हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व है। वेद-पुराणों में भी चार धाम यात्रा की बखूबी चर्चा की गई। ऐसी मान्यता है कि जो इंसान चार धाम की यात्रा करता है, भगवान उसके हर तरह के पाप माफ करते हैं और परेशानी को दूर करते हैं। साथ ही भक्त यह भी मानते हैं कि इंसान जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।
हिंदू धर्म के ये चार पवित्र धाम चार दिशाओं में स्थित है। जहां उत्तर में बद्रीनाथ, तो दक्षिण में रामेश्वरम है, वहीं पूर्व में जगन्नाथ पुरी और पश्चिम में द्वारका धाम है। प्राचीन काल से ही ये चार धाम तीर्थ स्थान के रूप में प्रसिद्ध रहें हैं, पर इनके महत्व का प्रचार-प्रसार जगत गुरु शंकराचार्य ने किया था। हर साल लाखों श्रद्धालु चार धाम की यात्रा कर के भगवान के दर्शन करते हैं।
ऐसे में आइए सोलवेदा के इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं आखिर चार धाम की यात्रा हिंदुओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है और इनसे जुड़े कौन-कौन से रहस्य हैं?
चार धाम यात्रा का महत्व (Chaar dhaam yaatra ka mahatv)
ऐसी मान्यता है कि चार धाम यानी बद्रीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी और द्वारका धाम, वह स्थान है, जहां दिव्य आत्माएं वास करती हैं। हिंदू धर्म में इन चारों ही धाम को बहुत पवित्र स्थान माना गया है। कहते हैं कि बद्रीनाथ सृष्टि का आठवां वैकुंठ है, जहां भगवान विष्णु छह महीने निद्रा में रहते हैं और छह महीने जागते हैं। वहीं, केदारनाथ को भगवान शिव शंकर के आराम करने का स्थान बताया गया है। केदारनाथ में दो पर्वत है- नर और नारायण। विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की यह तपोभूमि है। इनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर केदारनाथ में देवाधिदेव महादेव ने दर्शन दिए थे।
हिंदू धर्म के प्रमुख धाम और उनसे जुड़ी मान्यताएं (Hindu dharm ke pramukh dhaam aur unse judi maanyataein)
बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham)
बद्रीनाथ हिंदुओं का पवित्र धाम है। यह तीर्थ स्थल भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है, जो उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। ऐसी मान्यता है कि चार धाम में से एक बद्रीनाथ की स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने की थी। बद्रीनाथ में नर-नारायण की पूजा होती है और हमेशा अखंड दीप जलता रहता है।
यहां पर श्रद्धालु तप्त कुंड में स्नान कर के भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। इस मंदिर में भगवान विष्णु को प्रसाद स्वरूप वनतुलसी की माला, चने की कच्ची दाल, गिरी का गोला और मिश्री आदि चढ़ाया जाता है। बद्रीनाथ मंदिर के कपाट अप्रैल के आखिरी या मई के शुरुआती दिनों में दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। लगभग 6 महीने तक पूजा के बाद नवंबर के दूसरे सप्ताह में मंदिर के पट फिर से बंद कर दिए जाते हैं।
रामेश्वरम धाम (Rameshwaram Dham)
रामेश्वरम धाम तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह मंदिर समुद्र तट के किनारे होने के कारण बेहद खूबसूरत दिखता है। रामेश्वरम धाम भगवान शिव को समर्पित है। इस तीर्थ स्थल पर भगवान शिव की उपासना लिंग रूप में की जाती है।
रामेश्वरम धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, जो हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ एक सुंदर शंख आकार द्वीप है। कहते हैं कि भगवान राम ने ही रामेश्वरम शिवलिंग की स्थापना की थी। चार धाम में से एक रामेश्वरम में लाखों श्रद्धालु हर साल दर्शन करने आते हैं।
जगन्नाथपुरी धाम (Jagannathpuri Dham)
जगन्नाथपुरी धाम वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख मंदिर है। यह भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर में तीन मुख्य देवी-देवताओं की प्रतिमा है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा हैं।
