योग का एक प्रकार मौन यानी चुप्पी है। हालांकि, मौन केवल चुप रहना नहीं, बल्कि यह एक साधना है। जो न केवल हमारे दिमाग को शांत रहने में मदद करती है बल्कि सकारात्मक विचारों को भी पैदा करती है।
मेरी माँ अक्सर कहती रहती हैं कि, “एक चुप्पी सौ लोगों को हराने की ताकत रखती है”। मैं बचपन से उनकी यह बात सुनती आई हूं, पर इसका मतलब तब समझ आया जब मैंने मौन साधना को जाना। मौन साधना अपने अंतर्मन से मिलने की एक प्रक्रिया है। ऐसा करके हम अपने आपको और अपने विचारों को अच्छी तरह समझ पाते हैं।
मौन सिर्फ शब्दों को विराम देना नहीं है, बल्कि हमें मन को मौन रखना भी सीखना पड़ता है। हमारे मन में चल रही हर वक्त की उछल-कूद को चुप कराना पड़ता है, तभी हम मौन (Silent meditation) के सही फायदे ले सकते हैं। आइए जानते हैं मौन का महत्व, इसके फायदे और मौन रखने का तरीका।
मौन रहने के फायदे (Maun rahne ke fayde)
हम हर दिन न जाने कितने शोरगुल से गुज़रते हैं। कभी गाड़ियों की तेज़ आवाज़ें तो कभी भीड़-भाड़ वाले इलाकों के हंगामे का सामना करते हैं। ये सब हमारे दिमाग को बुरी तरह से थका देते हैं, ऐसे में हमें थोड़ी शांति की ज़रूरत होती है ताकि हम सुकून से जी सकें। इसके लिए मौन साधना बहुत फायदेमंद है।
दिन भर की उलझनों और बातचीत के बाद दिमाग में बहुत से सवाल और बेमतलब के ख्याल घूमते रहते हैं। इन्हें रोकने और दिमाग को शांति देने के लिए मौन साधना बहुत ज़रूरी है। मौन साधना कोई नई क्रिया नहीं है, पुराने समय से ही ऋषि मुनियों ने मौन का महत्व समझा है और दुनिया को समझाने की कोशिश भी की है।
मौन हमें मानसिक संतुष्टि देता है। हमें अपने जीवन का सही अर्थ को समझने और सवालों के जवाब ढूंढने में मदद करता है। जब मन शांत होगा तो चित्त भी प्रसन्न रहेगा। मन में सकारात्मक विचार आएंगे, जो हमें सही-गलत का भेद समझने में मदद करेंगे।
मौन गुस्से पर काबू पाना सिखाता है और हमें स्वस्थ रखता है। हम अपने हर काम को शांति से पूरा कर पाते हैं। अगर आप भी अपने मन को शांति देना चाहते हैं तो मौन साधना आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी।
मौन का रहस्य (Maun ka rahasye)
मौन ध्यान से अलग नहीं है , मौन योग साधना ही है। मौन मन के अनचाहे विचारों को मार देता है, वहीं दूसरी ओर मन में नए विचारों को जन्म भी देता है। मौन में शब्दों पर विराम लग जाता है और उसके बाद मन की भाग-दौड़ पर रोक लग जाती है।
व्यर्थ की बातों को कह कर कुछ हासिल नहीं होता बल्कि हमारा नुकसान ही होता है। गांधी जी मौन का पालन करते थे, और उनका मन “अहिंसा परमो धर्म” यानी हिंसा से दूरी बनाकर रहने को कहता रहा। मौन हमारी ज्ञानेंद्रियों में नई ऊर्जा का संचार करता है।
पुराने ज़माने में ऋषि मुनि किसी ऊंचे पर्वत पर एकांत में ध्यान करते थे। सालों तक मौन रख कर अपने मन में नए विचारों और ऊर्जा का संचार करते थे। सदियों से मौन का महत्व बना हुआ है। आप भी इसका लाभ लेना चाहते हैं तो आज से ही मौन साधना शुरू कर दीजिए।
मौन कैसे रखें? (Maun kaise rakhein?)
मौन साधना के लिए आपको किसी ऊंचे पर्वत पर जाकर बैठने की ज़रूरत नहीं है। अपने घर या किसी पार्क में बस एक छोटा-सा कोना ऐसा पकड़ लें, जहां बाहर का शोर न आता हो। वहां ध्यान की मुद्रा में बैठ जाएं। जुबान के साथ-साथ मन में आ रहे विचारों को रोकने की कोशिश करें। किसी सुखद अनुभव के बारे में सोचे या कुछ पल कुछ भी न सोचने की कोशिश करें।
अपने आस-पास मौजूद शांति को महसूस करें। होंठों पर मुस्कान रखें और कुछ मिनटों तक ऐसे ही बैठे रहें। अगर आप नहीं कर पा रहे तो रोज़ थोड़ा-थोड़ा अभ्यास करें, सफलता ज़रूर मिलेगी और जल्द ही आप अपनी जीवनशैली में इसके सकारात्मक प्रभाव भी महसूस कर पाएंगे।
आज आपने मौन का महत्व समझा और साथ ही मौन रहने के फायदे और मौन का रहस्य के बारे में भी जाना। आपको ये आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। ऐसे ही आर्टिकल पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी पर।