वाहनों का कभी न खत्म होने वाला शोर, ऑफिस (Office) में प्रतिदिन होने वाली चर्चाएं, घर पर तेज़ आवाज़ में संगीत (Music) सुनना, यू ट्यूब पर वीडियो देखना, पॉडकास्ट सुनना जैसी कुछ बातें ऐसी हैं, जिनकी वजह से हम निरंतर शोर का सामना करते रहते हैं। यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि इसकी वजह से न केवल आपका काम से ध्यान भटकता है, बल्कि आप तनावग्रस्त (Stressed) भी रहते हैं। शोध से पता चला है कि शोर की वजह से हमारे अंदर तनाव पैदा करने वाले हार्मोन्स बढ़ते हैं और इसकी वजह से हमारे लिए मानसिक तौर पर वह काम करना मुश्किल हो जाता है, जिसमें ज्यादा प्रयास करने अथवा कड़ी एकाग्रता की आवश्यकता होती है।
ऐसे में यह आवश्यक होता है कि हम कुछ वक्त निकाल शांति का महत्व जानें व इसका अनुभव करना सीखें। जब आप रोज़ाना भारी शोर का सामना करते हैं, तो शांति (Peace) का अनुभव करना आपको भीतर से राहत पहुंचाने वाला साबित होता है। शांति का महत्व ही है कि इससे हमारे दिमाग-शरीर को रोज़ाना की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी से कुछ देर के लिए निजात मिल जाती है। शांति का महत्व काफी अहम है, ये हमें भीतर से फ्रेश करती है। यह दिमाग के लिए भी अच्छा है। एक शोध से पता चला है कि यदि हम दो घंटे शांति के साथ गुजारते हैं, तो हमारे दिमाग में नई कोशिकाएं पनपती हैं, जिनका सीधा संबंध स्मृति का कार्य करने वाले हिप्पोकैम्पस (Hippocampus) क्षेत्र से होता है।
यदि आप यह समझना चाहते हैं कि आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी (Daily life) में शांति का महत्व क्या है, तो आपको यहां सुझाए गए तरीकों पर अमल करना होगा। इससे आपका जीवन खुशहाल और स्वास्थ्य से परिपूर्ण हो जाएगा।
सचेतन ध्यान का अभ्यास करें
सुबह उठने से लेकर रात को सो जाने तक हम सारा दिन निरंतर शोर के बीच में रहते हैं। हमें कभी-कभी ही शांति के क्षण मिलते हैं, जिसकी वजह से हम भावनात्मक रूप से थक जाते हैं। आप इससे कैसे उबर सकते हैं? इस सवाल का जवाब शायद सचेतन ध्यान करने में है, जिसे भीतर से राहत पाने का परिपूर्ण माध्यम माना गया है। इसके नाम से ही पता चलता है कि यह ध्यान करने से हमारे जीवन में सचेतन अवस्था लौटेगी फिर चाहे हम कोई भी काम क्यों न कर रहे हों। जब भी आप सचेतन होकर भोजन करना या बात करना चाहें, तो सचेतन ध्यान की तकनीक आपको इसमें आपके होश को संभालने के काम आएगी। यह न केवल आवाज़ और शोर से थके हुए आपके मन को शांति देगी, बल्कि आपको यह भीतर से भी तनावमुक्त करने में सहायक साबित होगी। इससे आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति में इज़ाफा होगा और आपको नियमित नींद आएगी तथा आपका ध्यान भी केंद्रित रह सकेगा।
शांति का महत्व जानने के लिए आप अपने व्यस्त दिन में से कुछ वक्त निकालकर सचेतन ध्यान की तकनीक को अपनाकर उसे अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बना सकते हैं। किसी एक जगह का चयन करें जहां आप आराम से बैठकर पीठ को सीधा रख सकें। इसके बाद अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने विचारों और भावनाओं को लेकर सचेत हो जाएं और इसमें परिवर्तन करने की कोई कोशिश न करें। कहने का अर्थ यह है कि आपको उसी अवस्था, उसी क्षण में रहने की कोशिश करते हुए अपने दिमाग और शरीर के साथ सामंजस्य स्थापित करना है।
रोज़ाना कुछ वक्त ऑफलाइन भी गुज़ारें
स्मार्टफोन, लैपटॉप, म्यूजिक सिस्टम और न जाने कितने ही इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (Electronic Components) के साथ हम अपना सारा दिन बिताते हैं। तकनीक आज हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई है। उसमें भी कोरोना (Corona) नामक महामारी से वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन स्कूल, कॉलेज की वजह से इजाफा ही हुआ है। लेकिन इस वजह से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से पैदा होने वाला शोर भी हमारी सेहत के लिए घातक साबित होने लगा है।
