जंगल की सैर

जंगल की सैर

वृक्ष आत्म निरीक्षण और प्रेरणा के साधन होने के साथ-साथ प्रकृति के उपचारक भी हैं।

पक्षियों की चहचहाहट, भीगी घास, गिरिजाघरों से ऊंचे पेड़, पहाड़ी और ढलान समां बांध देती हैं। ऐसे स्थान पर आकर व्यक्ति बाहरी संसार से बिल्कुल कट सा जाता है। यह धरती पर स्वर्ग है। जंगल की सैर (Forest Walk) कई लोगों के विलासिता हो सकती है, लेकिन कुछ भाग्यशाली लोगों के लिए यह जीवन जीने का एक तरीका है। थके-हारे लोगों के लिए प्रकृति वरदान है।

इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि ऑस्कर वाइल्ड, रॉबर्ट फ्रॉस्ट, हेंड्री डेविड थोरो, हरमन हेस, इसाक न्यूटन और बुद्ध सभी को जंगल की सैर में असीम आनंद की प्राप्ति हुई। पेड़ लंबे समय तक प्रेरणा, आत्मावलोकन, यहां तक कि महान विभूतियों के लिए परम ज्ञान प्राप्ति का स्रोत रहा है।

जंगल की सैर करने के मनोवैज्ञानिक और शारीरिक लाभों को लेकर शायद ही कभी कोई प्रश्न उठाए जाते हैं। यह उपचार का एक नया तरीका बन चुका है। वर्ष 1982 में जापान के वन विभाग ने एक अनोखा विचार प्रस्तुत किया था, जिसे शिन्रिन-योकू के नाम से भी जाना जाता है। इसके लाभ के बारे में अध्ययन के बाद यह तरीका जल्द ही उपचार का चलन बन गया।

वास्तव में शिन्रिन-योकू है क्या? फॉरेस्ट मेडिसिन में अग्रणी टोक्यो स्थित निप्पॉन मेडिकल स्कूल के डॉ किंग ली के अनुसार शिन्रिन-योकू बेहतर स्वास्थ्य के लिए, जंगल में सैर करने का एक तरीका भर है।

यह पक्षियों की चहचहाहट सुनने, प्रकृति के हरे-भरे रंगों को देखने और मिट्टी तथा आसपास के फूल-पौधों की सुगंध में सांस लेने का एक असीम आनंद है।

यह मीलों पैदल चलने का कोई व्यायाम नहीं है। कोई सिद्धि भी नहीं है। यह बस आराम करने का एक तरीका है। एक बार जब हम जंगल की सैर के दौरान पगडंडियों पर चलने लगते हैं, तो  हम एक निश्चित दूरी तक चलते हैं, रुकते हैं। ध्यान लगाते हैं और अपनी इंद्रियों के माध्यम से आसपास की चीजों को महसूस करते हैं। कुल मिलाकर इस सैर का उद्देश्य सचेत मन के साथ जंगल के वातावरण में रम जाना है, ऐसे में हमारा मन ऐसा बंध जाता है कि वह टिम्बकटू जाने या त्योहार मनाने की योजना बनाने की सोच भी नहीं सकता।

शिन्रिन-योकू से कायाकल्प होता है और चित्त शांत होता है। बैचेन मन, थके हुए शरीर और लगातार कंप्यूटर-स्क्रीन पर काम कर थक चुकी आंखों के लिए जंगलों की सैर चमत्कार कर सकती है। शिन्रिन-योकू में भाग लेने वाले लोगों पर वर्ष 2010 में जापान के 24 जंगलों में एक अध्ययन कराया गया था। इसमें पाया गया कि शहरी वातावरण में रहने वाले लोगों की तुलना में इनका रक्तचाप कम रहा। हृदय गति सामान्य रही और इनमें एकाग्रता कम करने वाले तनाव हार्मोन की मात्रा भी कम पाई गई।

इकोलॉजी एक्सपर्ट जूली केर कैस्पर ने अपनी पुस्तक ‘फॉरेस्ट: मोर देन जस्ट ट्रीज़’ में विस्तार से बताया है कि किस तरह पौधों का सुगंधित प्राकृतिक तेल मस्तिष्क में तनाव को कम करता है। उनके अध्ययन के अनुसार हम जंगलों की हरियाली के बीच उत्साहित महसूस किए बिना नहीं रह सकते। वास्तव में शिन्रिन-योकू के अनुयायियों का मानना है कि शिन्रिन-योकू से हमारी इंद्रियां प्रकृति को गहराई से अनुभव कर पाती हैं, जो आगे गहन अंतर्ज्ञान को विकसित करने में मदद करता है।

स्वास्थ्यकारी होने के साथ ही जंगल की सैर हमें सौंदर्य की अनुभूति करने और उसकी प्रंशसा करने का हुनर भी सिखाती है। हमने अपने फोन पर बात करते हुए कई बार पार्कों में सैर की होगी, लेकिन जब हम जंगल की सैर करते हैं, तो हमारा तन-मन सब प्रकृति के सौंदर्य से सराबोर हो जाता है। यह प्रकृति की छोटी से छोटी रचना के महत्व को भी समझने के लिए हमें प्रेरित करता है। लोक गायक मैक डेविस ने अपने गीत ‘स्टॉप एंड स्मेल द रोज’ में इसे बड़े ही सुंदर तरीके से समझाया है। यह गीत कुछ इस प्रकार है:

आप को रुककर गुलाब की सुंगध लेनी ही होगी,
आप प्रतिदिन मिलने वाले वरदान को महसूस किए बिना नहीं रह सकते,
अगर रास्ते में रुककर गुलाब की सुंगध नहीं लेते,
तो आपको लगेगा कि स्वर्ग का रास्ता कितना दुर्गम और पथरीला है।

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