संगीत दिवस कब मनाया जाता है

म्यूजिक सिंगर और दर्शकों के दिमाग को जोड़ता है, ऐसे रखता है स्वास्थ्य का ख्याल

संगीत में इतनी ताकत होती है कि दर्शक हों या श्रोता, वे खुद को गायक और बोल लिखने वाले लेखक से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। संगीत, सिंगर और दर्शकों को आपस में तो जोड़ता ही है, साथ ही, संगीत सुनने वालों को तन और मन की राहत भी देता है।

इस आर्टिकल के टाइटल को पढ़कर मुझे एक सदाबहार गाने के बोल याद आ रहे हैं- “लग जा गले की फिर ये हंसी रात हो न हो…” स्वर कोकिला कहीं जाने वाली लता मंगेशकर जी की आवाज़ में इस गाने के बोल ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं।

ज़िंदगी में दुख हो या खुशी, पर इस गाने के बोल सुनकर लगता है, जैसे यह मेरे लिए ही लिखा गया हो। चलो ये तो एक गाने की बात हुई। संगीत जगत में ऐसे ही जाने कितने सदाबहार गाने मौजूद हैं, जो हमें अपने से लगते हैं।

संगीत में इतनी ताकत होती है कि दर्शक हों या श्रोता, वे खुद को गायक और बोल लिखने वाले लेखक से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। संगीत, सिंगर और दर्शकों को आपस में तो जोड़ता ही है, साथ ही, संगीत सुनने वालों को तन और मन की राहत भी देता है। जी हां, मैं संगीत के अनगिनत स्वास्थ्य लाभों की बात कर रही हूं। तो चलिए इस संगीत दिवस (International Music Day) पर संगीत से जुड़ी कुछ फायदेमंद बातें जानें।

अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस कब मनाया जाता है? (Antarashtriya Sangeet Divas kab manaya jata hai?)

अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस (Music Day) हर साल 1 अक्टूबर को मनाया जाता है। हर साल की तरह इस साल भी 1 अक्टूबर 2024 को आप अंतरराष्ट्रीय संगीत दिवस पर संगीत का जश्न मना सकते हैं।

यूं हुई संगीत दिवस की शुरुआत (Yuh hui Sangeet Divas ki shuruaat)

अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस की शुरुआत 1975 में अमेरिकी वायलिन वादक और कंडक्टर लॉर्ड येहुदी मेनुहिन की वजह से हुई। उनका मानना था कि संगीत में दो समुदायों को एक साथ मिलाने की ताकत होती है। संगीत दिवस मनाने के लिए उन्होंने 1 अक्टूबर का दिन चुना, और हर साल इस दिन को संगीत दिवस नाम से मनाने पर ज़ोर दिया।

इस दिन को मनाने का खास मकसद हर व्यक्ति को सारे भेदभावों से दूर रखकर, एक साथ मिलाना था। संगीत का भावनात्मक जुड़ाव सभी को सुकून और शांति से रहना सिखाता है। संगीत से अपनी संस्कृति और अनुभवों को दूसरों तक पहुंचाने, संगीतकारों और पुरानी संगीत शैलियों को सम्मान देने के लिए हर साल संगीत दिवस मनाया जाता है।

संगीत के स्वास्थ्य लाभ (Sangeet ke swasthya labh)

योग और मेडिटेशन की तरह संगीत भी एक थेरेपी है, जो हमें बहुत से स्वास्थ्य लाभ देती है। दिल की बीमारियों से संगीत दूर रखने में संगीत हमारी मदद करता है, और मानसिक तनाव को भी कम करता है।

आइए जानते हैं संगीत के कुछ फायदे:

हीलिंग पॉवर

संगीत में टूटे दिल को जोड़ने की शक्ति और उदास मन को राहत देने की ताकत होती है। म्यूजिक को मूड ठीक करने के लिए बेस्ट थेरेपी माना जाता है। जब मन उदास हो तो संगीत सुनें।

