राष्ट्रीय तनाव जागरूकता दिवस

साधारण-सा तनाव लंबे समय में इन 5 बीमारियों का बन सकता है कारण?

रिसर्च में पाया गया है कि लगातार तनाव में रहने वाले लोगों को हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापा जैसी समस्याओं का खतरा अधिक रहता है। यह तनाव शरीर में कोर्टिसोल जैसे हार्मोन्स के स्तर को बढ़ा देता है, जो कि लंबे समय तक बढ़े रहने पर शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है।

आज की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में तनाव एक आम समस्या बन चुका है। काम का प्रेशर, रिश्तों में खटास, पैसे की चिंता या फिर सेहत की समस्याएं, ये सब मिलकर मानसिक तनाव का कारण बन सकते हैं। हालांकि, कई बार हम इसे हल्के में लेते हैं और सोचते हैं कि यह रोज़मर्रा का हिस्सा है, लेकिन सच यह है कि लंबे समय तक बने रहने वाला यह साधारण-सा तनाव शरीर के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। तनाव का असर ना सिर्फ मानसिक रूप से हमें कमजोर बनाता है, बल्कि यह धीरे-धीरे हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालता है। 

रिसर्च में पाया गया है कि लगातार तनाव में रहने वाले लोगों को हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापा जैसी समस्याओं का खतरा अधिक रहता है। यह तनाव शरीर में कोर्टिसोल जैसे हार्मोन्स के स्तर को बढ़ा देता है, जो कि लंबे समय तक बढ़े रहने पर शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है। इसके अलावा, तनाव का सीधा संबंध हमारे इम्यून सिस्टम से भी है। जब हम लंबे समय तक तनाव में रहते हैं, तो हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता घट जाती है। इस कारण सर्दी-जुकाम से लेकर गंभीर बीमारियों तक का खतरा बढ़ जाता है। खासकर, हृदय से जुड़ी बीमारियों की संभावना अधिक रहती है, क्योंकि तनाव के दौरान ब्लड प्रेशर और हृदय गति तेजी से बढ़ती है, जिससे दिल पर दबाव बढ़ता है।

तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि तनाव के कारण हमें कौन सी बीमारियां हो सकती हैं और इससे बचने के उपाय। साथ ही हम आपको राष्ट्रीय तनाव जागरूकता दिवस (National Stress Awareness Day) के बारे में भी बताएंगे।

राष्ट्रीय तनाव जागरूकता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? (Rashtriya Tanav Jagrukta Divas kab aur kyu manaya jata hai?) 

राष्ट्रीय तनाव जागरूकता दिवस (National Stress Awareness Day) हर साल नवंबर के पहले बुधवार को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है लोगों को तनाव के कारणों, उसके प्रभावों और उसे कम करने के उपायों के बारे में जागरूक करना। तनाव एक ऐसी स्थिति है, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। भागदौड़ भरी ज़िंदगी, काम का दबाव, पारिवारिक समस्याएं या आर्थिक चुनौतियां, इन सभी कारणों से तनाव बढ़ सकता है। 

तनाव अगर लंबे समय तक बना रहे, तो इससे डिप्रेशन, चिंता, नींद की समस्या और यहां तक कि दिल की बीमारियां भी हो सकती हैं। इसलिए इस दिन का मकसद है कि लोग अपने तनाव के स्तर को समझें और उसे कम करने के लिए सही कदम उठाएं। इस दिन कई जगहों पर वर्कशॉप्स, सेमिनार और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां लोग तनाव से निपटने के तरीके सीखते हैं जैसे योग, ध्यान, व्यायाम और सकारात्मक सोच। 

तनाव इन 5 बीमारियों का बन सकता है कारण (Tanav in 5 beemariyon ka ban sakta hai karan)

हृदय रोग

तनाव और हृदय रोग के बीच सीधा संबंध है। जब हम तनाव में होते हैं, तो हमारा शरीर एड्रेनालिन और कॉर्टिसोल जैसे हार्मोन रिलीज करता है, जो दिल की धड़कन और रक्तचाप की गति को बढ़ाते हैं। लंबे समय तक यह स्थिति बने रहने से हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है, जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और हार्ट अटैक। रिसर्च के अनुसार जो लोग लंबे समय तक तनाव में रहते हैं, उनमें हार्ट अटैक का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में 25% अधिक होता है। 

डायबिटीज

जब भी हम तनाव में होते हैं, तो हमारे शरीर का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इसके अलावा कॉर्टिसोल का लेवल बढ़ने से इंसुलिन की क्षमता कम हो जाती है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। तनाव के कारण लोग अक्सर अस्वास्थ्यकर भोजन की तरफ आकर्षित होते हैं, जिससे डायबिटीज का खतरा और बढ़ जाता है। 

डिप्रेशन और चिंता

लगातार तनाव में रहने से मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। यह धीरे-धीरे डिप्रेशन और चिंता जैसे मानसिक समस्यों का कारण बन सकता है। जब इंसान लंबे समय तक मानसिक तनाव झेलता है, तो सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे मूड-बूस्टिंग हार्मोन का लेवल कम हो जाता है, जिससे व्यक्ति नकारात्मक विचारों में डूबने लगता है और डिप्रेशन की स्थिति उत्पन्न होती है।

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं

तनाव का हमारे पाचन तंत्र पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। जब हम तनाव में होते हैं, तो पाचन तंत्र की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे एसिडिटी, अल्सर, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) और पेट में दर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। लंबे समय तक यह स्थिति बने रहने से पेट की गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।

इम्यून सिस्टम पर असर

हमारा इम्यून सिस्टम तनाव से सबसे ज़्यादा प्रभावित होता है। लगातार तनाव में रहने से शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। लंबे समय तक तनाव में रहने से इंफेक्शन, सर्दी-जुकाम और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। कई रिसर्च से यह साबित हुआ है कि तनावग्रस्त व्यक्ति के शरीर में सूजन और संक्रमण बढ़ने का खतरा सामान्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक होता है।

तनाव को कम करने के उपाय (Tanav ko kam karne ke upay)

मेडिटेशन और योग

यह तनाव कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है। रोज़ाना 15-20 मिनट मेडिटेशन करने से मन शांत होता है और तनाव से राहत मिलती है।

एक्सरसाइज

हर दिन हल्का-फुल्का एक्सरसाइज करने से तनाव कम होता है और हॉर्मोनल बैलेंस बना रहता है।

पॉजिटिव सोच

नेगिटिविटी सोच को छोड़कर पॉजिटिव सोच विकसित करना भी तनाव को दूर करने में मददगार होता है।

पर्याप्त नींद

हर व्यक्ति को 24 घंटे में 7-8 घंटे की अच्छी नींद ज़रूर लेनी चाहिए। इससे शरीर को आराम मिलता है और मानसिक तनाव भी कम होता है।

अच्छे खानपान का ध्यान

फल, सब्जियां का सेवन करें। जरूरत से ज़्यादा कैफीन और तला-भुना खाना अवॉयड करें। 

इस आर्टिकल में हमने राष्ट्रीय तनाव जागरूकता दिवस के बारे में बताने के साथ ही तनाव से कौन-कौन से बीमारियां हो सकती हैं, उसके बारे में बताया। साथ ही तनाव को कम करने के तरीके भी बताए। 

यह आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। साथ ही इसी तरह की ज्ञानवर्द्धक जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।

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