डिजिटल थकान

क्या आप भी हैं ‘डिजिटल थकान’ के शिकार? जानें इससे निपटने के 6 उपाय

यहां हम आपको कुछ ऐसे प्रभावी उपाय बता रहे हैं, जिनका उपयोग कर आप डिजिटल थकान से उबरकर स्वस्थ जीवनशैली अपना सकते हैं।

हमारी ज़िंदगी कोविड 19 महामारी शुरू होने के बाद लगातार डिजिटल होती जा रही है। यदि आप छात्र हैं तो आपको ऑनलाइन पढ़ाई करनी है और यदि आप काम करते हैं तो आपको दूर-दराज में बैठे अपने सहयोगी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करनी होती है। तकनीक अब आम जीवन का अभिन्न अंग बन गई है। 2020 में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में 34 फीसदी लोग हर सप्ताह औसतन 4 घंटे से ज्यादा का वक्त ग्रुप वीडियो कॉल पर बिता रहे हैं।

मज़े की बात तो यह है कि हम उस वक्त भी फोन पर चिपके रहते हैं जब हम काम अथवा पढ़ाई नहीं कर रहे होते हैं। ऐसा करते हुए हम कभी अपना मेल चेक कर रहे होते हैं या फिर अपनी फीड पर एक नज़र दौड़ा रहे होते हैं। यह आदत इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि कभी-कभी ऐसा लगता है कि हम खुद को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से जुदा कर ही नहीं सकते। परिणामस्वरूप हम शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह थक जाते हैं। कई बार सूचना की भरमार हमें ऐसी स्थिति में लाकर रख देती है जहां हम डिजिटल थकान (फटिग) के शिकार हो जाते हैं। इस डिजिटल थकान से हमारी ऊर्जा कम होती है और हम एक गंभीर खतरे की ओर कदम बढ़ा लेते हैं।

ऐसे में यह बेहद ज़रूरी है कि हम ऐसे उपाय खोजें, जिनका उपयोग कर हम डिजिटल थकान से निपट सकें। इस आलेख में हम आपको कुछ ऐसे उपाय सुझा रहे हैं जिनका उपयोग करते हुए आप इससे बच सकते हैं और एक बेहतर तथा स्वस्थ ज़िंदगी (Healthy life) की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

सक्रियता को बढ़ाएं (Sakriyata ko badhayen)

डिजिटल थकान से बचने के लिए हमें काम करते वक्त कुछ बातों का खास ध्यान रखना होगा। जैसे हम मोबाइल, लैपटॉप अथवा जिस किसी स्क्रीन का उपयोग कर रहे हैं उस पर से समय-समय पर कुछ देर के लिए नज़र हटा लें। कुछ देर का ब्रेक आपकी आंखों के लिए बेहद आवश्यक होता है ताकि वह पुन: प्राकृतिक स्थिति में लौट सकें। जब आप ब्रेक ले रहे हो तब सोशल मीडिया पर नज़र डालने के मोह से बचें। इसके स्थान पर आपको अपने उपकरणों को दूर रखते हुए अपनी कुर्सी से उठकर कुछ शारीरिक व्यायाम करना चाहिए। पैदल चलने, अपने कंधों को घुमाने और खिंचाव को बढ़ावा देने वाले व्यायाम करने से आपका रक्तसंचार बेहतर होगा और आपको इसका लाभ मिलेगा। अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में एक नियमित व्यायाम की जगह बनाएं, जिसका आपके काम और शरीर पर सकारात्मक असर होगा।

स्क्रीन टाइम का रखें ध्यान (Screen time ka rakhe dhyan)

एक रिपोर्ट के अनुसार ‘औसतन भारत में व्यस्क समूह एक दिन में 4.4 घंटे स्क्रीन के सामने गुजारता है। इस वक्त में पढ़ाई अथवा काम के दौरान गुजारा गया वक्त शामिल नहीं है।’

स्क्रीन पर ज्यादा वक्त बिताने की आदत अर्से बाद आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। डिजिटल थकान से बचाव के लिए आपको सोच-समझकर रोजाना स्क्रीन पर गुजारे जाने वाले वक्त में कमी लानी होगी। ऐसा करने का सबसे आसान तरीका यह है कि आपको दिन में खुद के लिए स्क्रीन फ्री टाइम निकालना होगा। उदाहरण के तौर पर आप अपना फोन सुबह सैर पर जाते वक्त घर में ही रख सकते हैं। खाना खाते वक्त सोशल मीडिया फीड पर नज़र डालने की लालसा को दूर रखने की कोशिश कीजिए। काम समाप्त होने के बाद यह सुनिश्चित करें कि आप कितने वक्त तक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूर रहेंगे और कितनी देर के लिए उसका उपयोग करेंगे।

