आज के वक्त में लोग तरह-तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। एक वक्त तक अंग्रेजी दवाओं का बोलबाला था। होम्योपैथी दवाओं का भी कई लोग इस्तेमाल कर ज़रूर रहें थे, लेकिन एलोपैथी पर भरोसा होम्योपैथी से कहीं अधिक था। हालांकि, अब लोग एलोपैथी चिकित्सा की जगह, अपनी बीमारियों का इलाज होम्योपैथी में ढूंढने लगे हैं। होम्योपैथी रासायनिक विधियों द्वारा छोटी-छोटी सफेद चीनी की गोलियों में मिलाकर दी जाने वाली दवाएं होती हैं। इनका कोई साइड-एफ़ेक्ट नहीं होता है।
हम शुरुआत से ही कोई भी दर्द या तकलीफ होने पर केमिस्ट की दुकान पर मिलने वाली बड़ी-बड़ी रंग-बिरंगी दवाइयां खाकर, अपना इलाज कर लेते हैं। मगर, अब बहुत से लोग खुद पर होम्योपैथी के अच्छे प्रभाव देखकर, होम्योपैथी की तरफ बढ़ने लगे हैं। होम्योपैथिक चिकित्सा का प्रचार करने के लिए और होम्योपैथी दवाओं के माध्यम से लोगों को बीमारियों से निजात दिलाने के लिए, विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है।
चिकित्सा की दुनिया में होम्योपैथी का इतिहास लंबा रहा है। तो चलिए जानते हैं विश्व होम्योपैथी दिवस (World Homeopathy Day) के इतिहास और इससे संबंधित कुछ ज़रूरी बातों के बारे में।
होम्योपैथी क्या है? (Homeopathy kya hai?)
होम्योपैथी अलग-अलग तरह की बीमारियों के इलाज की दवा है। आयुर्वेद के द्वारा उपचार हो या एलोपैथ के द्वारा इलाज, लोग इनपर काफी भरोसा करते हैं। इलाज के इन तरीकों की तरह, होम्योपैथी पर भी बहुत लोग भरोसा करते हैं। इस उपचार विधि को ज़्यादातर लोग बीमारियों का जड़ से इलाज कराने के लिए इस्तेमाल करते हैं और इसको बहुत फायदेमंद बताते हैं। होम्योपैथी का कोई नुकसान नहीं होता है और न ही ये शरीर के अन्य अंगों को कोई परेशानी पहुंचाता है। इसके अलावा होम्योपैथी में सर्जरी का कोई डर नहीं होता है। इसलिए होम्योपैथिक उपचार को सबसे सुरक्षित माना जाता है।
कितनी असरदार है होम्योपैथी? (Kitni asardar hai Homoeopathy?)
जहां ऐलोपैथिक दवाओं का भर-भर के सेवन किया जाता है, वहीं अब होम्योपैथिक उपचार ने भी चिकित्सा की दुनिया में अपनी जगह बना ली है। ऐलोपैथिक दवाओं की गोलियां हमें तुरंत आराम तो दे देती हैं, पर लंबे समय तक इन दवाओं का सेवन करते रहने से हमारे शरीर में जाने-अनजाने में बहुत-सी बीमारियां पनप सकती हैं।
वहीं होम्योपैथी की दवाएं किसी भी बीमारी को बहुत धीरे-धीरे खत्म करती हैं, पर धीरे-धीरे असर करने वाली ये दवाएं, उस बीमारी को जड़ से खत्म करने की ताकत रखती हैं। अगर हम होमियोपैथिक दवाओं की मदद लेते हैं, तो हमें सर्जरी की ज़रूरत नहीं पड़ती। तभी तो लोग आज-कल बीमारियों से दूर रहने के लिए या फिर उनके उपचार के लिए अन्य तरीकों को छोड़कर, होम्योपैथिक चिकित्सा अपना रहे हैं।
हालांकि, बीते वक्त में लोग होम्योपैथी से बिल्कुल अनजान थे। हमें हमेशा से जिस तरह की दवाएं लेने को कहा जाता है, हम वही दवाएं खाते आ रहे थे। पर धीरे-धीरे होम्योपैथी का प्रचार बढ़ा, लोगों ने इसके सेवन के बाद खुद पर अच्छे परिणाम देखें और होम्योपैथिक को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। आज कई लोगों के लिए होम्योपैथिक दवाएं और होम्योपैथिक डॉक्टर बहुत अहम बन गए हैं।
हम बता दें कि आज भी कुछ लोग होम्योपैथी पर पूरा यकीन करते हैं तो कुछ नहीं। लेकिन, यह भी झूठ नहीं है कि होम्योपैथी ने कई ज़िंदगियां बदलीं हैं।
क्या है होम्योपैथी दिवस का इतिहास? (Kya hai Homeopathy Divas ka itihaas?)
जर्मन चिकित्सक और केमिस्ट सैमुअल हैनीमैन (1755-1843) के होम्योपैथी को पूरी तरह से परखने और इसमें सफल होने के बाद, 19वीं शताब्दी में होम्योपैथी को पहली बार प्रमुखता मिली। लेकिन, सैमुअल हैनीमैन (Christian Friedrich Samuel Hahnemann) से पहले 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में ‘हिप्पोक्रेट्स’ (Hippocrates) होम्योपैथी की नींव रख चुके थे। इसलिए हिप्पोक्रेट्स को ‘चिकित्सा के जनक’ की उपाधि मिली हुई है।
हिप्पोक्रेट्स ने होम्योपैथी को पेश तो कर दिया था, लेकिन होम्योपैथी उपचार का उपयोग सैमुअल हैनीमैन के काल से हुआ, क्योंकि जब तक हिप्पोक्रेट्स ज़िंदा रहे, केवल तब तक ही लोगों ने होम्योपैथी को सराहा। हिप्पोक्रेट्स की मृत्यु के बाद लोग होम्योपैथिक उपचार को भी भूल गए। तब इतनी शताब्दियों बाद, सैमुअल हैनीमैन ने होम्योपैथिक उपचार को दोबारा जन्म दिया और उन्हीं की वजह से आज हम होम्योपैथिक उपचार से बहुत से लोगों को ठीक होता देख पा रहे हैं। सैमुअल हैनीमैन के इतने बड़े योगदान को ध्यान में रखते हुए, साल 2005 से, उनके जन्मदिन को विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कब और क्यों मनाया जाता है होम्योपैथी डे? (Kab aur kyun manaya jata hai Homeopathy Day?)
होम्योपैथी दिवस या विश्व होम्योपैथी दिवस हर साल 10 अप्रैल को जर्मन फिजिशियन और कैमिस्ट, सर स्कॉलर सैमुअल हैनीमैन के जन्मदिन के दिन, उनके सम्मान में मनाया जाता सैमुअल हैनीमैन ने पूरे विश्व में होम्योपैथिक चिकित्सा का स्वागत किया था।
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