इतिहास की कहानी बताते हैं राजस्थान के किले, जानें इनकी खासियत

भारत का राजस्थान शहर बहुत बड़ा है। राजस्थान अपनी राजपूताना शैली के लिए पूरे भारत में मशहूर है। यहां के हर नगर और हर किले में किसी न किसी महान राजा की कहानियां छिपी हुई हैं।

मुझे घूमना बहुत पसंद है और जब भी मुझे अपने शहर से दूर कहीं किसी दूसरे शहर में जानें का मौका मिलता है, तो मैं खुशी से फूल उठती हूं। अभी कुछ महीने पहले ही राजस्थान में मेरी एक दोस्त की शादी थी। इसी शादी के बहाने मुझे राजस्थान की सैर करने का मौका मिला। मैं और मेरे कुछ दोस्त शादी से कुछ दिनों पहले ही राजस्थान के लिए निकल गये, क्योंकि हम शादी के बहाने पूरा राजस्थान घूमने की प्लानिंग बना चुके थे। भारत का राजस्थान शहर बहुत बड़ा है। राजस्थान अपनी राजपूताना शैली के लिए पूरे भारत में मशहूर है। यहां के हर नगर और हर किले में किसी न किसी राजा की कहानियां छिपी हुई हैं। यूं तो कुछ दिनों में पूरे राजस्थान की इन कहानियों को जान लेना बहुत मुश्किल है, पर मैं जितने भी दिन वहां रही राजस्थान के बहुत से किले और महल घूम कर आई। राजस्थान के किले ज़्यादतर हिन्दू राजाओं द्वारा बने हुए हैं। इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखी महान सम्राट महाराणा प्रताप और रानी पद्मावती की कहानी इसी शहर की है। तो चलिए मैं आपको राजस्थान के किले (Rajasthan Forts) की खासियत और कहानियों की तरफ ले चलती हूं। 

इतिहास की कहानियां कहता चित्तौड़गढ़ किला (Itihaas ki kahaniyan kahta Chittorgarh Kila)

राजस्थान राज्य का एक नगर है चित्तौड़गढ़। यह नगर बेचड़ नदी के किनारे बसा हुआ है और यहां मौजूद चित्तौड़गढ़ किला सिर्फ राजस्थान का ही नहीं बल्कि पूरे भारत का सबसे बड़ा किला है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग या किला राजस्थान का गौरव है। पुराने काल में ये जगह मेवाड़ की राजधानी हुआ करती थी। चित्तौड़गढ़ किला 700 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है। यहां बहुत से राजाओं का शासन रहा है। करीब 180 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस किले में कई ऐतिहासिक स्तंभ, स्मारक और मंदिर बने हुए हैं। 

विजय स्तंभ के अलावा, यहां 75 फीट ऊंचा एक जैन कीर्ति स्तंभ भी है, जिसे 14वीं शताब्दी में बनवाया गया था। इसके पास ही महावीर स्वामी का मंदिर है। उससे थोड़ा आगे नीलकंठ महादेव का मंदिर है। इस किले को मौर्य वंश में बनवाया गया था, और यहां महाराणा प्रताप ने भी शासन किया था। इस किले में पहला जौहर राजा मानसिंह के वक्त हुआ था। 16वीं सदी में यहां रानी पद्मावती ने 13000 दासियों के साथ जौहर किया था। आज के वक्त में यह महल या किला राजस्थान में पर्यटकों का सबसे पसंदीदा स्थान है। राजस्थान आने वाले बहुत से सैलानी चित्तौड़गढ़ के किले को देखने ज़रूर आते हैं।

जैसलमेर किला या स्वर्ण किला (Jaisalmer Kila ya Swarg Kila)

राजस्थान के जैसलमेर में बना ये जैसलमेर किला साल भर ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। दूर-दूर से विदेशी सैलानी राजस्थान आकर भारतीय संस्कृति की खूबसूरती इन किलों में देखने आते हैं। जैसलमेर किले को राजपूत राजा रावल जैसल ने बनवाया था। इस किले पर अपना अधिकार करने के लिए समय-समय पर आक्रमण होते रहे हैं। पूरा किला पीले बलुआ पत्थरों से बना हुआ है और देखने में बेहद खूबसूरत लगता है। सूर्य की किरणें पूरे किले की शोभा में चार चांद लगा देती हैं। लोग खासतौर पर यहां सूर्यास्त देखने आते हैं। किले की पीली दीवारें, सूरज की किरणों में भीग जाती हैं। किले के इस सुंदर रूप को देखकर ही इस राजस्थान के किले (Rajasthan ka kila) का नाम ‘सोनार किला’ या ‘स्वर्ण किला’ पड़ा था।

