रामेश्वरम: आस्था, तीर्थ और समंदर का एक अनोखा संगम

हिन्दू महासागर के तट पर बना ये मंदिर तमिलनाडु की प्राकृतिक सुंदरता और अनोखे सुकून से सराबोर है। चारों ओर से बंगाल की खाड़ी से घिरा ये शंख नुमा मंदिर शिवजी का एक प्राचीन मंदिर है।

मान्यता है कि हिन्दू धर्म में 33 कोटि के देवी-देवता हैं। यहां के हर घर में अपने एक श्रेष्ठ देवी या देवता के लिए आस्था और विश्वास होता है। जितने देवी-देवता हैं, उसी तरह उनके विराजमान स्थान भी हैं। हिन्दू पुराणों में सबसे ऊपर चार धामों की यात्रा के बारे में बताया गया है। बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम। ये धाम भारत के चारों कोनों में स्थित हैं।

कहा जाता है, अगर धरती पर रहकर ही स्वर्ग पाने का इंतजाम करना है तो इन चारों धाम की यात्रा कर लीजिए। इन्हीं चारों धाम में से एक है रामेश्वरम मंदिर। ये तमिलनाडु राज्य में स्थित है। हिन्दू महासागर के तट पर बना ये मंदिर तमिलनाडु की प्राकृतिक सुंदरता और अनोखे सुकून से सराबोर है। चारों ओर से बंगाल की खाड़ी से घिरा ये शंख नुमा मंदिर शिवजी का एक प्राचीन मंदिर है।

रामेश्वरम मंदिर का इतिहास (Rameshwaram mandir ka itihas)

जब भगवान राम, सीता माता को रावण की कैद से आज़ाद करवाने लंका जा रहे थे, तब रास्ते में समुद्र पार करने के लिए उन्होंने यहां शिवजी की एक मूर्ति बनाई और उनकी आराधना की। तभी से इस मूर्ति की स्थापना यहां हुई और बाद में ये मंदिर रामेश्वरम के नाम से जाना जाने लगा। यहां भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले पत्थरों के सेतु का निर्माण करवाया था, जिसपर चढ़कर वानर सेना लंका पहुंची और वहां विजय पाई। बाद में राम ने विभीषण के कहने पर धनुषकोटि नामक स्थान पर ये सेतु तोड़ दिया था। आज भी इस 30 मील लंबे आदि-सेतु के अवशेष समुद्र में दिखाई देते हैं।

रामेश्वरम पर्यटकों के लिए है आकर्षण का केंद्र (Rameshwaram parytakon ke liye hai aakarshan ka kendr)

रामेश्वरम मंदिर की वजह से हर साल बहुत से पर्यटक यहां की यात्रा करने आते हैं। भारत का आखिरी तीर्थ स्थल होने की वजह से ये स्थान आकर्षण का केंद्र बना रहता है। आस्था और विश्वास के साथ बहुत से लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर यहां आते हैं और यहां पहुंच कर चारों धाम की यात्रा के सफल हो जाने पर सुकून महसूस करते हैं। हिन्द महासागर द्वीप और बंगाल की खाड़ी इस स्थान की सुंदरता में चार-चांद लगाने का काम करती है। अगर आप भी किसी ऐसी ही जगह पर सुकून और श्रद्धा का अनुभव करना चाहते हैं तो तमिलनाडु का रामेश्वरम मंदिर आपके लिए अच्छी जगह है। यहां न केवल प्राकृतिक सौंदर्य बल्कि इतिहास की सुनहरी कहानियां और आस्था का महान संगम देखने को मिलता है।

रामेश्वरम मंदिर का महत्व (Rameshwaram Mandir ka mahtv)

रामेश्वरम मंदिर हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ है। ये तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। ये तीर्थ हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। इसके अलावा यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। भारत के उत्तर में काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है।

रामेश्वरम चेन्नई से लगभग सवा चार सौ मील दक्षिण-पूर्व में है। बहुत पहले ये द्वीप भारत की मुख्य भूमि के साथ जुड़ा हुआ था, परन्तु बाद में सागर की लहरों ने इसे मिलाने वाली कड़ी को काट डाला, जिससे वह चारों ओर पानी से घिरकर टापू बन गया।

कैसा दिखता है रामेश्वरम मंदिर? (Kaisa dikhta hai Rameshwaram Mandir?)

तमिलनाडु में बसा रामनाथपुरम हिन्दू श्रृद्धालुओं से घिरा रहता है। रामनाथपुरम हिन्दू महासागर के तट पर स्थित है। रामेश्वर के समुद्र में तरह-तरह की कोड़ियां, शंख और सीपें मिलती हैं। कहीं-कहीं सफेद रंग का बड़ियास मूंगा भी मिलता है। रामेश्वरम केवल धार्मिक महत्व का तीर्थ ही नहीं, प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से भी दर्शनीय है।

रामेश्वरम मंदिर जिस स्थान पर यह टापू मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ था, वहां इस समय ढाई मील चौड़ी एक खाड़ी है। शुरू में इस खाड़ी को नावों से पार किया जाता था। बताया जाता है, कि बहुत पहले धनुष्कोटि से मन्नार द्वीप तक पैदल चलकर भी लोग जाते थे। लेकिन, एक चक्रवाती तूफान ने इसे तोड़ दिया। बाद में आज से लगभग चार सौ वर्ष पहले कृष्णप्पनायकन नाम के एक राजा ने उस पर पत्थर का बहुत बड़ा पुल बनवाया।

अंग्रेजो के आने के बाद उस पुल की जगह पर रेल का पुल बनाने का विचार हुआ। उस समय तक पुराना पत्थर का पुल लहरों की टक्कर से हिलकर टूट चुका था। एक जर्मन इंजीनियर की मदद से उस टूटे पुल को रेल का एक सुंदर पुल बनवाया गया। इस समय यही पुल रामेश्वरम् को भारत से रेल सेवा द्वारा जोड़ता है।
यह पुल पहले बीच में से जहाजों के निकलने के लिए खुला करता था। इस स्थान पर दक्षिण से उत्तर की और हिंद महासागर का पानी बहता दिखाई देता है। उथले सागर एवं संकरे जलडमरूमध्य (strait) के कारण समुद्र में लहरे बहुत कम होती हैं। शांत बहाव को देखकर यात्रियों को ऐसा लगता है, मानो वह किसी बड़ी नदी को पार कर रहे हों।

रामेश्वरम आस्था की नींव पर बना अदभुत निर्माण है, महासागर और बंगाल की खाड़ी की खूबसूरती जिसमें मिलकर इसको खास बनाती है। ऐसे ही और आर्टिकल को पढ़ने के लिए सोलवेदा से जुड़े रहें।

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