इटिंग डिसऑर्डर से परेशान हैं, तो आजमाएं ये उपाय

लोगों में अधिक खाने की बीमारी यानी बिंज इटिंग डिसऑर्डर एक गंभीर समस्या है। लेकिन, इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय हैं। खानपान और जीवनशैली में बदलाव लाकर इसको नियंत्रित किया जा सकता है।

अक्सर किसी दोस्त की शादी पार्टी या किसी खास फंक्शन में हम लोगों को कई ऐसे लोग दिख जाते हैं, जो खाना देखते ही स्टॉल पर टूट पड़ते हैं। आपके प्लेट का खाना अभी खत्म हुआ नहीं कि तब तक वे कई प्लेट चट कर जाते हैं। ऐसे लोग खाने की तरफ ऐसे टूट पड़ते हैं, जैसे उन्हें कल ये नसीब ही नहीं होने वाला है। कई बार नेटफ्लिक्स पर फिल्म देखते-देखते आप अपनी क्षमता से ज्यादा खाते हैं। अगर, आप भी तब तक खाते रहते हैं, जब तक कि आपका पूरा पेट भर नहीं जाता। फिर खाना खाने के बाद खुद पर पछतावा होता है कि कुछ ज्यादा ही खा लिया, तो यकीन मानिए आप भी अधिक खाने की बीमारी यानी बिंज इटिंग डिसऑर्डर के शिकार हो सकते हैं। इस परेशानी से जूझ रहे लोग दूसरे लोगों की अपेक्षा अधिक खाना खाते हैं, वो भी कम अंतराल पर।

इस बीमारी का कोई भी शिकार हो सकता है। भले ही उसका वजन और आयु कितनी ही क्यों न हो। नेशनल इटिंग डिसऑर्डर एसोसिएशन (एनईडीए), यूएसए के मुताबिक, बींज इटिंग डिसऑर्डर (बीईडी) पर हुए राष्ट्रीय सर्वे के आधार पर पता चला है कि लगभग 2.8 मिलियन अमेरिकी वयस्क इस बीमारी का शिकार हैं और यूएसए में यह एनोरेक्सिया और बुलिमिया की अपेक्षा अधिक प्रचलन में है। हालांकि, बिंज इटिंग डिसऑर्डर क्यों होता है, इस संबंध में अब तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है।

एनहांस्ड स्ट्राइटल डोपामाइन रिलीज डुरिंग फूड स्टिम्यलैशन इन बिंज इटिंग डिसऑर्डर (Binge eating disorder) नाम एक रिसर्च से खुलासा हुआ है कि हमारे मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर भी एक वजह हो सकती है। चूंकि यह आपकी खुराक को नियंत्रित करने वाली क्षमता पर असर डालता है।

ऐसे लोग जो इस विकार से पीड़ित हैं, वे तनाव और किसी तरह की परेशानी के दौरान अपनी क्षमता से अधिक मात्रा में खाते हैं। ऐसा नहीं है कि वे सिर्फ भूख लगने पर ही खाते हैं। अपनी क्षमता से अधिक मात्रा में खाना खाने के बाद इस तरह के लोग बाद में शर्मिंदगी महसूस करते हैं और खुद को कोसते हैं। अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन के मुताबिक,“ बिंज इटिंग एक क्रॉनिक डिजीज है। यह स्वास्थ्य संबंधी गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकती है। गंभीर बीमारियों में मोटापा, शुगर, हाई ब्लड प्रेशन और हृदय रोग शामिल हैं।”

लेकिन, राहत की बात है कि खानपान और जीवनशैली में बदलाव लाकर बिंज इटिंग डिसऑर्डर को नियंत्रित किया जा सकता है। अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं, तो इन उपायों को आजमाकर इस बीमारी से निजात पा सकते हैं।

नियमित एक्सरसाइज करें (Niyamit exercise karen)

