लोगों के साथ हुए संवाद को दोबारा याद कर बहुत ज्यादा सोचना आपकी आदत है कि काश आपने उससे यह कहा होता या यह नहीं कहा होता? क्या आप खुद से यह सवाल करते हैं कि काश मैं..? क्या आप उन चीज़ों को लेकर परेशान रहते हैं जिन पर आपका नियंत्रण नहीं है? क्या आप हमेशा ही समस्या पर ध्यान केंद्रित करते हैं, बजाय समाधान खोजने के? अगर उपरोक्त सवालों में से एक अथवा सभी के लिए आपका जवाब हां है, तो शायद आप ओवरथिंकर (Overthinker) यानी बहुत ज्यादा सोचने वाले हैं।
बहुत ज्यादा सोचना नकारात्मक आदत है, जो गंभीर समस्या खड़ी करने की क्षमता रखती है। चाहे कोई स्थिति हो या फिर विचार, बहुत ज्यादा सोचना हमेशा निर्णय लेने की आपकी क्षमता को प्रभावित करती है। यह आदत कोई भी निर्णय लेने में बाधक बन जाती है। बहुत ज्यादा सोचने की आदत आपके दिमाग में संदेह, अस्तित्वहीन बाधाओं, नकारात्मकता भरकर आपके जीवन की खुशियों को नष्ट कर देती है।
इतना ही नहीं ओवरथिंकिंग (बहुत ज्यादा सोचना) आपकी मेंटल हेल्थ (Mental health) को प्रभावित कर इसमें गिरावट ला सकती है। जब आप पुरानी घटना या फिर अपने भविष्य को लेकर ही चिंतित रहते हैं, तो आपकी विचार करने की क्षमता डिस्ट्रक्टिव हो जाती है। ऐसे में आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होने लगता है। आप इन उपायों का इस्तेमाल कर ओवरथिंकिंग साइकिल (बहुत ज्यादा सोचने की श्रृंखला) को रोककर अपनी ज़िंदगी पर दोबारा नियंत्रण हासिल कर सकते हैं।
सब कुछ या कुछ नहीं की मनोदशा छोड़ें (Sab kuch ya kuch nahi ki manodasha choden)
ऑल ऑर नथिंग माइंडसेट यानी सब कुछ या कुछ नहीं की मनोदशा वाले लोग यह सोचते हैं कि उनकी समस्या का एक ही हल है। यदि वह इसे सही तरह से करने में असफल रहे तो लोग उन्हें विफल इंसान कहेंगे। या फिर यह कि आपको सब पता होना चाहिए। हर प्रॉब्लम का पूर्वानुमान लगाएं या आप कोई भी कदम उठाने से पहले डिटेल्ड प्लान तैयार रखें। लेकिन प्रत्येक परिणाम के लिए पहले से ही तैयारी करना भले ही नामुमकिन न हो, लेकिन यह बेहद मुश्किल तो होता ही है। ऐसा करने से ज्यादा कुछ नहीं होता, लेकिन आपकी स्पीड कम हो जाती है। इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए खुद से पूछें, ‘आज ऐसा कौन-सा एक काम करने से मैं अपने गोल के और करीब पहुंच सकता हूं’?। ‘मेरा कौन-सा फैसला मेरे लक्ष्य को ज्यादा प्रभावित करेगा?’। या फिर ‘मेरा अगला बड़ा कदम क्या होना चाहिए?’। ऐसा करने से आप आगे बढ़ने में सफल होंगे और भविष्य की चिंता करते हुए अपना वक्त बर्बाद करने से बच जाएंगे।
अटकने की स्थिति पर ध्यान दें (Atkne ki sthiti par dhyan den)
ओवरथिंकिंग (बहुत ज्यादा सोचना) की समस्या से छुटकारा पाने का सबसे आसान तरीका यह है कि पहले आप स्वीकार करें कि आप ओवरथिंकर (Overthinker) हैं। अपने विचार (थॉट्स) और भावनाओं (फिलिंग्स) पर ध्यान दें। जब आप समस्या को पहचान जाएंगे, तब ही आप कोई एक्शन लेकर अपने थॉट प्रोसेस (विचार करने की प्रक्रिया) को चेंज करने का कोई कदम उठा पाएंगे और अधिक प्रोडक्टिव (उत्पादक) बनेंगे। एक ब्रेक लें। फिर यह सोचें कि आपका दिमाग किस बात पर अटका हुआ है और क्या किसी को लेकर आप ओवरथिंकिंग (बहुत ज्यादा सोचना) कर रहे हैं। इस छोटे से पॉज और समस्या को स्वीकारने से ही आप असल स्थिति को समझोगे और आप खुद को कम डरा हुआ और पूर्णत: पराजित नहीं पाएंगे।
निर्णय लेने की क्षमता को बदलें (Nirnay lene ki chamta ko badlen)
यदि आप खुद को कभी-कभी बहुत ज्यादा सोचते हुए पाते हैं, तो पहले इसके पीछे का कारण खोजने की कोशिश करें। अधिकांश मामलों में आप गलत निर्णय लेने के डर से ही ओवरथिंक करते हैं। यह निर्णय फिर आपकी लाइफ या ऑफिस के काम से जुड़ा हो सकता है। आपको डर लगता है कि आपका फैसला विफलता, शर्मिंदगी लाने वाला होगा या फिर निगेटिव रिजल्ट आपको फिर से ओवरथिकिंग की दुनिया में ढकेल देगा।
