सुबह जल्दी उठना , जल्दी सोना

सुबह जल्दी उठना, जल्दी सोना है सेहतमंद बने रहने का राज़

सूरज की पहली किरण के साथ जागने के क्या फायदे हैं? जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।

इस संसार में दो प्रकार के लोग रहते हैं। पहले वो जो शाम ढलके के साथ ही जल्दी सो जाते हैं, वहीं सुबह-सुबह जल्दी उठते भी हैं। इसके अलावा दूसरे वैसे लोग होते हैं, जो काफी देर से सोते हैं। यही वजह भी है कि वो लोग देर से उठते भी हैं। घर के बुजुर्ग या यूं कहें मेरे दादाजी पहले किस्म के लोगों में आते हैं। उनकी आदत है कि रोजाना रात के 9:30 बजते ही वो सोने के लिए चले जाते हैं और भोर में पांच बजे जग जाते हैं। उनके ठीक विपरीत मैं हूं। इसलिए मेरी कोशिश है कि मैं सुबह जल्दी जागने के फायदों के बारे में पता लगा सकूं।

यह बात नहीं है कि जो लोग सुबह जल्दी उठना, जल्दी सोना जैसी आदत को नहीं अपनाते हैं, उन्हें सुबह उठने के फायदों के बारे में नहीं पता है। मेरे दादाजी 20 साल से मुझे सुबह जल्दी उठने के फायदों के बारे में बताते हैं, लेकिन ये बात मेरे पल्ले ही नहीं पड़ती। यही वजह भी है कि मैं सुबह की अच्छी नींद को गंवाना नहीं चाहता हूं।

बुजर्ग कहते हैं कि जो आदत पुरानी हो जाती है उन्हें छोड़ना काफी मुश्किल होता है। लेकिन अब मैंने भी फैसला कर लिया है कि सुबह जल्दी उठना, जल्दी सोना की दिनचर्या को लाइफ में शामिल कर इसका लाभ उठाया जाए। तो आइए इस लेख के जरिए हम सुबह जल्दी उठने के फायदों के बारे में जानते हैं। ताकि आम से लेकर खास व्यक्ति इसका लाभ उठा सकें।

सूर्योदय और सूर्यास्त का है अहम योगदान

हमारे शरीर की संरचना इस प्रकार से की गई है कि वो प्रकृति के नियमों को मानता है। या यं कहें बॉडी क्लॉक सूर्योदय व सूर्यास्त के इर्द-गिर्द ही घूमता है। लेकिन यह तभी संभव है जब व्यक्ति सही समय पर सोए और सही समय पर उठे। साधारण तौर पर कहें, तो हमारा शरीर अंधकार और उजाले से प्रभावित होता है।

डार्क डिसेप्शन नामक पुस्तक में डॉ जोसेफ मर्कोला (वैकल्पिक चिकित्सा प्रस्तावक) ने डिसकवर द ट्रूथ एबाउट द बेनिफिट ऑफ सनलाइट एक्सपोजर के बारे में बताया है। स्लीप साइकिल के तहत उन्होंने सोने व उठने के बाद कैसे काम कर सकते हैं उसकी जानकारी दी है। डॉ जोसेफ भी सुबह जल्दी उठना, जल्दी सोना… की धारणा को सही बताते हैं। ऐसा करने से एंटीऑक्सीडेंट युक्त हार्मोन मेलाटोनिन का स्त्राव बढ़ता है। ऐसे में लोगों को अच्छी नींद आती है।

एक्सपर्ट का मानना है कि सुबह की पहली किरण में समय व्यतीत करने से काफी फायदा मिलता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सूर्य की किरण शरीर में सेरोटोनिन के स्त्राव को बढ़ाने में मदद करती हैं। यह हार्मोन काफी एनर्जी प्रदान करता है। बकौल एक्सपर्ट, वैसे व्यक्ति जो सुबह के वक्त ज्यादा से ज्यादा सूर्य की किरणों के बीच व्यतीत करते हैं उन्हें रात के समय अच्छी नींद भी आती है। इसके पीछे भी बायलॉजिकल कारण है, क्योंकि दिन के समय सेरेटोनिन हार्मोन रात के समय मेलाटोनिन हार्मोन में तब्दील हो जाता है।

एक बाद स्लीप साइकिल नियमित हो जाए तो सर्केडियन रिदम अपने आप ही प्रकृति के साथ तालमेल बना लेता है। ऐसा होने पर शारिरिक व मानसिक फायदे मिलते हैं। डॉ जोसेफ के अनुसार शरीर में मेलाटोनिन और सेरोटोनिन के बैलेंस के कारण कई प्रकार की बीमारियों से रक्षा होती है। जैसे पाचन शक्ति ठीक होती है, महिलाएं आसानी से गर्भ धारण कर सकती हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता में विकास होने के साथ शरीर का टेंप्रेचर भी सामान्य बना रहता है। इसके अलावा ब्लड शुगर लेवर व ब्लड प्रेशर में सामान्य रहता है। इन तमाम कारणों की वजह से ही व्यक्ति स्वस्थ व खुश रह पाता है।