आमेर किला अब है अम्बेर पैलेस (Amer kila ab hai Ambera Palace)

आमेर किले का नाम अम्बिकेश्वर मंदिर से पड़ा है और इस किले को अम्बेर पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। यह राजस्थान की राजधानी जयपुर के आमेर में एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इस किले को राजा मानसिंह ने बनवाया था। इस किले को राजपूताना शैली के अनुसार बनाया गया है। यहां की वास्तुकला बहुत ही खूबसूरत है। अगर आप राजस्थान घूमने का सोच रहे हैं, तो फिर इस राजस्थान के किले को देखना बिल्कुल मत भूलियेगा।

अचलगड़ किला मंदिर है बेहद खूबसूरत (Achlagadh Kila Mandir hai behad khoobsurat)

माउंट आबू से 11 किलोमीटर दूर स्थित अचलगढ़ किला राजस्थान के मशहूर किलों में से एक है। किले में एक शिव मंदिर, अचलेश्वर महादेव मंदिर और मंदाकिनी झील है। यहां बने जैन मंदिर की वास्तुकला देखते ही बनती है। अचलगढ़ किले में अंदर जाने के लिए चार दरवाज़े हैं, हनुमान पोल, गणेश पोल, चंपापोल और भैरवपोल। हनुमान पोल पर हनुमान जी की और गणेश पोल पर भगवान गणेश की तस्वीर बनी हुई है। इस मंदिर में भगवान शिव के जिस रूप की पूजा होती थी, उसे “अचलेश्वर’ नाम से जाना जाता है। ये परमार वंशीय शासकों के कुल देवता थे। 

शिव मंदिर में शिवलिंग नहीं है, यहां एक गड्ढ़ा है, जिसे ‘ब्रह्मखड्ढ़’ कहा जाता है। यहां पर शिव के पैर का अंगूठा प्रतीकात्मक रूप से मौजूद हैं। मंदिर के पास मंदाकिनी कुंड है। इस कुंड के किनारे सिरोही के महाराजा मानसिंह की छतरी है। महमूद बेगड़ा ने इस मंदिर की कुछ मुर्गियों को तोड़ दिया था, जो आज भी वहां है। 

इतिहास के अनुसार महमूद बेगड़ा जब अचलेश्वर की भगवान शिव, नंदी और पार्वती की मूर्तियों को खंडित करके वापस लौट रहा था तो देविय प्रकोप हुआ, और मधुमक्खियों का एक बड़ा दल आक्रमणकारियों पर टूट पड़ा, और उनके गलत काम का फल उन्हें दे दिया। इस घटना की याद में वो जगह आज भी ‘भंवराथल’ के नाम से जानी जाती हैं। 

राजस्थान का सबसे पुराना कुचामन का किला (Rajasthan ka sabse purana Kuchaman ka Kila)

कुचामन का किला एक बहुत ही ऊंची पहाड़ी पर बना है। ये किला राजस्थान के इतिहास में सबसे पुराना किला है। नागौर जिले की नावां तहसील में स्थित कुचामन पूर्व जोधपुर रियासत में मेड़तिया राठौड़ों का ठिकाना था, जो न केवल अपने शासकों की वीरता और बलिदान की घटनाओं के लिए ही जाना जाता है बल्कि अपने भव्य और सुंदरता के लिए भी जाना जाता है। हालांकि, आज के वक्त में यह किला बहुत पुराना पड़ चुका है, पर इस राजस्थान के किले की वास्तु कला देखने में बहुत दिलचस्प है।

कुम्भालगढ़ किला और दीवार (Kumbhalgarh Kila aur deewar)

