हमारे आप-पास के पेड़-पौधे, हवा-पानी और जंतु-जानवर मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। हमारा पर्यावरण और हम एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। पर्यावरण को होने वाला कोई भी नुकसान, मानव जीवन पर सीधा प्रभाव डालता है। इस नुकसान से बचने के लिए हमें अपने पर्यावरण पर ध्यान देने की ज़रूरत है। हालांकि, बढ़ती आबादी और मशीनों के लगातार बढ़ते प्रयोगों से हमारी प्रकृति काफी खतरे में है। पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हम खुद हैं।
यूं तो जहां लोग पर्यावरण की समस्याओं की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं देते, वहीं हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जो पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए अपने-अपने स्तर पर काम कर रहे हैं और लोगों को भी इसकी ओर ध्यान देने को कह रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण की जहां भी बात आती है, तो हम ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने की बात कहकर पीछे हट जाते हैं।
पर सिर्फ पेड़ लगाने से ही नहीं और भी बहुत से उपायों से हम पर्यावरण संरक्षण कर सकते हैं। तो चलिए हम इस विश्व पर्यावरण दिवस या वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे (World Environment Day) पर सीखते हैं कि कैसे हम अपने पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस सिखाता है पर्यावरण संरक्षण (Vishva Paryavaran Divas sikhata hai paryavaran sanrakshan)
विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1972 में 5 जून से 16 जून तक एक सम्मेलन रख कर की थी। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था कि सभी लोग वैश्विक स्तर पर पर्यावरण का महत्व समझें और अपनी प्रकृति को बेहतर और प्रदूषण मुक्त बनाएं।
आज भी हर साल जब पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, तो उसका एक ही उद्देश्य होता है कि हर जन-सामान्य पर्यावरण संरक्षण को महत्व दे और अपनी तरफ से प्रदूषण मुक्त पर्यावरण बनाये। पर जैसा कि मैंने ऊपर कहा, बढ़ती जनसंख्या और लोगों का अपनी निजी ज़िंदगी में इस तरह व्यस्त रहना कि वो पर्यावरण की तरह ध्यान ही नहीं देते, ये हमारे लिए सबसे बड़ी त्रासदी है।
गाड़ियों का अंधाधुंध प्रयोग, हवा को प्रदूषित करना, जगह-जगह गंदगी और कचरा फेंकने और पेड़-पौधों को काट-काट कर नये भवन बनाना हम सबका पसंदीदा काम बन गया है। हमारे ऐसा करने से जल-वायु तो प्रभावित होती ही है, साथ ही जमीन का उपजाऊ न रहना, ग्लेशियर पिघल कर बाड़ आना और जीव-जंतुओं की प्रजातियों भी लुत्फ होती जा रही है। हमें पर्यावरण के प्रति अपने इस नकारात्मक बर्ताव को जल्द ही बदलने की ज़रूरत है। इसलिए हर साल विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में हमें पर्यावरण संरक्षण के महत्व और ज़रूरत को समझने की आवश्यकता है।
कब है वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे? (Kab hai World Environment Day?)
विश्वभर में हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। ये दिन लोगों को पर्यावरण की तरफ जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।
इन 5 तरीकों से बचा सकते हैं पर्यावरण को प्रदूषित होने से (In 5 tareekon se bacha sakte hain paryavaran ko pradushit hone se)
पर्यावरण को बचाने के लिए सिर्फ पेड़ लगाना काफी नहीं है, कुछ और तरीके अपनाना भी ज़रूरी है।
ज्यादा धुआं छोड़ने वाले वाहनों का उपयोग न करें
पेट्रोल और डीजल का धुआं पर्यावरण को दूषित कर देता है, जिससे वायु प्रदूषण फैलता है। हमें आज से ही ज़्यादा धुआं छोड़ने वाले वाहनों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। ज़्यादा ज़रूरत होने पर ही चार पहिया वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर ज़्यादा दूर नहीं जाना हो, तो पैदल चलकर या साइकिल का इस्तेमाल करके, हम वायु प्रदूषण से पर्यावरण दूषित होने से बचा सकते हैं।
कचरे को रिसाइकिल करें
घर के बाहर, आस-पास कचरा फेंक कर गंदगी फैलाने की बजाय कूड़ेदान का इस्तेमाल करें। घर में गीले और सूखे कचरे के लिए अगल-अलग कूड़ेदान रखें और जमा हुए कचड़े को घर के बगीचे में गड्ढा करके, उसके नीचे दबा दें। जिससे कचरा खाद का रूप ले लेगा और जमीन उपजाऊ बनी रहेगी।
पानी बचाएं
पानी के अंधाधुंध उपयोग से आज हमारे को पर्यावरण पानी की कमी और सूखा पड़ने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
साथ ही नदियों में कचरा फेंकने से भी पानी दूषित हो जाता है और दूषित जल से शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Wellbeing) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं।
हम अगर पानी की बर्बादी पर रोक लगा लें और जितना ज़रूरी हो, उतना ही पानी इस्तेमाल करें, नदियों को गंदा न करें, तो हम अपने पर्यावरण को जल प्रदूषण से होने वाले नुकसानों से बचा सकते हैं।
पेड़ न काटें
ये तो हम जानते ही हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने से पर्यावरण को बचाया जा सकता है, पर पहले से लगे हुए पेड़ों को न काटना भी पर्यावरण के संरक्षण के अंदर आता है। इसलिए कभी भी अपने मतलब के लिए कोई पेड़ न काटें।
रसायनिक पदार्थों का इस्तेमाल न करें
आज कल खेती की आधुनिक तकनीकों में बहुत से रसायनिक पदार्थों का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे फसल भले ही जल्दी बढ़ जाती हो, पर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है और जिसकी वजह से वो जगह दोबारा खेती करने लायक नहीं रहती। इसलिए कभी भी रसायनिक पदार्थों का इस्तेमाल न करें और पर्यावरण को प्रदूषण से होने वाले नुकसानों से बचा लें।
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