अक्सर जब भी सुंदरता का नाम आता है तब हम बाहरी सुंदरता के बारे में ज़्यादा सोचते हैं। हमारा ध्यान होता है हमारा चेहरा कैसा दिख रहा है, हमारे बाल कैसे लग रहें हैं या फिर हम पर कोई ड्रेस कैसी लग रही है। मगर आजकल आंतरिक सुंदरता पर भी लोगों का ध्यान जाने लगा है। लोग अब समझ रहें हैं कि बाहरी सुंदरता हो न हो लेकिन आंतरिक सुंदरता ज़रूर मायने रखती है। लेकिन, देखा जाए तो बाहरी सुदंरता पूरी तरह से नज़रिए पर निर्भर करती है, जैसे कई भारतीय सांवले रंग को पसंद नहीं करते हैं लेकिन यही सांवला रंग पाने के लिए विदेशी ‘सन टैन’ करते हैं।
जबकि इसके विपरीत आंतरिक सुंदरता पूरी तरह से व्यक्ति के कर्मों, उसके व्यवहार और उसकी बोली से झलकती है। अगर कोई दिन-भर गालियां देता रहे, मारपीट करें, गलत आदतें पाले, दूसरों का मज़ाक उड़ाए तो वह आंतरिक रूप से कभी सुंदर नहीं हो सकता है। आंतरिक रूप से सुंदर वो व्यक्ति है जो विनम्र हो, प्यार बांटना जानें, सभ्य भाषा बोले और दूसरों की मदद से पीछे न हटे।
बाहरी सुंदरता को संवारने के लिए हम कई तरह के प्रोडक्ट्स का सहारा लेते हैं, वहीं आंतरिक सुंदरता हमारे अच्छे आचरण से ही निखर सकती है। ज़िंदगी में थोड़े से बदलाव अगर आप ले आएं और स्वस्थ जीवन जीने की कला सीख जाएं तो आप बाहरी सुंदरता और आंतरिक सुंदरता दोनों ही निखार सकते हैं। तो चलिए जानते हैं स्वस्थ जीवन जीने की कला कैसे संवारेगी बाहरी सुंदरता और आंतरिक सुंदरता।
आंतरिक सुंदरता और बाहरी सुंदरता में से कौन है बेहतर? (Inner Beauty aur Outer Beauty mein se kaun hai behtar?)
आपने लोगों को कहते सुना होगा कि “चेहरा कैसा भी हो मन अच्छा होना चाहिए।” हां, मन बिल्कुल अच्छा होना चाहिए लेकिन आप खुद को खूबसूरत भी लगने चाहिए। हमसे अगर सबसे पहले कोई प्यार करे तो वो हम खुद होने चाहिए। जब आप खुद को खूबसूरत नहीं लगेंगे तब तक दुनिया को भी नहीं लगेंगे। सुंदरता के मायने सबके लिए अलग है। लेकिन, जब आप आंतरिक रूप से खूबसूरत होते हैं तो अंदर की सुंदरता ही बाहरी सुंदरता बन जाती है।
स्वस्थ जीवन जीने की कला कैसे संवारेगी बाहरी सुंदरता? (Swasth jeevan jeene ki kala kaisa sanwaregi bahari sundarta?)
बाहरी सुदंरता है अर्थ है जो चीज़ बाहरी रूप से सुंदर दिखे। आपकी स्किन गलो करें, आपके बाल मजबूत हों, आपका शरीर रोग मुक्त और आकर्षक हो। लेकिन, क्या इसके लिए हमें सच में ढेर सारे ब्यूटी प्रोडक्ट्स की ज़रूरत है? नहीं! क्योंकि बाहरी सुंदरता हमारी जीवनशैली से पूरी तरह जुड़ी हुई है। इसे आप आसानी से नोटिस कर सकते हैं।
अगर आपकी लाइफस्टाइल हेल्दी और एक्टिव नहीं है तो आईने के सामने खड़े होकर अपनी एक तस्वीर लें। अब अगले दिन इस तस्वीर को बदलने के काम में लग जाएं यानी स्वस्थ जीवन जीने की कला को सच करने में। हर दिन सुबह जल्दी उठें, एक घंटे एक्सरसाइज करें, हेल्दी खाना खाएं, अपने काम को सही वक्त पर खत्म करें, शाम को प्रकृति के साथ बिताऐं, योगा और ध्यान करें और पर्याप्त नींद लें। इसके अलावा अच्छी तरह ड्रेसअप करें और खुद की साफ-सफाई और अपने घर की साफ पर भी ध्यान दें और खुश रहना (Khush rehna) सीखें। तीन महीने ये रूटीन बिना रुके फॉलो करें। आखिर में फिर एक तस्वीर लें। अब इस तस्वीर को तीन महीने पहले की तस्वीर से तुलना करके देखें। आप खुद को बेहतर, अधिक खुश, ज़्यादा फिट, अधिक सुंदर नज़र आएंगे।
स्वस्थ जीवन जीने की कला कैसे संवारेगी आंतरिक सुंदरता? (Swasth jeevan jeene ki kala kaise sanwaregi aantarik sundarta?)
आंतरिक रूप से जो लोग खूबसूरत होते हैं वो कुछ हद तक बचपन से ही ऐसे होते हैं। लेकिन, जो लोग समझते हैं कि आंतरिक सुंदरता को निखारा नहीं जा सकता, वो गलत हैं। इसके लिए आपको बस वो करना है जो दूसरों को खुशी पहले दे और आपको बाद में। स्वस्थ जीवन जीने की कला इसमें भी मदद कर सकती है। जब आप स्वस्थ जीवन जीना शुरू करते हैं तब आप अंदर से अधिक शांति और सुकून महसूस करते हैं। जब मन शांत और सुकून से भरा हो तो भाषा अपने आप मीठी हो जाती है, व्यवहार अपने आप बेहतर होता है, विनम्रता के बीज दिल में पनपने लगते हैं, मानसिक स्वास्थ्य (Mental Wellbeing) बेहतर होता है और दूसरों की मदद करने के लिए हम अपने आप तैयार रहते हैं।
अस्वस्थ जीवनशैली में हमें अंधकार में ले जाती है और स्वस्थ जीवन जीने की कला हमें बाहरी और आंतरिक रूप से सुंदर बनाती है। आपको आर्टिकल कैसा लगा, हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। आर्टिकल को उन लोगों के साथ शेयर करें जो आपको आंतरिक और बाहरी दोनों ही रूप में सुंदर लगते हैं। ऐसे ही आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी से जुड़ें रहें।