तान है, वैसे ही अटलांटिक महासागर का अपना एक समुद्र है। सरगासो सागर उत्तरी अटलांटिक महासागर के ठीक बीच में स्थित है। लेकिन यह इस पृथ्वी पर एकमात्र ऐसा समुद्र है, जो बिना तट के है। यह समुद्र चारों तरफ से गतिशील महासागरीय धाराओं से घिरा हुआ है।

हिंद महासागर (Hind Mahasagar)

भौगोलिक दृष्टि से यह महासागर अन्य महासागरों की तुलना में सबसे छोटा है। छोटा होना इस महासागर को कमजोर नहीं बनाता है। वर्ष 2004 की सुनामी में इस महासागर ने 20,000 जिंदगियों को अपने अंदर समा लिया। इस महासागर ने न सिर्फ जिंदगियों को अपना निवाला बनाया है, बल्कि 20 लाख वर्ष पहले माइक्रोकॉन्टिनेंट केर्गुएलन पठार को निगल लिया था। शोधकर्ताओं के अनुसार, हिंद महासागर टेक्टोनिक प्लेट पर स्थित है, जिसके शिफ्ट होने से केर्गुएलन हॉटस्पॉट्स (ज्वालामुखी हॉटस्पॉट) बना। इसी कारण से माइक्रोकॉन्टिनेंट डूब गया था।

आर्कटिक महासागर (Arctic Mahasagar)

आर्कटिक महासागर की जल धाराएं अस्थिर है। यही धाराएं इस महासागर को डरावना बनाती है। वहीं, ठंड के कारण जब ये महासागर जम जाता है, तो हमारे लिए इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता है। असल में यह महासागर अपने अंदर लाखों जहाजों को समाए हुए है। समुद्र विज्ञानियों के अनुसार, आर्कटिक क्षेत्र में लगभग तीन लाख जलपोत डूब चुके हैं। फ्रैंकलिन अभियान इसका एक उदाहरण है। आधुनिक तकनीक से सुसज्जित यह अभियान समुद्र के उत्तर पश्चिमी मार्ग की खोज करने के लिए शुरू किया गया था। 19वीं शताब्दी में इस मिशन को रोकना पड़ा, क्योंकि इस अभियान में शामिल जहाज एचएमएस एरेबस और एचएमएस टेरर डूब गए थे। आज के समय में आर्कटिक महासागर के तल में लाखों जहाजों के मलबे पड़े हुए हैं।

दक्षिणी महासागर (Dakshin Mahasagar)

दक्षिणी महासागर धरती के चौथे सबसे बड़े महासागर के रूप में जाना जाता है। इसकी ऊंची लहरें तीव्र वेग से चलने वाली पश्चिमी हवाओं के कारण उठती हैं। इन लहरों को रोअरिंग फोर्टीज़ के नाम से जाना जाता है। इस महासागर से लहरें कभी-कभी इतनी ऊंची उठती हैं कि इसके आगे 10 मंजिला इमारत का कद भी छोटा दिखने लगे। इस महासागर की लहरें औसतन 64 फीट ऊंची उठ सकती हैं।

कैरिबियन सागर (Caribbean Sagar)

कैरिबियन सागर अपने सफेद रंग के तटों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। लेकिन इस सागर का तट सफेद क्यों है। इस बारे में आपको जानकारी है? इसका श्रेय पैरटफिश को जाता है। ये मछलियां सागर के तल में पाए जाने वाले रंगीन मूंगे के टुकड़े का सेवन करती हैं और फिर उसे सफेद रेत में उत्सर्जित करती हैं। आपको जान कर हैरानी होगी कि एक वयस्क पैरटफिश हर साल लगभग 90 किलोग्राम रेत का उत्सर्जन करती है। आपने कभी सोचा भी नहीं होगा कि समुद्री कचरे को कोई जीव इतनी खूबसूरती से तोड़ कर सागर की विशेषता में चार चांद लगा सकता है।