वर्चुअल मीटिंग्स में कैमरा बंद रखें (Virtual meeting mai camera band rakhen)

वर्चुअल मीटिंग्स का चलन बड़ी तेज़ी से बढ़ा है और अब यह आम बात होती जा रही है। ज्यादा से ज्यादा कारोबारी और नागरिक विभिन्न ऐसे एप का उपयोग कर रहे हैं जिनके माध्यम से वर्चुअल मीटिंग्स का आयोजन कर कम खर्च में सहयोगी, मित्र और परिजनों से बात की जा सके। बात करते वक्त एक दूसरे के समक्ष होना अर्थात मुंह देखना अच्छी बात है लेकिन स्टैनफोर्ड के अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि वीडियो कॉल से हमारी थकावट में काफी इजाफा होता है। स्टैनफोर्ड वर्चुअल ह्यूमन इंटरएक्शन लैब के संस्थापक निदेशक प्रोफेसर जेरेमी बेलेंसन ने पाया कि, “यह काफी थकावट लाने वाला होता है। यह तनाव देने वाला होता है। इस बारे में अनेक शोध हुए हैं कि खुद को आइने में देखने की वजह से हमारे ऊपर काफी नकारात्मक भावनात्मक असर होता है।” जहां तक संभव हो आपको ऑडियो मीटिंग करनी चाहिए ताकि आप वीडियो कॉल करने से बच सकें। ऐसा करने से आप उस तनाव को कम कर सकते हैं जो आप खुद को स्क्रीन पर देखने के बाद महसूस करते हैं।

टाइम टेबल बनाएं (Time Table banayen)

अगर आप खुद को डिजिटल थकान से बचाना चाहते हैं तो आपको एक समय सारिणी बनाकर उसका पालन करना होगा। जब आप घर से ही काम करते हैं तो आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी इससे अस्त-व्यस्त हो जाती है। जब भी मौका मिले बिस्तर पर न जाएं और हमेशा अपना काम शुरू होने से कुछ देर पहले ही उठने की आदत न डालें। साथ ही काम करते समय ब्रेक लेने से राहत मिलती है। बेहतर होगा कि आप उठने, व्यायाम, भोजन, आराम और अपने मित्र तथा परिवार के साथ वक्त गुजारने की समय सारिणी बना लें। इसका पालन करने से आप डिजिटल थकान से बच सकेंगे और आप तनावमुक्त भी रहेंगे। ऐसा करते हुए आप स्वस्थ आदतों को भी अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लेंगे।

मल्टीटास्किंग  करें (Multitasking na karen)

जब आप मल्टीटास्किंग करते हैं, तो आप एक काम से दूसरे काम के बीच झूलते रहते हैं। ऐसा करने में आपको एक ही वक्त पर अनेक बातों पर ध्यान देना पड़ता है और इससे आपकी थकावट बढ़ सकती है। ऐसा करने के विपरीत परिणाम भी मिल सकते हैं और आप उस काम पर कम ध्यान दे सकते हैं, जिसे आपको सबसे ज्यादा ध्यान से करना चाहिए। इससे आपकी गुणवत्ता प्रभावित होगी। एक वर्चुअल मीटिंग के दौरान यदि आप एक से ज्यादा काम करने की कोशिश करेंगे तो आपकी डिजिटल थकान तेज़ी से बढ़ेगी। ऐसा करना आपके लिए नुकसानदेह साबित होगी। यदि आपको किसी कॉल पर बात करते वक्त ईमेल भेजने की आदत है, तो इसे तत्काल बंद करें, क्योंकि यह खतरनाक है। एक वक्त में एक ही काम पर ध्यान दें और मल्टीटास्किंग से बचें

पौष्टिक भोजन करें (Paushtik bhojan karen)

सारा दिन तरोताजा रहने के लिए एक संतुलित आहार लेना बेहद जरूरी होता है। आपको सुबह की शुरुआत में पौष्टिक नाश्ता करना चाहिए। आपके भोजन में न्यूट्रियंट्स, फाइबर और एंटीऑक्सीडंट्स भी होने चाहिए। इसी प्रकार सचेतन होकर भोजन करने की कोशिश कीजिए। उदाहरण के तौर पर भोजन अवकाश के दौरान आप अपना संपूर्ण ध्यान भोजन पर केंद्रित करें और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को दूर रखें। जब आप सचेतन होकर भोजन करते हैं तो आप ऊर्जावान बने रहते हैं जो आपको सारा दिन उत्पादक बने रहने में सहायता करती है।

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