स्वस्थ रहने के लिए नियमित व्यायाम करना बेहद ज़रूरी है। अगर आप रोजाना अपनी शारीरिक क्षमता के मुताबिक व्यायाम करते हैं, तो आपको कई परेशानी से राहत मिल सकती है। नियमित व्यायाम करने से तनाव दूर होता है और आपका मूड भी बेहतर रहता है। जब आप शारीरिक रूप से मजबूत और मानसिक सुकून में रहेंगे, तभी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में आने वाले प्रेशर और तनाव का सामना बेहतर ढंग से कर पाएंगे। इसके अलावा तनाव को नियंत्रित करने की आपकी क्षमता में भी काफी सुधार आएगा। शोध के अनुसार, व्यायाम एंजाइटी, डिप्रेशन और मन में चल रहे नकारात्मक विचारों को कम करके मानसिक सेहत को दुरुस्त करता है। इसलिए अपनी दिनचर्या में व्यायाम को ज़रूर शामिल करें। इससे आप अपने रोज़मर्रा की ज़िंदगी में आने वाले तनाव से निजात पा सकते हैं। साथ ही अधिक खाने की बीमारी को भी नियंत्रित कर सकते हैं।

पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं (Paryapt matra mein pani piyen)

स्वस्थ रहने के लिए शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत ज़रूरी है। अगर आप पर्याप्त मात्रा में पानी पीते हैं, तो यह आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। यह आपके पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और भोजन को पचाने में मदद करता है। हमारे अंगों और हड्डी के जोड़ों को मजबूत बनाता है। साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन आपको अधिक खाने की इच्छा को रोकने में सहायता करता है। मोटापे से पीड़ित बुजुर्गों में नाश्ते के दौरान पानी पीने से एनर्जी लेवल कम हो जाता है। एक शोध में पाया गया है कि भोजन से पहले पानी पीने से गैर-मोटापे से ग्रस्त लोगों में ऊर्जा का स्तर कम होता है। इस शोध से साबित होता है कि शरीर को हाइड्रेटेड रखना कितना ज़रूरी है। यह अधिक खाना खाने की परेशानी से निजात दिलाता है।

भूखे पेट रहें और समय पर भोजन लें (Bhukhe pet na rahen aur samay par bhojan len)

अगर, आप अक्सर समय पर भोजन नहीं लेते हैं और खाना खाना भूल जाते हैं, तो इससे भी बिंज इटिंग डिसऑर्डर हो सकता है। अगर आप गलती से नाश्ता लेना भूल गए हों, तो यह स्वाभाविक है कि आप दोपहर का भोजन अधिक मात्रा में लेंगे। लेकिन, आपकी यही आदत लगातार जारी रही, तब संभव है कि आप भी बिंज इटिंग डिसऑर्डर के शिकार हो सकते हैं। द इन्फ्लुएंस ऑफ मील फ्रीक्वेंसी एंड टाइमिंग ऑन हेल्थ इन ह्यूमन: द रोल ऑफ फास्टिंग नामक एक शोध के मुताबिक, भोजन की फ्रीक्वेंसी और समय में फेरबदल करने मात्र से एनर्जी और मैक्रोन्यूट्रिएंट इंटेक को प्रभावित किया जा सकता है। इसलिए भोजन, खासकर नाश्ता अपने तय समय पर ज़रूर लें और इसे कभी न छोड़ें। क्योंकि नाश्ता आपको दिनभर ऊर्जा से भरपूर रखता है।

सलीके से खाना खाने का अभ्यास करें (Salike se khana khane ka abhyas karen)

अगर आप अधिक खाने की आदतों को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो आज से ही सलीके से भोजन करने का अभ्यास करना शुरू कर दें। यदि आप अच्छे ढंग से भोजन करते हैं, तो आप तटस्थ होकर अपने व्यवहार का मूल्यांकन कर सकते हैं। साथ ही मन में चलने वाले विचारों पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे और आप सकारात्मक ढंग से सोच सकेंगे। ऐसा करके आप खराब तरीके खाने की अपनी आदत को ठीक कर सकते हैं, जिससे आपको भी बिंज इटिंग की आदत पड़ सकती थी। एक शोध के मुताबिक, माइंडफुलनेस मेडिटेशन बिंज इटिंग और इमोशनल इटिंग से परेशान एक बड़ी आबादी की आदतों को प्रभावी ढंग से कम करने में मदद करता है।

बिंज इटिंग को बढ़ावा देने वाले कारकों की पहचान करें (Binge eating ko badhava dene wale karkon ki pahchan karen)

