प्राणायाम

प्राणायम के कितने प्रकार हैं, जानें उसे करने का सही तरीका

रिसर्च के अनुसार रोजाना प्राणायाम करने से शरीर और दिमाग को आराम तो मिलता ही है, साथ ही हमारा कंसंट्रेशन भी बना रहता है। इसके अलावा प्राणायाम करने से हम नेगेटिविटी से दूर रहते हैं और पॉजिटिव माइंडसेट के साथ ज़िंदगी में आगे बढ़ते रहते हैं।

योग काफी समय पहले से चली आ रही एक प्रक्रिया है। हजारों वर्ष पहले भारत के कई ऋषि-मुनियों ने अपने शरीर की प्राणवायु की शक्तियों को समझा और इसे लिखा, जो आज भी काफी प्रचलित है। पद्मपुराण के अनुसार प्राणायाम, योग (Pranayama Yoga) के आठ अंगों में से एक है। अष्टांग योग में आठ प्रक्रियाएं होती हैं। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि। प्राणायाम दो शब्दों से बना है प्राण और आयाम। प्राण का अर्थ हमारे जीवन शक्ति से होता है, जबकि आयाम से हम अर्थ निकालते हैं निरंतरता का, मतलब अनुशासन का।

प्राणायाम मुख्यरूप से पूरक, रेचक और कुंभक पर आधारित होता है। पूरक का मतलब है सांस लेना। रेचक का मतलब है सांस को छोड़ना और कुंभक का मतलब है सांस को रोक लेना। प्राणायम (Pranayama) करने से शारीरिक के अलावा मानसिक रूप से भी काफी लाभ होता है। प्राणायाम का यदि सीधा-सीधा मतलब समझें, तो यह सांस पर नियंत्रण करने की एक कला है। रिसर्च के अनुसार रोजाना प्राणायाम करने से शरीर और दिमाग को आराम तो मिलता ही है, साथ ही हमारा कंसंट्रेशन भी बना रहता है। इसके अलावा प्रायाणाम करने से हम नेगेटिविटी से दूर रहते हैं और पॉजिटिव माइंडसेट के साथ ज़िंदगी में आगे बढ़ते रहते हैं। वहीं, प्राणायाम को आमतौर पर मेंटल हेल्थ से ही जोड़ कर देखा जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। प्राणायाम करने से बल्ड प्रेशर और हार्ट से जुड़ी समस्याएं भी खत्म होती हैं। इसके अलावा प्राणायाम हमें एनर्जेटिक बनाए रखता है, जिससे हमारे चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहती है, जो पॉजिटिविटी की सबसे पहली निशानी है। तो चलिए हम इस लेख्र में आगे जानेंगे कि प्राणायाम के कितने प्रकार हैं और उसे करने का सही तरीका क्या है।

भस्त्रिका प्राणायाम (Bhastrika Pranayama)

भस्त्रिका संस्कृत का शब्द है। इसका मतलब होता है ‘धौंकनी’। लोहार धौंकनी के जरिए ही तेज हवा छोड़कर लोहे को गर्म करता है और उसमें जो गंदगी होती है, उसे साफ करता है। जिस तरह लोहार इसका उपयोग करता है, उसी तरह भस्त्रिका प्राणायाम को करने से हमारे शरीर में मौजूद गंदगी साफ होती है और हम सभी बीमारियों से दूर रहते हैं। इसको करने से लीवर और किडनी का भी एक्सरसाइज हो जाता है। आज पूरे विश्व में प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसके कारण सांस लेने पर दूषित हवा के साथ धूल-मिट्टी और गंदगी हमारे लंग्स में चली जाती है, जिससे हम बीमार होते हैं। लेकिन भस्त्रिका प्राणायाम करने से हमारे लंग्स में जो भी गंदगी होती है, वो बाहर निकल जाती है और हम तरोताजा महसूस करते हैं। इसके साथ ही इसे करने से सांस संबंधी बीमारियों से भी हम मुक्त हो सकते हैं।

इसे करने का सही तरीका

भस्त्रिका प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले पद्मासन या सुखासन मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद कमर, गर्दन और पीठ को सीधा कर लें। साथ ही शरीर को एकदम शांत रखें। फिर आंखों के साथ मुंह को बंद कर लें। इसके बाद सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ दें। फिर तेजी से सांस लें और छोड़ दें। शुरुआती दिनों में ऐसा 10 से 15 बार करें और समय बीतने के साथ इसे बढ़ाते जाएं।

कपालभाती प्राणायाम (Kapalbhati Pranayama)

प्राणायाम के कई प्रकारों में से ‘कपालभाती प्राणायाम’ एक है। कपालभाती, कपाल और भाती को जोड़ने से बना है। कपाल का मतलब है सिर के आगे का हिस्सा। वहीं, भाती का मतलब है ज्योति। सभी प्राणायामों में इसे सबसे प्रभावी माना जाता है। कपालभाति को यदि सही तरीके से किया जाए, तो यह दिमाग को शांत रखने के साथ ही 100 से ज्यादा बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। इम्यून सिस्टम को सही करने के लिए यह सबसे कारगर प्राणायाम है। वहीं, इसका दूसरा नाम ‘कपालशोधन’ भी है। यह डायबिटीज से पीड़ित लोगों को लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है।

