नीले आसमां, सुंदर झीलों और शांति के बीच बसा है भीमताल

भीमताल, नैनीताल से सटा हुआ, एक बेहतर खूबसूरत हील स्टेशन है। भीमताल को हम झीलों का शहर कह सकते हैं, जिसका नाम महाभारत के एक पौराणिक चरित्र भीम के नाम पर रखा गया है।

उत्तराखंड के नैनीताल हील स्टेशन के बारे में कौन नहीं जानता? पर आज मैं आपको बताने वाली हूं उत्तराखंड के एक और हील स्टेशन भीमताल के बारे में। भीमताल, नैनीताल से सटा हुआ, एक बेहतर खूबसूरत हील स्टेशन है। भीमताल को हम झीलों का शहर कह सकते हैं, जिसका नाम महाभारत के एक पौराणिक चरित्र भीम के नाम पर रखा गया है।

मुझे जब पिछली गर्मियों की छुट्टियां बिताने, नैनीताल जाने का मौका मिला तो भीमताल घूमने का मौका भला कैसे छोड़ सकती थी। इसलिए मैंने दो-तीन तीन की छुट्टियां और लेकर, धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाली जगह भीमताल घूमने का फैसला किया। वाकई, भीमताल के बारे में जो कुछ भी मैंने आज तक सुना और पढ़ा है, भीमताल उससे कहीं ज़्यादा खूबसूरत नज़र आया। हर तरफ झीलें और हरी-भरी घाटियां मन को मोह लेती हैं। तो चलिए मैं आपके साथ अपने भीमताल के अनुभवों को साझा करती हूं।

नल दमयंती ताल (Nal Damyanti Taal)

भीमताल से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर एक ताल बनी हुई है, जिसे नल दमयंती ताल कहा जाता है। इस ताल के बारे में मुझे यहां रहने वाले निवासी ने बताया कि इस ताल का नाम राजा नल और उनकी पत्नी दमयंती के नाम पर रखा गया है। जब नल और दमयंती को वन में रहना पड़ा था तो उन्होंने इसी ताल के किनारे शरण ली थी। इस ताल को लेकर एक रहस्यमय कहानी भी बहुत चलन में है, जिसके बारे में भी मुझे उसी निवासी व्यक्ति से पता चला। उन्होंने हमें बताया कि इस ताल में कभी-कभी कटी हुई मछलियां दिखाई देती हैं, यह वही मछलियां हैं जिन्हें नल और दमयंती ने अपना पेट भरने के लिए काटा था, पर पकाते समय वे मछलियां आसमान में उड़ गई थीं। इस ताल के पास एक शिव मंदिर भी बना हुआ है, जिसमें पूजा करने के लिए सावन के महीने में बहुत से श्रद्धालु आया करते हैं। यहां ये भी मान्यता है कि भगवान शिव की अर्चना से ही नल दमयंती ताल के आस-पास शांति बनी रहती है। आप अगर भीमताल आने की योजना बना रहे हैं, तो नल दमयंती ताल ज़रूर आएं और यहां आकर प्रकृति और रहस्य का यह अनोखा संगम देखें।

भीमताल लेक (Bhimtal Lake)

उत्तराखंड की सबसे बड़ी और सुंदर झील कही जाने वाली भीमताल झील, नैनीताल से 22 किलोमीटर की दूरी पर और समुद्र तल से 1370 मीटर ऊंचाई पर है। ये झील चारों ओर से बड़ी सुंदर और आकर्षक नज़र आती है। इसके बीचों-बीच एक द्वीप पर बांध बना हुआ है और एक एक्वेरियम भी है। यही वो चीज़ है, जो इस झील को और भी ज्यादा आकर्षक बनाती है। यहां हर साल मुझ जैसे बहुत से सैलानी पर्यटक, सुकून और शांति का अनुभव करने आते हैं, और अपने मन को शांति और खुशियों (Happiness) से भर लेते हैं। यहां चारों ओर फैले सुकून और प्रकृति को करीब से महसूस करने के लिए भीमताल झील में वोटिंग का मज़ा चखना मत भूलिएगा।

अल्मोड़ा (Almoda)

अल्मोड़ा भीमताल से थोड़ा दूर एक हील स्टेशन है। जहां की वादियों में आप अपने मन को एक और खूबसूरत एहसास से भर सकते हैं। यहां का कटारमल मंदिर सूर्य देव का प्रसिद्ध मंदिर कहा जाता है। यहां भगवान शिव को समर्पित जागेश्वर धाम मंदिर भी है। अल्मोड़ा में रामगंगा नदी बहती है, जहां आप जंतु और मछलियों के बारे में करीब से जान सकते हैं। अल्मोड़ा श्रृद्धा और प्राकृतिक खूबसूरती का मिला जुला संगम है, जहां आकर आप बिल्कुल निराश नहीं होंगे, बल्कि अपनी यात्रा में बहुत से खूबसूरत पल जोड़ लेंगे। यहां बहुत से पर्यटक अपने सफर की डायरी में बहुत-सी खूबसूरत यादें जोड़ने आते हैं।

नौकुचिया ताल (Naukuchiya Tal)

नौकुचिया ताल एक नौ कोनों वाला ताल है। नौकुचिया ताल भीमताल और नैनीताल की सबसे गहरी झील है। पर भीमताल के मुकाबले नौकुचिया ज़्यादा गर्म क्षेत्र है, लेकिन अपनी हरियाली और सुंदरता के मामले में भीमताल से कम नहीं है। यहां कमल की बेहद सुंदर प्रजातियां देखने को मिलती हैं। यहां रंग-बिरंगी मछलियों की भी बहुत सारी प्रजातियां देखने को मिलती हैं। यहां का पानी साफ और स्वच्छ है। यहां की खूबसूरती आंखों को सुकून देती है, और देखने वाले के मन को मोह लेती है।

भीमताल कब जाना चाहिए? (Bhimtal kab jana chahiye?)

यूं तो भीमताल घूमने के लिए हर महीना ही सही है, पर प्राकृतिक सुंदरता और ठंडक का भरपूर आनंद लेना है, तो अप्रैल से जुलाई के बीच या सितम्बर से अक्टूबर के बीच भीमताल घूमा जा सकता है।

जिन दोस्तों के साथ आप भीमताल घूमना चाहते हैं उन्हें ये आर्टिकल फॉरवर्ड ज़रूर करें। ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी से जुड़े रहें।