अगर अधिक खाना खाने या बिंज इटिंग डिसऑर्डर की समस्या का उपचार हो चुका है, तो यह जानने में काफी सहायता मिल सकती है कि ऐसे कौन-से कारक हैं, जो इस तरह के व्यवहार को बढ़ावा देते हैं, ताकि इससे पहले कि आप इसका शिकार बनें, आप अपनी ओर से ठोस पहल कर सकते हैं। आमतौर पर स्ट्रेस और एंजाइटी के चलते लोग इससे राहत पाने के लिए अधिक खाना खाते हैं। ऐसा करके वे अपनी भूख नहीं मिटाते हैं, बल्कि अपनी भावनात्मक ज़रूरतों की पूर्ति के लिए अधिक मात्रा में खाना खाते हैं। इस विषय पर छपने वाले जर्नल का आप अध्ययन करते हैं, तो इसके कारकों के बारे में अधिक जानकारी मिल सकती है। इससे यह भी पता चल सकता है कि यह बीमारी कब होती है और इसकी क्या वजह हैं।

पर्याप्त मात्रा में नींद लें (Paryapt matra mein nind len)

स्वस्थ जीवन जीने के लिए पर्याप्त नींद बहुत ज़रूरी है। इसलिए समय से सोएं और समय से जागें। आप नियमित रूप से अपनी नींद की दिनचर्या का पालन करते हैं, तो आपके शरीर को काफी आराम मिल सकता है। आपका मूड भी बेहतर रहेगा और आपकी एकाग्रता के स्तर को बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो सकता है। वहीं, अगर आप पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं लेते हैं, तो कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इससे आपका मन हमेशा बोझिल और तनावग्रस्त रहेगा। पर्याप्त नींद नहीं लेने से एंजाइटी की समस्या हो सकती है। यह आपकी भूख को भी बढ़ाता है। बिंज इटिंग डिसऑर्डर और अनिद्रा के बीच परस्पर संबंधों पर हुए एक शोध में पाया गया कि “बिंज इटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित मरीजों में उन लोगों की तुलना में अधिक अनिद्रा के लक्षण पाए गए, जिन्हें कभी भी यह बीमारी नहीं हुई थी।” इसलिए किसी भी सूरत में नींद से समझौता नहीं करना चाहिए। नेशनल स्लीप फाउंडेशन की गाइडलाइन के मुताबिक, एक व्यस्क इंसान को रोजाना 7 से 9 घंटे की नींद ज़रूर लेनी चाहिए। वहीं, एक शिशु, छोटे बच्चों और किशोरों को मानसिक और शारीरिक विकास के लिए और भी अधिक नींद की ज़रूरत पड़ती है। इसके अलावा,  65 से अधिक उम्र के बुजुर्गों को भी रोजाना कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद बहुत ज़रूरी है।

परेशानी बढ़ने पर विशेषज्ञों से सलाह लें (Pareshani badhne par visheshagya se salah len)

आमतौर पर देखा गया है कि अधिक खाने वाले लोग दूसरे लोगों के साथ अपनी समस्याओं के बारे में बात करने से परहेज करते हैं। उन्हें दूसरों के साथ इस समस्या को साझा करने में शर्मिंदगी महसूस होती है। आंकड़ों से पता चलता है कि बिंज इटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित आधे से कम (43.6 प्रतिशत) लोगों को ही उपचार मिल सकेगा। फिर भी इस स्थिति से निपटने के लिए किसी विशेषज्ञ से राय-मशविरा लेना बहुत ज़रूरी है। नेशनल इटिंग डिसऑर्डर एसोसिएशन की तरफ से बताए गए थेरेपी में कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी, डायलेक्टिकल बिहेवियरल थेरेपी और इंटरपर्सनल बिहेवियरल थेरेपी शामिल हैं। ये थेरेपी वास्तव में काफी कारगर भी हैं। आप किसी भी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स से बात करके भी आप अपनी ज़रूरत के मुताबिक ट्रीटमेंट प्लान ले सकते हैं। यह आपको अधिक खाने की समस्या से राहत दिलाने में काफी मददगार साबित हो सकता है।