इन 7 उपायों से चिंता को करें दूर

‘पैनिक अटैक’ (Panic Attack) आपको असहाय बना सकता है और आपकी सोच को भी प्रभावित कर सकता है। इससे निपटने में आपकी मदद करने के लिए कई आजमाएं हुए और प्रमाणित उपाय हैं। इन 7 उपाय को जानने के लिए पढ़ें ये लेख।

चिंता करने के लिए कोई बड़ा कारण होना ज़रूरी नहीं है। कठिन परीक्षा के समय लिखना, मंच पर परफॉर्म करना, लाइफ पार्टनर से मिलने जाना या शर्मीले लोगों के लिए दोस्त बनाना आदि काम कई लोगों की दुखती रग को दबा सकते हैं। कई लोगों के लिए थोड़ा बड़ा कारण जैसे निर्णयात्मक इंटरव्यू, मेडिकल जांच अथवा नापसंद किया जाना या किसी अपने को खो देना, जैसे कारण भी चिंता (Anxiety) का विषय बन जाते हैं। चिंता करना एक सामान्य सी बात है, पर कभी-कभी चिंता भय के दौरे पैनिक अटैक में बदल जाते हैं।

मैं अपने निजी अनुभव से आपको बता रही हूं : चिंता का भाव हमारी लॉजिकल थिंकिंग और सोचने की क्षमता पर असर डालता है।

सांस फूलना, सीने में दर्द, कंपन होना और जी-घबराने जैसे उपहार मुझे डर के दौरे (पैनिक अटैक) ने दिए हैं। शुक्र है मेरे परिवार, दोस्तों और अनुभवी लोगों का, जिन्होंने मुझे इन लक्षणों के बारे में बताया और चिंता भगाना (Drive Away Anxiety) सिखाया। अब मैं इनसे अकेले लड़ सकती हूं।

क्या आप कभी इन परिस्थितियों का सामना कर चुके हैं? घबराइए मत। इन्हें संभालने के अनेक तरीके हैं।

रिलेक्सेशन टेक्निक (Relaxation Techniques)

लंबी और गहरी सांस लेना : यह एक आज़माया हुआ तरीका है। जब भय का दौरा (पैनिक अटैक) आपको जकड़ लेता है और हिलने नहीं देता तो ऐसी परिस्थिति में यह उपाय बहुत काम आता है। अपने दिमाग को शांत करने के लिए गहरी सांस लें। सांस लेने और सांस छोड़ने पर नियंत्रण रखें।

मेरी एक सहकर्मी सांसों के साथ गिनती करना पसंद करती है। चिंता होने पर वह अपने डेस्क पर ही इसे करती है पर जब चिन्ता का प्रभाव बढ़ने लगता है तब वह टहलने निकल जाती है या किसी एकांत जगह पर चली जाती है। जब वह लौट कर आती है तब सामान्य होती है।

अगर आप खुद को यह कहते रहें कि परिस्थितियां नियंत्रण में हैं, तो आपको बहुत मदद मिलेगी और चिंता भगाना आसान हो जाएगा।

थपकियां : मनोचिकित्सकों के हिसाब से थपकियां तनाव को कम करने की प्रभावशाली तकनीक है। इस प्रक्रिया में आपको अपने सिर के ऊपर, नाक के नीचे और अपने निचले होंठ के नीचे अपने दोनों हाथों की तर्जनी और बीच की उंगलियों से थपथपाना है। इसको लय में करने से यह तरीका तनाव दूर करने में प्रभावशाली सिद्ध होता है, इस तरह से चिंता को भगाना संभव है।

ध्यान भटकाना

जब आप अकेले हो और भय और चिंता सताने लगे, तो उसे दूर करने का सबसे आसान तरीका है कि आप लक्षणों को पहचानकर अपना ध्यान किसी और बात पर केंद्रित करें।

मैं अपनी पसंदीदा किताब लेती हूं और उसकी कहानियों में खो जाती हूं। कभी अपना पसंदीदा गाना सुनती हूं या बगीचे में पानी देने चली जाती हूं।