हालांकि ऐसा नहीं है कि बहुत ज्यादा सोचना आपको सही फैसला लेने में सहायता करेगी। उल्टे इस वजह से आप ऐसी जगह फंस जाएंगे, जहां से नकारात्मक परिणाम का आपका डर और भी बढ़ता चला जाएगा। इस डर को भगाने के लिए आपको ऐसी स्थिति को कुछ नया सीखने का मौका मानना चाहिए, ना कि विफलता का, जहां यदि सब कुछ ठीक नहीं हुआ, तो सब कुछ खत्म हो जाएगा। यदि आप इस स्थिति में भी सही फैसला लेने में सफल हो गए, तो फिर आप इसे मुड़कर पॉजिटिव चीज़ के रूप में देख सकते हैं। अगर आपका फैसला गलत हुआ, तो फिर उसका समाधान खोजें और यह विचार करें कि आप भविष्य में इस स्थिति का सामना और बेहतर ढंग से कैसे कर सकते हैं, ताकि आपका फैसला सही साबित हो।
निर्णय लेने के लिए टाइम लिमिट तय करें (Nirnay lene ke liye time limit tay karen)
कोई भी काम करने या सही निर्णय लेने के लिए लंबा समय लेने का मतलब है कि बहुत ज्यादा सोचना जैसी आदत को आसानी से न्योता देना। ऐसा होने पर आप यह सोचना शुरू कर देते हैं कि आपने किन चीज़ों या संभावनाओं को छोड़ दिया है। इसे टालने के लिए आप कुछ निर्णय लेने के लिए टाइम लिमिट सेट करना शुरू करें। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आप किन बातों का निर्णय लेने के लिए टाइम लिमिट सेट कर रहे हैं। बात का महत्व इसमें काफी अहम होता है। काम के महत्व से टाइम लिमिट सेट करने के बाद टाइम लिमिट (Time limit) खत्म होने को आए तो स्थिति पर और विचार करने की बजाय निर्णय लें। अंतिम निर्णय लेकर अपने निर्णय पर अटल रहते हुए आगे बढें। फिर खुद को इस बात के लिए जिम्मेदार मानें कि आपने एक बैठक में कितनी देर विचार किया था।
खराब स्थिति को ध्यान में रखें (Kharab sthiti ko dhyan main rakhen)
जब आप किसी स्थिति को लेकर ज्यादा विचार करते हैं तो आप ऐसी बातों की भी कल्पना कर लेते हैं जिनका वास्तविक दुनिया से कोई लेना-देना नहीं होता। यदि आप उनकी ओर बारीक निगाह नहीं डालेंगे तो यह आपको कुछ नया करने से रोकेंगे। तो जब आप अगली बार खुद को बहुत ज्यादा सोचने की स्थिति में पाएं तो खुद से पूछें कि इस स्थिति से और बुरा क्या हो सकता है। उदाहरण के लिए आपका इंटरव्यू आने वाला है और आप इसे लेकर चिंतित हैं। यदि आप भी ऐसी स्थिति में हैं तो पहले खुद से एक सवाल पूछें। क्या होगा अगर यह जॉब मुझे नहीं मिली, मैं और बहुत-सी नौकरियों को पाने की कोशिश तो कर ही सकता हूं। ऐसा अप्रोच रखने से आप पाएंगे कि खराब स्थिति इतनी भी खराब या डरावनी नहीं होती जितना कि आप सोच रहे थे। ओवरथिंकिंग करते ही आप बहुत ज्यादा सोचना बंद कर देंगे।
ध्यान भटकाने के लिए कुछ करें (Dhyan bhatkane ke liye kuch karen)
अगर आप अपने प्रेजेंटेशन पर लगातार विचार कर रहे हैं या फिर अपने मित्र के साथ हुई बातचीत को लेकर ही चिंता कर रहे हैं तो साफ है कि आप ओवरथिंकिंग कर रहे हैं। रिसर्च से पता चला है कि चिंतन करना अर्थात ऑब्सेसिव ओवरथिंकिंग करने से समस्या का समाधान मिलने में तो मुश्किल होती ही है। इसे इश्यूस यानी डिप्रेशन और एंग्जायटी (अवसाद एवं चिंता) से भी जोड़कर देखा जाता है। तो आप इस डिस्ट्रक्टिव हैबिट से छुटकारा कैसे पाएंगे? एक आसान तरीका तो यह होगा कि आप खुद का ध्यान कहीं और लगा लें। आपकी ऊर्जा कुछ ऐसे काम में लगाएं जो आपको कुछ देर के लिए आपके सामने की स्थिति से दूर ले जाए और आपका दिमाग क्लीयर हो सके। मसलन ड्राइंग, ब्रीफ वॉक या फिर कोई ऐसा म्यूजिकल इन्सट्रूमेंट बजाएं, जिससे आप अपना ध्यान कुछ देर के लिए आपके सामने खड़ी समस्या से हटा सकें।
भूतकाल को पीछे छोड़ दें (Bhootkal ko piche chhod den)
ओवरथिंकर्स (बहुत ज्यादा सोचना) को अक्सर बीती बातों पर विचार करते रहने की आदत होती है। जब वह ऐसा करते हैं तो अपनी ऊर्जा इसी बात पर लगाते हैं कि वे उस वक्त क्या कुछ अलग कर सकते थे। लेकिन ऐसा करते हुए आप ओवरथिंकिंग करते हुए मौजूदा पल से अपना ध्यान हटा लेते हैं। बीते हुए वक्त में कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता, लेकिन उससे मिले अनुभव का भविष्य को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। आप अपने बीते हुए कल को वह जैसा था वैसा स्वीकार करें। ऐसा करने पर आपके माइंड में लंबे समय से जमा बोझ, गलती और शिकायत से आपका दिमाग फ्री हो जाता है।