कैस्पियन सागर (Caspian Sagar)

कैस्पियन सागर भी काफी रहस्यमयी घटनाओं से भरपूर है। इस सागर ने मनुष्य की कल्पनाओं को वास्तविकता के करीब लाया है। सदियों से इस सागर के किनारे रह रहे लोगों का दावा है कि उन्होंने मानव के समान उभयचर जीवों को देखा है। ऐसा माना जाता है कि सिर पर बाल और जालीदार उंगलियों वाले ‘समुद्री पुरुष’ इस सागर में रहते हैं। हालांकि, यह बात ईरानी किंवदंतियों से उपजी हुई है। इन मर्मेन के अलावा भी इस सागर में कई रहस्य हैं, जैसे रहस्यमयी रोशनी  और आसमान में यूएफओ का दिखना।

भूमध्य सागर (Bhumadhya Sagar)

भूमध्य सागर को कई बड़ी सभ्यताओं का जनक माना जाता है, जैसे- ग्रीक, तुर्की, रोम, यहूदी आदि। ये सभ्यताएं समुद्र से प्रभावित थीं, जिनके प्रमाण मिलते हैं। इन सभ्यताओं के व्यापार, उपनिवेश और युद्ध की रणनीतियां भी समुद्री मार्गों से हो कर गुजरती थीं। लेकिन भूमध्य सागर का नाम इतिहास के काले पन्नों से भी जुड़ा है। हेराक्लिओन, जो कभी मिस्र का एक महत्वपूर्ण शहर था, इसका उदाहरण है। इस सागर ने पूरे शहर को अपना निगल लिया था।

काला सागर (Kala sagar)

काला सागर वर्ष 2022 में यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद से सुर्खियों में बना हुआ है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस सागर में ऑक्सीजन ना के बराबर पाई जाती है। इसलिए, यूनानियों ने इस सागर को ‘दुर्गम समुद्र’ का नाम दे दिया। हालांकि, इस समुद्र के नीचे एक नदी पाई जाती है, जो इस सागर में जीवन का आधार बनती है। इस नदी का पानी खारा तो है, लेकिन यह समुद्री जीवों और वनस्पतियों से भरपूर है।

रॉस सागर (Ross sagar)

आज हम मनुष्यों ने समुद्र तक में प्रदूषण रूपी जहर घोल दिया है। लेकिन रॉस सागर इकलौता ऐसा सागर है, जहां पर अभी तक प्रदूषण दस्तक नहीं दे पाया है। रॉस सागर दक्षिणी महासागर का ही हिस्सा है। शोधकर्ताओं और समुद्र विज्ञानियों के अनुसार प्रदूषण के कारण समुद्री जल अपनी शुद्धता खो रहा है। लेकिन सिर्फ रॉस सागर ही एक ऐसा समुद्र है, जो मनुष्यों से दूर होने के कारण प्रदूषण से बचा हुआ है। शायद इसलिए इसे ‘द लास्ट ओशन’ के नाम से भी जाना जाता है।

महासागरों की ये विशेषताएं बेहद दिलचस्प हैं। कुछ सागर में शांत रेगिस्तान तो कुछ में पानी के नीचे नदियों का मिलना प्रकृति के अनोखे करतबों का उदाहरण पेश करते हैं। ये सागर जैवविविधता से परिपूर्ण हैं। सागर कहीं पर सभ्यताओं को जन्म देते हैं, तो कहीं पर निर्दयी बन कर सभ्यताओं का विनाश करते हैं। अब चाहे जो भी हो, लेकिन ये सभी एक ही हैं। मनुष्य चाहे इन सागरों के कितने भी अलग-अलग नाम रख ले, लेकिन महासागरों में पाया जाने वाला जल एक ही होता है। ये समुद्र किसी सीमा को नहीं समझते हैं। अंत में सिर्फ यही समझ में आता है कि हमारा हरा भरा ग्रह क्लार्क के अनुसार – पूर्ण रूप से धरती नहीं, बल्कि महासागर है।

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