इसे करने का सही तरीका

सबसे पहले किसी आरामदायक आसन पर बैठक जाएं। इसके बाद दोनों हाथों को ज्ञान की मुद्रा में घुटनों पर रख लें। साथ ही पीठ को सीधा रखें व दिमाग को शांत कर लें। अब शरीर को ढीला छोड़ते हुए आंखों को बंद कर लें। इसके बाद गहरी सांस अंदर लें और झटके से इसे छोड़ते हुए पेट को अंदर करें। ऐसा कुछ मिनटों तक करते रहें। इसके बाद दोनों हाथों के उंगलियों को खोलें और तीन बार ताली बजाएं। फिर दोनों हाथ को कंधे के पास ले जाकर स्ट्रेच करें। यह प्रक्रिया कम से कम 10 बार करें। इससे आपके दिमाग को शांति महसूस होगी और आप पॉजिटिव फील करेंगे।

शीतली प्राणायाम (Sheetali Pranayama)

शीतली प्राणायाम को ‘कुलिंग ब्रीद’ भी कहा जाता है। शीतली का अर्थ होता है ठंडा करने वाला। गर्मी में इसे करने से काफी फायदा मिलता है। एक्सपर्ट के अनुसार यदि आपका शरीर बहुत ज्यादा गर्म हो जाता है, तो इसको करने से बहुत फायदा होगा। शीतली प्राणायाम को रोजाना करने से मन शांत रहता है और गुस्से पर भी कंट्रोल रहता है। साथ ही इसको करने से ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल रहता है और एसीडिटी व पेट के अल्सर में भी काफी आराम मिलता है। इसको लगातार करने से दिल की भी बीमारी नहीं होती है।

इसे करने का सही तरीका

शीतली प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले साफ जगह पर आसान बिछाएं। इसके बाद सिद्धासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। इसके बाद मुंह खोलें और जीभ निकालें। जीभ को नली के तरह रोल करें। जीभ की मदद से सांस अंदर लें और मुंह को बंद कर लें। इसके बाद लंग्स के हवा को नाक से बाहर निकालें। इसको आप अपने क्षमता के अनुसार 10 से 50 बार तक करें।

उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama)

उज्जायी संस्कृत शब्द है। इसका मतलब होता है जीतना या विजयी प्राप्त करना है। इस प्रायाणाम को करने से मन शांत रहता है और हमारे शरीर में गर्माहट बना रहती है। मन शांत रहने से आप तरोताजा महसूस करते हैं। इस प्राणायाम को करने से नींद से जुड़ी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। इसका अभ्यास करने से खर्राटे की समस्या भी कम होती है। इसे ‘ओसियन ब्रीदिंग’ के नाम से भी जाना जाता है।

इसे करने का सही तरीका

उज्जायी प्राणायाम को करने से पहले शांत जगह पर आसान पर बैठ जाएं और अपने आप को शांत कर लें। गहरी सांस लेते हुए लंग्स में जा रही हवा को महसूस करें। इस दौरान जब आपका मन पूरी तरह से शांत हो जाए, तो गले को संकुचित करें। इस दौरान गले से जा रही हवा आपको सुनाई देने लगेगी। इस प्राणायाम को खड़े होकर या लेट कर भी किया जा सकता है।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम (Anulom Vilom Pranayama)

यह प्राणायाम मानसिक शांति और शारीरिक लाभ के लिए जाना जाता है। यह सबसे लोकप्रिय प्राणायाम है। अनुलोम का अर्थ ‘सीधा’ होता है, जबकि विलोम का अर्थ ‘उल्टा’ होता है। अनुलोम का संबंध नाक के दाहिने छिद्र से है, वहीं विलोम का संबंध नाक के बाएं छिद्र से है। अनुलोम-विलोम मेंटल हेल्थ को बूस्ट करता है और तनाव को कम करता है। इससे चिड़चिड़ापन और घबराहट जैसी परेशानियों से भी हम छुटकारा पा सकते हैं। साथ ही इससे स्ट्रेस लेवल कम होता है और कंसंट्रेशन बढ़ाने में भी मदद मिलती है।

इसे करने का सही तरीका

साफ-सुथरी जगह पर आसान लगाकर पद्मासन के मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद आंखें बंद कर लें। फिर नाक के दाहिने छिद्र को दाएं हाथ के अंगुठे से बंद कर लें और बाएं नथुने से सांस लें। इस दौरान लंग्स को भरने के लिए काफी मात्रा में हवा अपने अंदर लें और फिर नाक के दाहिने छिद्र से अंगुठा हटा लें और नाक के बाएं छिद्र को बंद कर लें। इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ें। यह अभ्यास आप 10 से 15 मिनटों तक कर सकते हैं।

भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari Pranayama)

भ्रामरी शब्द भ्रमर से निकला है, जिसका अर्थ होता है ‘गुनगुनाने वाली काली मधुमक्खी’। इस प्राणायाम की सबसे खास बात यह है कि इसे करने के दौरान मधुमक्खियों के गुनगुनाने की तरह का आवाज हमारे नाक से निकलती है। शायद इसीलिए इसका नाम ‘भ्रामरी प्राणायाम’ पड़ा है। यह थकान और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है। मन को शांत करने के लिए यह प्राणायाम सबसे बेस्ट है।

इसे करने का सही तरीका

भ्रामरी प्राणायम करने के लिए सबसे पहले शांत और साफ-सुथरी जगह चुनें। वहां आसान लगाएं। इसके बाद आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद पीठ को सीधा करें और आंखें बंद कर लें। दोनों हाथ की तर्जनी उंगुली को कान में डालें और आम का उच्चारण करते हुए नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।

इसके अलावा भी प्राणायाम के कई प्रकार हैं जैसे-दीर्गा प्राणायाम, मूर्छा प्राणायाम आदि। आप भी शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहने के लिए प्राणायम को अपने डेली रूटीन में शामिल कर सकते हैं। इस लेख माध्यम से हमने प्राणायाम क्या है और इससे होने वाले फायदे के बारे में बताया है। इस तरह के और लेख पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी पढ़ते रहें।

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