तीर्थयात्रा

जीवन का अर्थ समझने के लिए करें तीर्थयात्रा

आत्मा की शुद्धि के लिए की जाने वाली धार्मिक यात्रा ने लंबा सफर तय किया है। लेकिन एक बात तो तय है कि तीर्थयात्रा करने वाले व्यक्ति के जीवन को बदलने वाला इसका प्रभाव आज भी वही है।

सदियों से लोग ऐसी कठिन और दूभर यात्राएं करते आए हैं, जिन्हें आमतौर पर धार्मिक यात्रा का नाम दिया जाता है। पहला यह एक धार्मिक यात्रा भी हो सकती है, जो लोगों को आत्म ज्ञान पाने के लिए प्रोत्साहित करती है। दूसरा भौतिक यात्रा भी हो सकती है, जो उन्हें रोजमर्रा की ज़िंदगी से कुछ देर के लिए छुटकारा दिलाती है। तीसरा किसी पवित्र स्थान की भक्ति भाव से की गई यात्रा भी हो सकती है। पर सवाल यह है कि आखिर यह यात्रा किस लिए? आखिर तीर्थयात्रा के मायने क्या हैं?

साधारण व्यक्ति के मन में तीर्थ स्थल पर जाने का ख्याल आते ही, जो पहली तस्वीर उभरती है, उसमें तेज़ गर्मी में पहाड़ों पर चढ़ते लोग, पवित्र स्थानों के आसपास जमी भीड़, पथरीले रास्तों पर नंगे पैर चलते यात्री, असहनीय मौसम से मुकाबला करते लोग, जो भगवान की तलाश में या जीवन का सार खोजते रहते हैं… कुछ ऐसा ही ख्याल आता है

हालांकि, बदलते वक्त के साथ इस प्रकार के सफर के मायने भी बदल गए हैं। 

तीर्थयात्रा का मतलब मंजिल को पाना या मुहिम (Teerthayatra ka matlab manzil ko pana ya muhim)  

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार तीर्थयात्रा (Pilgrimage) का अर्थ है, एक ऐसी यात्रा जो विशेष रुचि वाले स्थान की हो या इसे आप जीवन यात्रा के रूप में भी देख सकते हैं। इसकी उत्पत्ति पुराने फ्रांसिसी शब्द, पेलेरिनागे (पिल्ग्रमिज) से हुई है। इसका लोग अपनेअपने हिसाब से अर्थ निकालते रहते हैं। केवल एक बात समान होती है वह यह कि धार्मिक स्थान पर जाने वालों के जीवन पर इसका प्रभाव ताउम्र बना रहता है।

अक्सर धर्म से जुड़े होने पर भी तीर्थयात्रा अब मात्र किसी धार्मिक स्थान की यात्रा नहीं रह गई है, बल्कि यह आत्मा के लिए की जाने वाली यात्रा बन गई है। यह दादादादी के घर पहुंचकर अपने बचपन की यादों को ताजा करने वाले व्यक्ति की यात्रा भी हो सकती है। या फिर कोई परेशान व्यक्ति थकान मिटाने के लिए हिमालय के पहाड़ों पर समय बिताना चाहे, तो उसे भी तीर्थयात्रा कहा जा सकता है। एक बच्चा, जिसकी डिज्नीलैंड देखने की इच्छा हो, वह भी तीर्थयात्री हो सकता है। या फिर प्रकृति की गोद में बुढ़ापा गुजारने को उत्सुक बुजुर्ग ही क्यों न हो। इसके अलावा कोई म्यूजिक फेस्टिवल में शामिल होने वाला संगीत प्रेमी भी हो सकता है। एक तीर्थयात्री आप भी हो सकते हैं और मैं भी।

तीर्थयात्री के लिए महत्व रखने वाला कोई भी स्थान तीर्थयात्रा हो सकता है। वहां पहुंचने वाली यात्रा उत्साहवर्धक और प्रेरणा देने वाली भी हो सकती है। यह आपकी आंखें और दिमाग खोलने वाली साबित हो सकती है। इससे आपको आपके आसपास की दुनिया से मुलाकात करने का मौका भी मिल सकता है। यह शरीर के लिए तो गहरा अनुभव हो सकता है या फिर आत्मा के लिए गहन अनुभव भी।

तो आगे बढ़िए, धार्मिक यात्रा कीजिए। इस बार एक यात्रा अपनी आत्मा के लिए कीजिए।

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