धार्मिक स्थल के रूप में बनास नदी के किनारे बसा नाथद्वारा

धार्मिक स्थल के रूप में बनास नदी के किनारे बसा नाथद्वारा

वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख मंदिर अरावली की खूबसूरत वादियों में बनास नदी के किनारे है। यहां के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण सात साल के बालरूप में विराजमान हैं। यहां भगवान की गोवर्धन धारी प्रतिमा है।

राजस्थान का नाम सुनते ही जो हमारे मन में जो सबसे पहली तस्वीर बनती है, वो है किला, राजपूती रियासत और रेगिस्तान की। राजस्थान की पहचान तो इन्हीं से है। इन्हीं को देखने देश-विदेश से लाखों टूरिस्ट यहां पहुंचते हैं। लेकिन, कई लोग अनजान हैं कि राजस्थान कई पवित्र स्थलों का ठिकाना भी है। यहां कई पौराणिक मंदिर और मठ भी हैं। ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर श्रीनाथजी का है, जो राजसमंद जिले के नाथद्वारा में है। नाथद्वारा का अर्थ होता है श्रीनाथजी के प्रवेश का द्वार यानी भगवान के आगमन का दरवाज़ा।

वैष्णव संप्रदाय का यह प्रमुख मंदिर, अरावली की खूबसूरत वादियों में बनास नदी के किनारे बसा है। यहां के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण सात साल के बाल रूप में विराजमान हैं। यहां भगवान की गोवर्धन धारी प्रतिमा है। 

हालांकि, इससे पहले भी मैं कई बार राजस्थान की यात्रा पर जा चुका था, मगर हर बार किसी न किसी किले या फिर शहर की सैर करके लौट चुका था। लेकिन, इस बार मैं आध्यात्मिक यात्रा के लिए पहुंच गया था नाथद्वारा। यह जगह भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी एक धार्मिक पयर्टन स्थल के रूप में जाना जाती है। 

तो चलिए मेरे साथ, मैं आज आपको राजस्थान के नाथद्वारा की सैर करवाता हूं, जो प्राकृतिक सुंदरता का खज़ाना है।

कैसा है नाथद्वारा शहर? (Kaisa hai Nathdwara shahar?)

नाथद्वारा झीलों की नगरी कहे जाने वाले उदयपुर से 45 किमी दूर है। नाथद्वारा शहर के धार्मिक स्थल होने के कारण यहां का एक कोना आपको शांतिमय लगेगा, वहीं किसी दूसरे छोर पर आपको लोगों की हलचल मालूम पड़ेगी। इस शहर में घूमने के लिए कई जगहें हैं जैसे हल्दीघाटी, महाराणा प्रताप स्मारक, मोलेला टेराकोटा गांव, कुम्भलगढ़ किला, शिव जी की विशाल मूर्ति ‘विश्वास स्वरूपम्’ और कई लोकप्रिय मंदिर। लेकिन, इस शहर में आकर्षण का जो सबसे बड़ा केंद्र है, वो है श्रीनाथजी मंदिर। इस मंदिर से कई कहानियां जुड़ी हुई हैं और हर साल इस मंदिर के दर्शन के लिए नाथद्वारा में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। चलिए आज हम इस आर्टिकल में नाथद्वारा में बसे श्रीनाथजी मंदिर के बारे में जानेंगे।

मेवाड़ के महाराणा ने बनवायी थी नाथद्वारा के श्रीनाथजी की हवेली (Mewar ke maharana ne banwayi thi nathdwara ki Shrinathji ki haveli)

नाथद्वारा में श्रीनाथजी हवेली में रहते हैं। इस हवेली को मेवाड़ के महाराणा राज सिंह ने बनवाया था। इस मंदिर में भगवान की आठ बार अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है। यहां पूरे देश से श्रद्धालु मत्था टेकने के लिए आते हैं। भक्त मानते हैं कि यहां जो भी लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं, उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर को लेकर कई कहानियां और किवदंतियां बहुत ही प्रचलित हैं। 

कहा जाता है कि जब औरंगजेब मथुरा में मंदिर तुड़वा रहा था, तो भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की प्रतिमा लेकर वैष्णव संप्रदाय के लोग मेवाड़ आए थे। उस समय मेवाड़ के महाराणा जय सिंह ने वैष्णव संप्रदाय के लोगों को मूर्ति की रक्षा करने का वचन दिया था। इसके बाद मेवाड़ में मूर्ति की पूजा शुरू हुई। नाथद्वारा में श्रीनाथजी की हवेली राजस्थानी वास्तुकला की सबसे बेहतरीन कृतियों में से एक है। 

प्रभु श्रीनाथजी को दी जाती है 21 तोपों की सलामी (Prabhu Shrinathji ko di jaati hai 21 topon ki salami) 

नाथद्वारा जब मैं पहुंचा तो यहां के लोगों ने एक आश्चर्यचकित कर देने वाली कहानी सुनाई। लोगों ने बताया कि यहां भगवान को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इससे पहले मैं तोपों की सलामी वाली बातें सिर्फ रिपब्लिक डे पर, कर्तव्य पथ पर देने की ही बात सुनी थी, लेकिन यहां तो भगवान को भी तोपों की सलामी दिये जाने की बात पता चली। यहां भगवान कृष्ण का जन्मदिवस बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। कृष्ण जन्मोत्सव पर रात के 12 बजे बैंड बाजा और बिगुल बजाकर कर खुशियां मनाई जाती है। नाथद्वारा में श्रीनाथजी का प्रतिमा दुर्लभ काले संगमरमर की बनी हुई है। 

औरंगजेब की मां ने भेंट किया था डायमंड (Aurangzeb ki maa ne bhent kiya tha diamond) 

वैसे तो श्रीनाथजी मंदिर के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन कुछ इसमें से बहुत ही फेमस हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार मुगल शासक औरंगजेब की मां ने मंदिर में डायमंड भेंट किया था, जो भगवान की प्रतिमा में ठुड्डी में विराजमान है। यहां भगवान को 56 प्रकार के भोग लगते हैं, जिसको बनाने के लिए हर रोज़ 125 मन चावल लगता है। यह मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से भी एक है। इस मंदिर की एक और खास बात है कि यहां भगवान की बाल रूप की प्रतिमा है, इसलिए भक्त यहां भगवान को खिलौना भी चढ़ाते हैं। 

इस आर्टिकल के माध्यम से सोलवेदा हिंदी ने आपको नाथद्वारा के श्रीनाथजी के मंदिर की यात्रा करवाई। यह आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। इसी तरह की और भी धार्मिक् यात्रा पर चलने के लिए जुड़े रहें सोलवेदा हिंदी से।

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