जैसा की कहा जाता है कि “आप वैसे ही बनते हैं जो आप खाते हैं”। नियमित शारीरिक गतिविधि के साथ अच्छा पोषण युक्त आहार अच्छे स्वास्थ्य की नींव है। हमारे देश में अभी भी बहुत से इलाके और ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जो अच्छे पोषण के महत्व से अनजान हैं या उसके पास पोषण युक्त आहार की कमी है जिसके चलते वहां के बच्चे आसानी से कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। देश में लगातार बढ़ रही कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए ही देश में पोषक सप्ताह की नींव रखी गई ताकि ग्रामीण जन जीवन को बचाया जा सके। बच्चे जो देश का भविष्य है उन्हें कुपोषण का शिकार होने से बचाया जा सके।
पोषण युक्त आहार के बहुत से फायदे हैं। हमें अपनी जीवनशैली को व्यवस्थित करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। पोषण युक्त खाना शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है। बढ़ती उम्र में भी शरीर को फिट रखता है। पुरानी बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है और किसी नयी बीमारी को पास आने से बचाता है। स्वस्थ आहार से जीवन काल बढ़ता है। दूसरी ओर, खराब पोषण होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है, बीमारी की संभावना बढ़ सकती है, शारीरिक और मानसिक विकास बाधित हो सकता है और उत्पादकता कम हो सकती है। कुपोषण को दूर करने के लिए सरकार ने हर क्षेत्र में आंगनबाड़ी केंद्र बनाए हैं जिसने गर्भवती महिलाओं और बच्चों को हर महीने दलिया, दलिया-अनाज जैसे पोषक के स्रोत दिए जाते हैं।
इसके अलावा घर-घर जाकर लोगों को पोषण युक्त आहार के लिए जागरूक किया जा रहा है ताकि हर घर कुपोषण मुक्त हो और साधारण जन जीवन स्वस्थ जीवन जीए।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह और इतिहास
1975 में, “अमेरिकन डायटेटिक एसोसिएशन” जिसे अब “पोषण और आहार विज्ञान अकादमी” कहा जाता है, ने राष्ट्रीय पोषण सप्ताह शुरू किया। इस सप्ताह का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना था कि स्वस्थ जीवन के लिए अच्छा खाना और सक्रिय रहना कितना महत्वपूर्ण है।
लोगों को यह विचार बहुत पसंद आया, इसलिए 1980 में उत्सव को पूरे एक महीने तक बढ़ा दिया गया। भारत में, राष्ट्रीय पोषण सप्ताह पहली बार 1982 में मनाया गया था। सरकार ने लोगों को स्वस्थ भोजन के बारे में प्रोत्साहित करने, सूचित करने और सिखाने के लिए विभिन्न पहल शुरू कीं और यह भी बताया कि यह स्वस्थ रहने और लंबे समय तक जीवित रहने से कैसे जुड़ा है।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह लोगों को पौष्टिक आहार अपनाने के महत्व के बारे में शिक्षित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के दायरे में खाद्य और पोषण बोर्ड, इस मौलिक सिद्धांत के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक वार्षिक सप्ताह भर चलने वाले स्मरणोत्सव का आयोजन करता है।
इस पहल के केंद्र में इष्टतम मानव शारीरिक कार्य और विकास को बढ़ावा देने में स्वास्थ्यप्रद आहार का महत्व बताता है। अच्छे स्वास्थ्य और विकास के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार लेने को बनाए रखने की जरूरत पर मुख्य रूप से जोर दिया गया है। सरकार ने सक्रिय रूप से ऐसी पहल शुरू की है जो अच्छे पोषण, शुद्ध भोजन और स्वास्थ्य-उन्मुख जीवन शैली की खेती के सिद्धांतों पर जोर देती है।
राष्ट्रीय पोषण माह की थीम और कब मनाया जाता है?
यूनिसेफ के अनुसार, पोषण माह 2023 का विषय “स्वस्थ आहार सभी के लिए किफायती हो रहा है” है। 1 सितंबर से 7 सितंबर तक पोषण सप्ताह मनाया जाता है।
पोषण अभियान
हर साल खाद्य और पोषण बोर्ड देश के सभी चार क्षेत्रों में स्थित अपनी 43 सामुदायिक खाद्य और पोषण विस्तार इकाइयों के माध्यम से राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के लिए एक थीम चुनता है।
8 मार्च 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को कुपोषण मुक्त बनाने की दृष्टि से राजस्थान के झुंझुनू से पोषण अभियान शुरू किया। पोषण अभियान से एनीमिया से पीड़ित बच्चों (6-59 महीने) का प्रतिशत 69.4 प्रतिशत से घटकर 58.6 प्रतिशत हो गया है।
एक अध्ययन के अनुसार यह माना गया है कि केवल 21 दिन आपकी आदतों को बदलने और आपको बेहतर पोषण युक्त आहार लेने के लिए तैयार करने के लिए ही बहुत हैं।
अपने शरीर को पोषण से भरपूर कैसे रखें?
अपने शरीर को पोषण युक्त रखने के लिए पोषक युक्त भोजन करना बहुत जरूरी है। अपनी थाली में हरी सब्जियों और अनाज को शामिल करें। वसा युक्त आहार से दूरी बना लें और उच्च स्टार्च युक्त खाने को खाएं। पिज्जा और बर्गर जैसे फास्ट फूड्स को न खाएं। दूध-दही का भरपूर सेवन करना चाहिए। खुद को साफ रखना बहुत जरूरी है और फलों को हमेशा धो कर खाएं। बासी खाना और पहले से कटे हुए फलों को न खाएं। हमेशा ताजा बना हुआ खाना ही खाना चाहिए। अपनी दिनचर्या में थोड़ी शारिरिक कसरत भी शामिल करें। सुबह उठकर 15-30 मिनट टहलना जरूरी है।