याददाश्त बढ़ती है

कहीं चीज़े रख कर भूल जाते हैं, कभी कोई ज़रूरी काम दिमाग से निकल जाता है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है, तो संगीत सुनना शुरू कर दीजिए, ये आपकी याददाश्त को तेज़ करने में मदद करता है।

घाव भरते हैं जल्दी

ये सुनकर आपको थोड़ा अजीब ज़रूर लगेगा, पर संगीत सुनने से घाव या चोट जल्दी ठीक हो जाती है। किसी भी तरह की सूजन को भी कम करने में संगीत बहुत फायदेमंद है, क्योंकि संगीत सुनने से शरीर में ऐसे हार्मोन्स रिलीज होते हैं जो हमें जल्दी रिकवर करने में मदद करते हैं और हमारे स्वास्थ्य (Wellbeing) का ख्याल रखते हैं।

संगीत कैसे सिंगर और दर्शकों को जोड़ता है? (Sangeet kaise singer aur darshakon ko jodta hai?)

अपने काम से बहुत से लोगों का दिल जीतना हर किसी के बस की बात नहीं होती, मगर एक सिंगर अगर ऐसा कर पा रहा है, और उसकी आवाज़ का जादू हर जुबां पर छाया हुआ है, तो यह उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी अचीवमेंट होती है। इस बात को लेकर, मैंने कहीं सुना था कि अगर दर्शक, सिंगर या राइटर्स के किसी भी क्राफ्ट से दर्शक खुद को जुड़ा हुआ महसूस कर पा रहे हैं, उन्हें यह महसूस हो पा रहा है कि ये तो उनके ही लिए गाया या लिखा गया है, तो ये सिंगर और राइटर्स की सबसे बड़ी जीत मानी जाती है। यूं तो संगीत जगत में बहुत से कलाकार हैं, जिनकी आवाज़ भी अच्छी है और मशहूर भी हैं। लेकिन, फिर भी दर्शकों की पहली पसंद बनना उनकी ख्वाहिश है।

संगीत के अलग-अलग फोर्म होती हैं। कोई पॉप म्यूजिक सुनना पसंद करता है, तो किसी को स्लो और दर्द भरे गाने सुनने का शौक होता है।

दर्शन या श्रोता की पसंद के हिसाब से जो म्यूजिक उसकी दिल की तरंगों को छू लेता है, वो सिंगर दर्शकों का पसंदीदा बन जाता है। जब कोई भी सिंगर गाना गा रहा होता है और श्रोता उसे पूरी ध्यान से सुन रहें होते हैं तो गायक और श्रोताओं की दिमाग की तरंगें बिल्कुल एक जैसी होती है। ये तरंगे गाने और सुनने वाले के बीच एक अनदेखे डोर की तरह काम करती हैं।

हमारे साथ ऐसा अक्सर होता है कि कहीं एक हल्की सी धुन सुनकर ही हम जल्दी से मोबाइल में पूरा गाना सर्च करते हैं, और उसको आवाज़ देने वाले सिंगर के बारे में सब कुछ जान लेते हैं। फिर उस सिंगर के गाये हुए सारे गाने सुनने लगते हैं। यहीं तो दर्शकों का संगीतकार के साथ जुड़ाव होता है। यानि किसी गाने के दो या तीन बोल सुनकर, सिंगर के शब्दों और आवाज़ की गहराई से हमें लगाव हो जाता है।

संगीत की शक्ति दो अंजान लोगों में भावनात्मक जुड़ाव बना देती है। ज़िंदगी के हर मोड़ पर संगीत हमें संभाले रखता है, हमारे दुख-सुख का साथी बनता है, तो उसको आवाज़ देने वाला कलाकार का भी तो हमारे दिल के करीब होना बनता है।

आपका पसंदीदा संगीत कौन-सा है हमें कमेंट में ज़रूर बताएं। ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी पर बने रहें।

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