जगन्नाथपुरी धाम वेद-पुराणों में बताई गई सात पवित्र पुरियों में एक है। यहां हर साल रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इसमें दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु आते हैं और भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचते हैं। कहते हैं कि इस रथ को खींचने से भक्तों को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
द्वारिका धाम (Dwarka Dham)
द्वारिका पुरी को चार धामों में से एक माना गया है। यह गुजरात के पश्चिमी तट पर समुद्र के किनारे स्थित है। यह धाम भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह तीर्थ पुराणों में बताई गई मोक्ष देने वाली सात पुरियों में से एक है।
ऐसी मान्यता है कि इसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था। स्थानीय लोगों और कुछ ग्रंथों की मानें, तो मूल द्वारका तो पानी में समा गई, लेकिन कृष्ण की इस भूमि को आज भी पूज्य और पवित्र माना जाता है। इसलिए द्वारका धाम में श्री कृष्ण स्वरूप की उपासना की जाती है।
चार धाम यात्रा से होने वाले लाभ (Chaar dhaam yaatra se hone vaale laabh)
मोक्ष की प्राप्ति
कहते हैं कि चार धाम की यात्रा के दौरान अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो यह अत्यंत शुभ होता है। इन धामों की यात्रा करने से इंसान को जन्म-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल जाता है और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
बद्रीनाथ के बारे में कहा जाता है कि ‘जो जाए बदरी, वो न आए ओदरी’ यानी जो एक बार बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है, उसे उदर यानी गर्भ में नहीं जाना पड़ता। शिव पुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का पूजन कर के वहां का जल पी लेता है, उसका दोबारा जन्म नहीं होता है।
नए-नए अनुभवों का सामना
चार धाम की यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को काफी पैदल चलना पड़ता है। पैदल चलने से काफी ऊर्जा लगती है। इससे इंसान का शरीर सुगठित और पुष्ट होता है। इसके अलावा इस यात्रा से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। चार धाम की यात्रा करने से व्यक्ति को हर तरह की जलवायु का सामना करना पड़ता है, जिसके चलते वह काफी सेहतमंद बना रहता है और नए-नए अनुभव प्राप्त करता है।
चार धाम की यात्रा करने से व्यक्ति को नए अनुभव तो होते ही हैं, साथ ही स्मृतियां और सकारात्मक सोच भी बढ़ती है। और तो और यह यात्रा करने से देश की प्रकृति, गांव और कस्बों के अलग-अलग नज़ारे देखने को मिलते हैं।
बौद्धिकता और आत्मज्ञान के रास्ते खुलते हैं
हिंदू धर्म में चार धामों की तीर्थ यात्रा करने से व्यक्ति देश के अलग-अलग लोग, भाषा, इतिहास, धर्म और परंपरा आदि से परिचित होता है। इससे वह बौद्धिकता और आत्मज्ञान के रास्ते भी खोल लेता है। अधिकतर लोग बुढ़ापे में तीर्थ यात्रा के लिए जाते हैं, लेकिन जो जवानी में ही तीर्थ यात्रा पर जाता है, माना जाता है कि उसने सब कुछ हासिल कर लिया है।
देश और धर्म के बारे में मिलती है जानकारी
तीर्थ यात्रा करने से व्यक्ति को देश और धर्म के बारे में कई बातें जानने को मिलती है। मंदिर में मौजूद पंडितों से मिलकर अपने कुल खानदान के बारे में जानने का अवसर मिलता है। यदि आप उनके आश्रम में ठहरते हैं, तो आपको उनसे मिलने का मौका मिलता है।
अलग-अलग संस्कृति और धर्मों की जानकारी
चार धाम की यात्रा के दौरान व्यक्ति को अलग-अलग संस्कृति, धर्म, भाषा और भोजन के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। यात्रा के दौरान व्यक्ति को अलग-अलग लोगों से मिलने का अवसर मिलता है, जिनके ज़रिए वो जान सकते हैं कि लोगों के और उनके विचार कैसे हैं? यात्रा करने से व्यक्ति के जीवन में कई रंग भर जाते हैं।
इस आर्टिकल में हमने आपको चार धाम यात्रा के बारे में बताया। साथ ही आपने यह भी जाना कि इस यात्रा को करने से क्या लाभ होते हैं। इस तरह के और भी लेख पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी से जुड़े रहें।