सार्वजनिक स्थानों पर रंगों और हलचल पर ज्यादा ध्यान देने से मुझे बहुत मदद मिलती है। मैं हर चीज़ में अच्छाइयां ढूंढने की कोशिश करती हूं। उदाहरण के लिए मेरे पास दो कुत्ते हैं और जब भी मैं भूरा या काला रंग देखती हूं तो मैं अपने कुत्तों के मुलायम फरों का एहसास करती हूं।

खुशी का एहसास मुझे आनंदित करता है और इस तरह से अच्छी यादों का एक सिलसिला भी शुरू हो जाता है। यह करने का मकसद सिर्फ यही है कि मैं अपना ध्यान चिंता या भय से मोड़कर उन यादों की तरफ ले जाऊं जिससे मुझे आनंद प्राप्त होता है। आखिरकार यह दिमाग का ही तो खेल है।

पॉजिटिव अफेरमेशन (Positive affirmations)

आत्मविश्वास की कमी भी चिंता और भय को जन्म देती है। ‘मैं नाकारा हूं और किसी काम के लायक नहीं हूं’, इस भाव से हम सभी अच्छी तरह से परिचित हैं। हम इसे अपने मन में दोहराते रहते हैं और इसी कथन को सत्य मान लेते हैं।

इसके विपरीत अगर चिंता भगाना है, तो अपने मन को समझाना चाहिए और अपनी क्षमताओं को पहचानकर उनका बेहतर उपयोग करना चाहिए।

लेखन

कभी-कभी डर, असफलता, जलन और असुरक्षा जैसे ख्याल हमारे दिमाग को घेर लेते हैं। यही ख्याल हमें भय के क्षेत्र में धकेल देते हैं। इन विचारों के बहाव में हम मुसीबत से घिर जाते हैं और हमारी सांस फूलने लगती है।

अगर आप चिंता को भगाना चाहते हैं, तो अपने विचारों को कागज़ पर लिखें, जब हम इन्हीं विचारों को किसी कागज़ पर लिख देते हैं, तो वह हमारे सामने खड़े हो जाते हैं। जब हम इन्हें पात्र के रूप में हमारे सामने देखते हैं, तो यह हास्यास्पद नज़र आते हैं और हम इन्हें अनायास ही नज़रअंदाज़ करना शुरू कर देते हैं।

ध्यान

मैंने यह सुना है कि अगर हम अपनी जीवनशैली में ध्यान को शामिल करें, दिन में एक या दो बार तो जीवन संतुलित हो जाता है। अगर हम सही तरीके से ध्यान करते हैं, तो हमारा मस्तिष्क विचारहीन हो जाता है, जिससे हमें चिंता देने वाले विचारों को रोकने में भी मदद मिलती है।

संवाद

जब कभी मुझे चिंता सताती है और मैं चिंता भगाना चाहती हूं, तो मैं अपने दोस्तों या परिवार तक पहुंचने की कोशिश करती हूं, जो सिर्फ एक कॉल की दूरी पर होते हैं। संवाद लाभदायक हैं। मेरे मन में जो भी आता है, मैं कह देती हूं। बस, फिर सामने से जो जवाब मिलता है, उससे बड़ा सुकून मिलता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम एक सही इंसान का चयन करें, जिसे हमारी अवस्था का ज्ञान हो।

इन सारे उपायों से मुझे मेरी चिंता को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। कभी-कभी हमें चिकित्सकीय सलाह की भी जरुरत पड़ सकती है। अगर हमें चिंता भगाना है और इसके लिए किसी मनोचिकित्सक के पास जाने से मदद मिलती है, तो उसमें कोई खराबी नहीं है। आपको और मुझे भी किसी अन्य व्यक्ति की तरह ही एक शांत और सुकून भरा जीवन व्यतीत करने का हक है, जिसके लिए अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचानना ज़रूरी है और चिंता भगाना ज़रूरी है।

अपनी चिंता से लड़ने की शक्ति आपके अंदर ही है। उसे खोजिए।