सुचारू रूप से काम करता है शरीर

पारंपरिक चाइनीज मेडिसिन (टीसीएम) में भी सुबह जल्दी उठना फायदेमंद बताया गया है। उसके अनुसार हमारे शरीर के अंग अपने आप ही मरम्मत करते हैं, लेकिन उसका एक निर्धारित समय होता है। टीसीएम के एक्सपर्ट डॉ हेलेन एच हू ने अपनी किताब चाइनीज फूड थेरेपी आरएक्स फॉर सेल्फ हिलिंग (पार्ट 2) ब्यूटी एंड लॉन्गविटी में इस बात का जिक्र किया है। इस किताब में अंगों की मरम्मत का विस्तारपूर्वक जिक्र किया गया है। एक्सपर्ट के अनुसार हमें शाम ढलने के साथ जितना जल्दी संभव हो सोना चाहिए। खासतौर से रात के 9 बजे से लेकर भोर के 3 बजे तक। क्योंकि इस दौरान गॉल ब्लैडर और लीवर में पित्त का गाढ़ापन बनता है, जिससे ये अंग मज़बूत होते हैं। जब हम गहरी नींद में होते हैं उसी दौरान यानि रात 9 सो 3 बजे के बीच अंग की मरम्मत होती है। लीवर व गॉल ब्लैर के डिटॉक्सिफिकेशन के लिए नींद सबसे ज़रूरी है।

रात के तीन बजे के बाद बड़ी आंत जाग बड़ी आंत क्रियाशील होती है। इसका काम शरीर से गंदगी को बाहर निकालने का होता है। यही वजह है कि उस समय उठने से शरीर से गंदगी को आसानी से निकाला जा सकता है। इस दौरान लीवर व बड़ी आंत ही नहीं बल्कि हमारा स्मक, हार्ट और किडनी की भी मरम्मत होती है। यही वजह है कि सुबह जल्दी उठना व जल्दी सोना ज़रूरी है। ऐसा कर हम अपने शारिरिक अंगों की देखभाल कर सकते हैं वहीं उनका मरम्मत अपने आप ही हो जाता है। ऐसा करने से शरीर से विशाक्त पदार्थ भी अपने आप बाहर निकल जाता है। नतीजा यह होता है कि हम स्वस्थ रह सकते हैं।

आयुर्वेद में भी लाभ का है जिक्र

आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में भी सुबह जल्दी उठना को बेहतर माना गया है। इसमें सबसे अहम यह है कि हमारी तीसरी आंख जब जागृत हो जाती है तब व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से और मज़बूत बन जाता है। तीसरी आंख का अर्थ यहां दो आंखों के बीच में मौजूद पीनियल ग्लैंड से है। फोटोरिसेप्टिव वजहों से इसे तीसरी आंख कहते हैं। डॉ उर्वशी सिंह (सूक्ष्म जीव वैज्ञानिक) और डॉ गरिमा यादव ने अपनी पुस्तक ‘‘पैराडिग्म्स ऑफ न्यू एज साइक्लोजी’ में इस विषय में रिसर्च किया है। इसके नतीजों से यह पता चलता है कि ध्यान, जप, गहरी सांस लेने व छोड़ने की क्रिया के साथ सूर्य नमस्कार आदि करने से पीनियल ग्लैंड सक्रिय होता है। यह वही स्थान है जहां पर एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर वाला हार्मोन मेलाटोनिन व सेरोटोनिन काफी मात्रा में पाया जाता है।

तीसरी आंख पूर्ण रूप से आध्यात्मिक रूप से जुड़ा हुआ है। प्रात: बेला यानि सुबह 3 से 4 बजे का समय तीसरी आंख को खोलने की प्रैक्टिस करने के लिए सही माना गया है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ मणिकांतन मेनन के अनुसार इस समय पर ब्रह्ममुहूर्त कहते हैं। इस समय ब्रह्मांड में सत्व और रजस गुण की अधिकता होती है, इस समय इंसानों में वात दोष बढ़ जाते हैं। सत्व गुण को सकारात्मकता, समभावता, शान्तचित्ता और संतुलन द्वारा चिन्हित किया जाता है। यही वजह है कि आध्यात्मिक तौर पर जुड़ने के लिए इस समय को श्रेष्ठ माना जाता है। वहीं यह करने से पीनियल ग्लैंड तीसरी आंख को सक्रिय करता है।

कुल मिलाकर कहें तो सुबह जल्दी उठने से काफी फायदा होता है। आखिरकार मैंने भी सुबह-सुबह उठकर इसके फायदों को उठाने का फैसला लिया। इससे मेरे दादाजी भी काफी हैरान थे। सही बोलूं तो इससे मुझे काफी फायदा हो रहा है और आने वाले समय में भी हमें फायदा होगा।

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