इगतपुरी पर्यटन स्थल

मॉनसून के मौसम में घूमने की बेस्ट जगह है महाराष्ट्र का इगतपुरी

भारत के पश्चिमी घाट में बसा इगतपुरी आपको प्राकृतिक सुंदरता, रोमांच और शांति का बेहतरीन नज़ारा पेश करता है। मुंबई से 120 किलोमीटर और नासिक से 45 किलोमीटर की दूरी बसा इगतपुरी पर्यटन स्थल हिडन जेम की तरह है।

वैसे तो मॉनसून का मौसम, घूमने और ट्रैवल करने के लिए मुफीद समय नहीं माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद भारत में कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां मॉनसून में घूमने का अपना एक अलग ही आनंद है। महाराष्ट्र में ऐसी ही एक जगह है इगतपुरी। यहां अगर आप मॉनसून के मौसम में जाएंगे, तो खुद को प्रकृति के बीच पाकर आपको अलग ही सुकून महसूस होगा। भारत के पश्चिमी घाट में बसा इगतपुरी प्राकृतिक सुंदरता, रोमांच और शांति का बेहतरीन नज़ारा पेश करता है। मुंबई से 120 किलोमीटर और नासिक से 45 किलोमीटर की दूरी पर बसा इगतपुरी पर्यटन स्थल हिडन जेम की तरह है। 

तो सोलवेदा हिंदी की इस यात्रा पर आप भी मेरे साथ चलिए इगतपुरी। जहां आपको प्राकृतिक सुंदरता का सबसे अनोखा और अलग रूप देखने को मिलेगा। मेरी इस यात्रा की शुरुआत हुई मुंबई से, जहां से नासिक की ट्रेन लेकर मैं सीधे पहुंच गया इगतपुरी। यहां का वातावरण बहुत ही स्वच्छ और मनमोहक है। सह्याद्री पर्वत शृंखला यहां की खूबसूरती को दोगुना कर देती है।

नेचर से प्यार करने वाले और फोटोग्राफी करने वाले लोगों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। मॉनसून के मौसम में पूरा क्षेत्र हरियाली और धुंध से ढंकी पहाड़ियों से जीवंत हो उठता है। यहां मॉनसून में सबसे ज़्यादा पर्यटक पहुंचते हैं। यहां के प्राचीन किला, राजसी झरने और ऊंचे पहाड़ काफी फेमस हैं। 

कल्सुबाई पीक (Kalsubai Peak)

सह्याद्री पर्वत शृंखला की सबसे ऊंची चोटी है कल्सुबाई पीक। इसे महाराष्ट्र का माउंट एवरेस्ट भी कहा जाता है। ट्रेकिंग करने वाले लोगों के लिए ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। इस चोटी के आसपास मौजूद प्राकृतिक नज़ारों की खूबसूरती देखते ही बनती है। पहाड़ों और आसपास के लुभावने दृश्य को मॉनसून के मौसम में देखने के लिए यहां आना शायद ही कोई पर्यटक पसंद नहीं करेगा। कल्सुबाई पीक के ट्रेकिंग की शुरुआत बरी नामक एक गांव से होती है और कल्सुबाई पीक पर जाकर खत्म होती है। इस पीक के नामाकरण की कहानी भी बहुत ही दिलचस्प है। 

कहा जाता है कि इस पर्वत का नाम देवी कलसू के नाम पर पड़ा है। मान्यता के अनुसार देवी कलसू आसपास के गांव के लोगों की मदद करती थी, लेकिन एक दिन अचानक चली गई और फिर कभी लौटकर नहीं आई। इसी घटना के बाद इस शिखकर का नाम कल्सूबाई रख दिया गया। कल्सूबाई ट्रैक का सफर घास के मैदान, छोटे-बड़े चट्टान और खूबसूरत नज़ारों के बीच से गुज़रता है। मॉनसून के समय में यहां की खूबसूरती चरम पर होती है, क्योंकि ट्रैक के सफर में हर तरफ हरियाली और झरने से गिरता पानी दिखाई देता है।

कसारा घाट (Kasara Ghat)

इगतपुरी के पास ही कसारा घाट है। यहां की खूबसूरती ऐसी है कि किसी भी सैलानी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी है। हरियाली और पहाड़ों से घिरा कसारा घाट जन्नत जैसा दिखता है। यहां आसपास मौजूद झरने प्राकृतिक सुंदरता का अनोखा रूप प्रस्तुत करते हैं, जो मन को भीतर से शांत कर देते हैं। मॉनसून के मौसम में जब यह जगह कोहरे से ढंक जाती है, तो लोग इसे निहारते रह जाते हैं। 

त्रिंगलवाडी किला (Tringlwadi Kila)

इगतपुरी के इतिहास से अगर आपको रूबरू होना है, तो एक बार आपको त्रिंगलवाडी किला ज़रूर जाना चाहिए। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 3000 फीट है। यह किला इतिहास को प्यार करने वाले लोगों के बहुत ही खास है। यहां आसपास मौजूद जगह ट्रेकिंग के लिए भी स्पेशल है। यहां आप फैमिली और दोस्तों के साथ घूमने जा सकते हैं। 

भवाली डैम (Bhawali Dam)

यह डैम पिकनिक स्पॉट के रूप में काफी फेमस है। वीकेंड पर स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दूर के लोग भी पिकनिक करने यहां पहुंचते हैं। अगर आप इगतपुरी में शांत जगह की तलाश में हैं, तो यह डैम परफेक्ट है। 

विहिगॉन वॉटरफॉल (Vihigon Waterfall)

इगतपुरी में विहिगॉन वॉटरफॉल टूरिस्टों के लिए सबसे खास जगहों में से एक है। मॉनसून में इस वॉटरफॉल की खूबसूरती चरम पर होती है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। काफी ऊंचाई से गिरता पानी प्राकृतिक सुंदरता का अलग ही नज़ारा पेश करता है। 

संथान घाटी (Santhan Ghati)

यह हरी-भरी घाटी खूबसूरत पहाड़ों से घिरी हुई है। साथ ही चारों ओर हरियाली ही हरियाली है, जो कि शहरों की भीड़ से पहुंचने वाले लोगों को आनंदित करती है। यह घाटी ग्रांड कैन्यन के रूप में भी प्रसिद्ध है। इसके अलावा भत्सा नदी घाटी भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह घाटी सुंदर रॉक संरचनाओं और प्रकृतिक सुंदरता के लिए फेमस है। 

इन जगहों के अलावा भी इगतपुरी में घूमने और एक्सप्लोर करने के लिए काफी खूबसूरत जगहें हैं। 

सोलवेदा के साथ इस सफर का अनुभव कैसा रहा कमेंट करके हमें जरूर बताएं। साथ ही इसी तरह की और भी यात्राओं पर चलने के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।

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