ऐसे में तकनीक आधारित रोज़मर्रा की ज़िंदगी से छुटकारा पाने और शांति के कुछ पल जीने का मौका पाने का सबसे बेहतर उपाय यह है कि हम दिन में कुछ वक्त ऐसा निकालें जब हम ऑफलाइन हो जाएं। आप शुरुआत में 10-15 मिनट का वक्त निकालें और अपनी ज़रूरतों के हिसाब से इसमें इजाफा करते जाएं। यदि आपको अपने स्मार्टफोन के पास लौटने की इच्छा हो तो ऊपर सुझाए गए सचेतन ध्यान का सहारा लेकर उससे बचने की कोशिश कर अपने मन को शांत करें। घर में मौजूद वाई-फाई को नियमित रूप से कुछ देर के लिए बंद कर दें, ताकि आपको ऑफलाइन रहने की आदत लग सके। इस आदत को बढ़ावा दें, ताकि आपको अतिरिक्त शोर से छुटकारा मिल सके और आप अपने लिए कुछ शांति के पल निकाल सकें।
प्रकृति की गोद में लौटें
प्रकृति के साथ वक्त बिताने की आदत डालें। ऐसा करने पर आपको तनाव से मुक्ति मिलेगी और शांति का महत्व जान भीतर से इसका अहसास भी होगा। ऐसा करने से रोजाना के शोर से आप दूर जा सकेंगे और आपका मन शांति का महत्व जानपाएगा। जैसे ऑफलाइन रहने को अपने जीवन का हिस्सा बनाना जरूरी है। ठीक उसी तर्ज पर यह भी आवश्यक है कि आप अपनी व्यस्त दिनचर्या में से कुछ वक्त प्रकृति के साथ बिताने के लिए निकालें, जिससे आप प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रहने का मौका अपने शरीर को दे सकें। यह जरूरी नहीं है कि आप किसी दूरदराज के क्षेत्र में घूमने जाएं। नज़दीकी पार्क अथवा जंगल का भ्रमण करने जाएं और प्रकृति के साथ रहने का आनंद लें। आप इसे नियमित जीवन का हिस्सा भी बना सकते हैं, जिसमें आप रोज़ाना हरियाली से भरे क्षेत्र में कम से कम 15 मिनट से आधा घंटा गुज़ारें।
इस काम के लिए आप सुबह जल्दी उठ सकते हैं या फिर शाम के समय वक्त निकाल सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि प्रकृति के साथ वक्त बिताते वक्त अपने स्मार्टफोन का उपयोग करने से बचें। उस वक्त केवल खुद पर ध्यान दें और रोज़मर्रा के शोर की बजाय चिड़ियों की चहचहाट और पत्तियों की मधुर आवाज़ पर ध्यान केंद्रित करें। ऐसा करने से आप शांति का महत्व व शक्ति को समझ सकेंगे।
संगीत के बगैर व्यायाम करें
महामारी के इस दौर में यह व्यायाम की शक्ति ही है, जो हमें शारीरिक रूप से तंदुरुस्त रखने में सहायक साबित हो रही है। महामारी के दौरान अधिकांश लोग आलसी हो गए हैं, जिसकी वजह से अलग-अलग बीमारियां उनमें प्रवेश कर रही हैं। अगर आप अतिरिक्त शोर से निजात पाना चाहते हैं, तो आपको अपना व्यायाम संगीत के बगैर करने की आदत डालनी होगी। जब आप बगैर संगीत के व्यायाम करने की आदत डालते हैं, तो आपको शांति का महत्व व शक्ति समझने का बेहतरीन अवसर मिलता है और आप इस बात को लेकर सचेत हो जाते हैं कि आपको शरीर के किस हिस्से पर व्यायाम के दौरान ज्यादा या कम काम करना है।
कुछ लोगों को लग सकता है कि संगीत सुनते हुए व्यायाम करने से उन्हें शारीरिक तनाव कम करने में सहायता मिलती है, लेकिन सच यह है कि जब आप रोज़मर्रा के जीवन में इतने ज्यादा शोर से घिरे हुए हैं, तो फिर शांति के साथ व्यायाम करने में ही आपकी भलाई है। ऐसा करने से ही आप व्यायाम पर ध्यान लगा सकेंगे और उसका सही लाभ शरीर के लिए हासिल कर सकेंगे। सचेतन ध्यान की तरह ही यह प्रक्रिया भी आपकी आदत का हिस्सा बनने में वक्त लेगी लेकिन यह आपको खुद के प्रति सजग करने और व्यायाम करते वक्त अन्य बातों से ध्यान हटाने में सहायक साबित होगी।
बोलें कम, सुनें ज्यादा
हम रोज़ ही बात करने में ज्यादा वक्त बिताते हैं। फिर चाहे यह बात ऑनलाइन हो रही हो या फिर ऑफलाइन। अक्सर ऐसा होता है कि हम इस बात पर ध्यान ही नहीं देते कि हम शब्दों को तोले बगैर बोलते जा रहे हैं। ज़रा सोचिए कि हम शांति से दूसरे की बात कितनी देर सुनते हैं। शांत रहने का पर्याय चुनकर न केवल हम बकवास बातें करने से बच सकते हैं, बल्कि हम उस शोर से भी दूर रह सकते हैं, जो दिन-रात हमें घेरे रहता है। घर और ऑफिस पर कुछ बात करना महत्वपूर्ण होता ही है, इसके बावजूद हम यह तो तय कर ही सकते हैं कि हम क्या बोल रहे हैं और हमें कब बोलना है।
यह आप अपने विचारों के प्रति सचेत रहकर और उनका मूल्य समझकर कर सकते हैं। बोलने के लिए ना बोलें बल्कि इसलिए बोलें कि आपके विचारों को महत्व दिया जाएगा। खुद को सुनने का मौका दें और फिर उचित निर्णय लेकर अपनी बात कहें। शांति का महत्व जानें व इसपर ध्यान देकर खुद के भीतर झांके। शांत रहने का फैसला लेकर आप कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करते हैं और अपने विचारों को एक दिशा देने का अवसर पाते हैं। ऐसा करने पर ही आप सोच समझकर बोलने वाले व्यक्ति बन सकते हैं।