कुमालगढ़ किला मेवाड़ का एक किला है, यहां महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। इस किले को महाराजा राणा कुम्भा ने बनवाया था। इस किले को इस तरह बनाया गया है कि आज तक कोई भी दुश्मन इस किले पर विजय नहीं पा सका है। इसका एक खास कारण इस किले की दीवार भी है, जो कि बहुत ही ज़्यादा ऊंची है। कहा जाता है कि चीन की दीवार के बाद, ये दीवार है जो विश्व में सबसे ऊंची बनी हुई है। इस दीवार को ‘भारत की महान दीवार’ भी कहा जाता है। साथ ही इस किले को भी ‘मेवाड़ किले’ के नाम से भी जाना जाता है। इस किले के ऐतिहासिकता के बारे में बात करें तो ऐसा बताया जाता है कि इस किले को बनने में 15 साल का लंबा वक्त लगा था। 

जूनागड़ किला है चिंतामणि (Joonagadh Kila hai chintamani)

राजस्थान के बीकानेर में बना ये किला ‘चिंतामणि’ नाम से भी जाना जाता है। 20वीं सदी में इस किले का नाम बदलकर ‘जूनागढ़ किला’ या ‘पुराना किला’ कर दिया गया था। एक समय पर ये किला पुराने पत्थरों से बना हुआ था, लेकिन बाद में इस किले को भव्य और सुंदर वास्तुकला शैली में बदल दिया गया है। इस किले में और भी कई सुंदर और बड़े महल बने हुए हैं। किले की पूरी संरचना उन राजाओं से प्रभावित है, जो किले पर राज कर चुके हैं। 

जूनागढ़ किला खास तौर पर लाल पत्थर से बन हुआ है और किले के महलों की दीवारें सुंदर संगमरमर के पत्थरों से बनी हुई हैं। ये इमारत सच में बहुत खूबसूरत है, इसको देखने और तस्वीरें लेने का मज़ा अलग ही होता है।

रणथम्बोर किला था शिकारगाह (Ranthambore Kila tha shikargaah)


रणथंभौर का किला सवाई माधोपुर नगर के पास, रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के अंदर बना हुआ है। भारत को आज़ादी मिलने तक ये किला जयपुर के महाराजाओं का शिकारगाह होता था। ये एक ऐसा किला है, जिसपर जीत पाना आसान नहीं था। ये किला राजस्थान के ऐतिहासिक विकास का केंद्र बिंदु रहा है और इस किले को अब यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में भी शामिल कर दिया गया है। कहा जाता है कि इस किले को चौहानों ने बनवाया था, लेकिन 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत ने इस पर कब्ज़ा कर लिया था। आज ये किला पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां लाखों पर्यटक किले में बने मंदिरों के दर्शन करते हैं।

बेहद खूबसूरत है नीमराना दुर्ग (Behad khubsurat hai Neemrana Durg)

नीमराना किला अलवर जिले के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। हालांकि, अलवर जिले में नीमराना नाम का एक पूरा शहर मौजूद हैं, जहां सबसे खास है नीमराना दुर्ग किला। इस खूबसूरत किले को राजा निमोला मेउ ने बनवाया था।

अगर आप एक रोमांटिक और दिलचस्प जगह का आनंद लेना चाहते हैं, तो इसके लिए ये किला बहुत अच्छी जगह है। इस किले को घूमकर आपको ऐसा लगेगा कि आप दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक जगह का आनंद ले रहे हैं, साथ ही आपको रॉयल फील भी होगा। 

यह किला लगभग 10 मंजिला बना हुआ है, जिसके अंदर कई कमरे हैं। इस किले की संरचना खूबसूरत लाल पत्थरों से बनाई गई है। इस किले की वास्तुकला बेहद खूबसूरत है, किले की दीवारों को कई खूबसूरत डिजाइन और शिलालेखों से सजाया गया है। घूमने और ऐतिहासिक जगहों का मज़ा लेने वालों के लिए, यहां आना बहुत मज़ेदार साबित होता है।

अगर आप भी राजस्थान घूमने की सोच रहे हैं तो फिर सोचिए मत बस जल्दी से आकर यहां के राजस्थान के किले या राजस्थान के ऐतिहासिक किलों की खूबसूरती का आनंद लीजिए। 

आर्टिकल पर कमेंट में फीडबैक ज़रूर दें। ऐसे ही और जानकारी से भरे आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा से जुड़े रहें।