खज्जियार, डलहौजी

पहाड़ों की वादियों में जाना हो, तो करें डलहौजी की सैर

कहते हैं न “जंगल, पहाड़ इंसानों के लिए धरती पर स्वर्ग है“। यही वजह है कि लोगों का जब भी मन नहीं लगता, तो वे पहाड़ों की ओर रुख कर लेते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम बात कर रहे हैं पहाड़ों की गोद में बसे डलहौजी (Dalhousie) की। वहीं बताएंगे कि यहां आप किन-किन जगहों पर घूम सकते हैं।

पैनडेमिक पीरियड में घर में रहते-रहते हम सभी उब गए हैं। हम मन ही मन ये सोचते हैं कि पहाड़ों की गोद में जाकर कुछ दिन बिताया जाए। ऐसे में हिमाचल प्रदेश का डलहौजी (Dalhousie, Himachal Pradesh) आपकी पसंदीदा जगह हो सकती है। यहां के होटल के कमरे की खिड़कियों को खोलते ही सफेद बर्फ की चादर से ढका पहाड़ दिखेगा, सर्दिली हवा चेहरे को छूएगी… इन नज़ारों और एहसास का अपना ही मज़ा है। इसी चाहत के इरादे से मैंने डलहौजी का रुख किया।

इससे पहले आपको इस जगह की खासियत बताएं, उससे पहले इसके इतिहास के बारे में आपको रू-ब-रू करा दें। डलहौजी का नाम लॉर्ड डलहौजी (Lord dalhousie) के नाम पर पड़ा। अंग्रेजी शासनकाल के समय ही लॉर्ड डलहौजी ने इस जगह को बसाया, जो आज देश के खास पर्यटन स्थलों में से एक है। लॉर्ड डलहौजी ने इस जगह को बनाने के लिए चंबा के राजकुमार से कुछ पहाड़ियां लीज पर ली थी, जिनमें भलून, तेहरा, बकरोटा, कथलग, पोत्रेन शामिल थी। डलहौजी ने इस मकसद ने इस जगह को बसाया था ताकि यहां पर ब्रिटिश सैनिक अपना इलाज करवा सकें। लेकिन सबसे खास बात, तो ये है कि डलहौजी खुद कभी इस जगह पर नहीं आए थे।

डलहौजी में इन जगहों की कर सकते हैं सैर

वैसे तो डलहौजी में घूमने के लिए कई जगह हैं, जैसे सुभाष बावड़ी, सतधारा वाटर फॉल, पंजपूला ट्रैकिंग, बीजी पार्क, वन्य प्राणी अभ्यारण्य कालाटाप, पोह्नानी मंदिर, देविदेहरा का रॉक गार्डन जैसे टूरिस्ट स्पॉट। ये डलहौजी से सिर्फ 10 से 20 किलोमीटर की दूरी पर ही है। एक बार वहां पहुंचने के बाद आप चाहें, तो लोकल टैक्सी, बस लेकर इन जगहों की सैर कर सकते हैं। वहीं जिस होटल में आप ठहरें हैं, वे भी आपको इन जगहों पर ले जाने के लिए गाड़ी मुहैय्या कराते हैं। आप चाहें तो उसकी मदद से भी इन जगहों पर घूम सकते हैं। लेकिन इन तमाम जगहों के अलावा सबसे अच्छी जगह है खज्जियार। ये डलहौजी से महज 22 किलोमीटर दूर है, वहीं आप चाहें तो तलेरु में जाकर बोटिंग का लुत्फ उठा सकते हैं।

टूरिस्ट प्लेस की बात करें तो देविदेहरा में रॉक गार्डन (Rock Garden) में घूमने के लिए कई जगह खास हैं। यहां पर बहते पानी के पास समय बिताकर प्रकृति के सौंदर्य को करीब से देख सकते हैं। यदि आपको बोटिंग पसंद है, तो आप तलेरू में जाएं। वहीं आप चाहें तो बीजी पार्क भी जा सकते हैं। यहां पर आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के लड़ाकू विमान, हथियारों से लैस बक्तरबंद गाड़ियां आदि देख सकते हैं। यदि आपको ट्रैकिंग पसंद है, तो आप पंजपूला का रुख कर सकते हैं। ये सतधारा के करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है। सतधारा की बात आई है तो इसकी खासियत भी बता दें, यहां पर पानी की सात धाराएं आप देख सकते हैं। इसी के नाम पर लोग इस जगह को सतधारा के नाम से जानते हैं।

ऐसे पहुंचे डलहौजी

वैसे तो हम अमृतसर में गोल्डन टैंपल (Amritsar Golden Temple) में दर्शन करने के बाद डलहौजी जाने का प्लान बनाया था। अगर आप अमृतसर से जाना चाहते हैं, तो स्टेशन के बाहर ही टैक्सी स्टैंड है, वहां से अपनी पसंद की गाड़ी बुक कर सीधे वहां पहुंच सकते हैं। करीब 190 किलोमीटर का ये सफर पहाड़ियों के बीच से होकर गुजरता है, जो काफी रोमांचक है। इसके अलावा आप चाहें, तो पठानकोट व गग्गल तक हवाई जहाज व ट्रेन से सफर करके भी पहुंच सकते हैं। वहां से आप बस, टैक्सी की मदद से डलहौजी आ सकते हैं। पठानकोट से 84 किलोमीटर तक का सफर तय कर आप यहां पहुंच सकते हैं।

डलहौजी आए तो ज़रूर जाएं मिनी स्विट्जरलैंड “खज्जियार”

अगर आप डलहौजी गए और खज्जियार न गए, तो यहां आना बेकार है। क्योंकि यहां की प्राकृतिक वादियां अपने आप में खास है। यही कारण है कि इस जगह को भारत का मिनी स्विट्जरलैंड (Khajjiar Mini Switzerland) कहते हैं। यहां पर आप न केवल प्राकृतिक वादियों का लुत्फ उठा सकते हैं, बल्कि आप पैरा ग्लाइडिंग, घोड़े की सवारी का आनंद उठा सकते हैं। देवदार के घने जंगलों के बीच में बसी ये जगह सर्दियों के दिनों में बर्फ से ढक जाती हैं।

इसके मिनी स्विट्जरलैंड के नाम के पीछे भी एक कहानी है। साल 1992 में यहां पर स्विट्जरलैंड के वाइस काउंसलर विली पी ब्लेजर आए थे। उन्हें ये जगह इतनी खास लगी कि इन्होंने इस जगह को मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से पुकारा था। वहीं यहां का एक पत्थर भी अपने साथ लेते गए थे, जिसे इन्होंने वहां की संसद में भी रखवाया है।

अगर आप भी पहाड़ों की हसीन वादियों में सुकून के कुछ पल बिताना चाहते हैं, तो खज्जियार ज़रूर आएं। वहीं हमने जिन जगहों का जिक्र किया है, इन जगहों पर जाकर आप खूब सारी यादें समेटकर यहां से जा सकते हैं। यहां की प्राकृतिक वादियां ऐसी हैं, जहां आप जीवन के तनाव को भुलाकर जी भरकर सुकून के पल बिता सकते हैं।

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