क्रोध रूपी दैत्य को कैसे हराएं

क्रोध रूपी दैत्य को कैसे हराएं

क्रोध एक ऐसी तीव्र भावना है, जो आती जितनी तेजी से है, उतनी ही तेजी से नुकसान भी पहुंचाती है। यदि क्रोध रूपी दैत्य से सही से निपटा नहीं गया, तो वह क्रोधित व्यक्ति के साथ-साथ इसके आसपास के लोगों को भी हानि पहुंचा सकता है।

मैं पिछले सप्ताह दफ्तर से घर जाने के लिए निकली थी। तभी मैंने एक ऐसी घटना देखी कि मैं क्रोध से लाल हो गई। मैं ट्रैफिक जंक्शन पर खड़ी होकर टैक्सी का इंतजार कर रही थी। उसी समय मेरे सामने एक सिटी बस आकर रुकी। उसमें से एक बुजुर्ग आदमी उतर रहा था, बिना किसी सहारे के वह जैसे-तैसे बस से बाहर निकला ही था कि ड्राइवर ने वृद्ध की परवाह किए बिना ही बस आगे बढ़ा दी। मैंने देखा कि ड्राइवर ने ऐसा सिर्फ दूसरी बस को ओवरटेक करने के लिए किया था। इस घटना ने मेरा खून खौला दिया। बस ड्राइवर की इस बेरुखी को देख कर मुझे उस बुजुर्ग के लिए बेहद दुख हुआ। उस वक्त मैंने महसूस किया कि मैं काफी गुस्से में थी। इसका एक कारण यह भी था कि मैं उस समय उनके लिए कुछ न कर सकी।

ट्रैफिक की भीड़ में काफी देर के इंतजार के बाद एक टैक्सी से मैं आखिरकार घर पहुंचीं। जैसे ही मैं घर में घुसी, मेरी बहन ने मुझसे देर होने की वजह जाननी चाही। उसके प्रश्न पर ना जाने क्यों, लेकिन मैंने घर को सिर पर उठा लिया। मैं उस पर जोर-जोर से चिल्लाने लगी। मेरे ऐसे उग्र स्वभाव को देख कर वह हैरान रह गई और सोचने लगी कि उसने ऐसी कौन सी भड़कने वाली बात पूछ दी। मुझे थोड़े समय बाद महसूस हुआ कि मेरी बहन ने मुझसे बहुत ही साधारण सी बात पूछी थी और मैं चिढ़ गई थी। मेरी झुंझलाहट का कारण सिर्फ इतना था कि मैं उस बुजुर्ग की मदद न कर सकी। लेकिन, मैं सोचती रह गई कि मुझे इतना गुस्सा क्यों आया? इस गुस्से की जड़ कहां है? मैं कई दिनों तक आत्मचिंतन करती रही और क्रोध रूपी दैत्य (How to defeat the demon of anger) की जांच-पड़ताल करने लगी।

साधारण तौर पर देखें तो, क्रोध एक तरह का क्षणिक मात्र विस्फोट है, जो आपको भारी नुकसान पहुंचा सकता है। गुस्से के कारण व्यक्ति को लगता है कि उसका विचार, स्थान, आत्म-सम्मान या व्यक्तित्व खतरे में है। क्रोध सिर्फ असहजता के कारण ही नहीं आता है, बल्कि वह कभी-कभी किसी विवशता या निराशा के कारण भी आ सकता है।

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में एंगर यानी कि क्रोध की परिभाषा; झुंझलाहट, दुख या बदले की भावना के रूप में दी गई है। यदि हम गुस्से को मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो क्रोध जलन का भी एक रूप है। जलन कई बार गुस्से को ट्रिगर करती है। कई बार तो लोग गुस्सा जान-बूझकर भी करते हैं। क्रोध आने के कारणों में से एक सबसे आम कारण किसी के द्वारा नज़रअंदाज किया जाना और बुरा व्यवहार या अपशब्द का प्रयोग किया जाना है। इसके अलावा कुछ लोगों को अपनी सीमाओं में दखलअंदाजी भी पसंद नहीं आती है, जिससे उनके क्रोध का ज्वालामुखी फट जाता है। हालांकि, सबकी सीमाएं अलग-अलग होती हैं। कई बार अपनी परिस्थितियों से हार ना मानने के कारण और जीतने की जिद भी हमें क्रोधित कर सकती है।

क्रोध का संकेत क्या है? (Krodh ka sanket kya hai)

क्रोध एक ऐसी भावना है, जिसके संकेत बाहरी तौर पर दिखाई देते हैं। जिसमें चीखना-चिल्लाना या तेज़ आवाज़ में बोलने जैसे आम लक्षण शामिल हैं। इन्हीं संकेतों पर प्रकाश डालते हुए मनोवैज्ञानिक और हिप्नोथेरेपिस्ट तिष्य महेंद्रू साहनी बताते हैं कि गुस्से के संकेत हमेशा दिखाई नहीं देते हैं। कई बार क्रोधित व्यक्ति को खुद भी गुस्से के संकेत के बारे में नहीं पता होता है। ज्यादा या कम या बिल्कुल भी नहीं खाना, नशीले पेयपदार्थों का सेवन (शराब, धूम्रपान, ड्रग्स) करना, किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु को नुकसान पहुंचाना भी क्रोध की भावना को व्यक्त करने के तरीके हैं। आक्रामकता से इतर कुछ लोग शांत व्यवहार भी करते हैं, जैसे- खुद को एक कमरे में बंद कर लेते हैं, अकेले में रोते हैं, डायरी पर कुछ भी लिखते हैं और फिर उन पन्नों को फाड़ कर फेंक देते हैं।

डर, हानि या उदासी को छुपाने के लिए गुस्से को एक सुरक्षात्मक कवच के रूप में भी लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, गुस्सा आना एक प्रकार का सिग्नल भी है कि आपके मनमुताबिक चीजें नहीं हो रही है। गुस्सा आने के दो पहलू होते हैं। पहला क्रोध को खुद तक ही सीमित रखना और दूसरा गुस्से को जाहिर कर देना।

गुस्से का सामना जिस किसी ने भी किया है, वह अच्छी तरह से इस बात को जानता है कि उसके लिए क्रोध को नियंत्रित करना कितना कठिन है। लेकिन, यह नामुमकिन नहीं है, किसी भी तरह से क्रोध को नियंत्रित किया जा सकता है। क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु में नियुक्त मनोविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. किशोर अधिकारी के अनुसार क्रोध आपके अंदर जागृत होने वाली ऐसी भावना है, जिसके फूटने या उससे होने वाली क्षति पर आप नियंत्रण पा सकते हैं और यह ज़रूरी भी है। गुस्से को लंबे समय तक दबा कर रखने और किसी की भी मदद ना लेने से धीरे-धीरे यह क्रोध एक दिन मानसिक बीमारियों का जनक बन सकता है।

डॉ. अधिकारी बताते हैं कि,“गुस्सा अक्सर हमारे शरीर से व्यक्त होता है, यानी हमारे शरीर में कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती हैं। क्रोध में कुछ लोगों के हाथ, तो कुछ के पैर कांपने लगते हैं। वहीं, कई लोगों को तो अपने पेट में बुदबुदाहट भी महसूस होती है। इन शारीरिक प्रतिक्रियाओं को आपको पहचानने की ज़रुरत है। एक बार जब आप अपने क्रोध के लक्षण को पहचान जाएंगे, तो आप उसके आगे होने वाली क्षति के लिए सतर्क रहेंगे। इस तरह से आप अपने गुस्से पर काबू पा सकेंगे।”

डॉ. अधिकारी कहते हैं कि “क्रोध के लक्षणों को पहचानने के बाद अंतिम कदम उसके प्रति जागरूक होना है। जिसके बाद आप अपने क्रोध की भावना को आसान शब्दों में भी व्यक्त कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर आपको अपने बॉस के द्वारा कही गई किसी बात पर गुस्सा आया है, तो आप विनम्र शब्दों में उन्हें बताएं कि उन्होंने जो भी कहा है, उससे आपकी भावनाएं आहत हुई हैं। इसके बाद आप महसूस करेंगे कि आपका गुस्सा आहिस्ता से कम हो रहा है।”

हालांकि, कई मामलों में ऐसा करना संभव नहीं होता है, जैसे सड़क पर हिट-एंड-रन जैसे मामले में। ऐसी स्थिति में क्रोधित प्रतिक्रिया आना एक आम बात है। ऐसी स्थिति में अपने क्रोध की भावना को नियंत्रित करना ही एकमात्र उपाय है।

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जब कोई भी व्यक्ति गुस्से में हो तो उसका सामना सतर्कता से करना चाहिए। क्रोधित व्यक्ति के सामने बिल्कुल भी जजमेंटल ना हों और उसकी बातें शांत होकर सुनें। वहीं, जब कोई व्यक्ति अपनी स्थिति के बारे में बात ना मान रहा हो, तो उससे तर्क-वितर्क करने की कोशिश न करें। इन सबसे अलग, जब कोई व्यक्ति हिंसक प्रवृत्ति का हो, तो क्रोध के लक्षणों के बारे में जानते ही उसे रोकने का प्रयास करें।

मनुष्य के भीतर कई प्रकार की भावना होती है, जिसमें से एक भावना क्रोध भी है। क्रोध एक प्रबल भावना है। अगर गुस्से पर सही तरीके से काबू नहीं पाया गया तो वह क्रोधित व्यक्ति के साथ-साथ आसपास के लोगों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। सबसे अच्छी बात यह है कि आप क्रोध की भावना को स्वीकार कर सकते हैं। उसे समझ सकते हैं और किसी भी प्रकार की हानि पहुंचाने से पहले उसे रोक सकते हैं। इस तरह से आप क्रोध रूपी दैत्य से अपना जीवन बचा सकते हैं।

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