हम सब ने अपने बचपन में कभी-न-कभी चेस (Chess) जरूर खेला होगा। दिमाग की कसरत कराने वाला यह गेम जाने-माने गेम्स में से एक है। यह खेल देश में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में खेला जाता है। ऐसा माना जाता है कि चेस की जड़ें भारत से जुड़ी हैं, जिसे सालों पहले ‘चतुरंगा’ के नाम से जाना जाता था। उस समय में इसे शाही खेल माना जाता था और राजा-महाराजा ही इसे खेला करते थे।
यही कारण है कि चेस के खेल में राजा, रानी, सैनिक , हाथी, घोड़ा, वज़ीर आदि जैसे मोहरे होते हैं। हर मोहरे की अपनी चाल, अपना नियम और अपनी शक्ति होती है। एक तरह से देखा जाए तो यह राजाओं के युद्ध की तरह लगता है, फर्क सिर्फ इतना है कि इसे तलवार से नहीं बल्कि दिमाग से खेला जाता है।
अपने अनोखेपन के कारण धीरे-धीरे शतरंज भारत से निकलकर दुनियाभर में प्रसिद्ध हो गया। आज के समय में चेस पूरी दुनिया में एक मशहूर खेल बन चुका है। चेस विश्वस्तर पर खेला जाता है, जिसमें दुनिया-भर के लोग भाग लेते हैं। आइए जानते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस कब मनाया जाता है, इसके पीछे की कहानी क्या है और शतरंज कैसे रखता है आपके दिमाग को दुरुस्त।
अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस कब मनाया जाता है?
हर साल 20 जुलाई को विश्वस्तर पर अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस (International Chess Day in Hindi) मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर में चेस के कई गेम्स होते हैं। शतरंज दिवस के दिन लोग एक-दूसरे को चेस खेलना सिखाते हैं, स्कूलों में लेक्चर होते हैं, ऑनलाइन चेस की प्रतियोगिता रखी जाती है और काफी भी कुछ किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस मनाने का उद्देश्य है दुनियाभर में चेस के फ़ायदों के प्रति लोगों को जागरूक करना और इस खेल का उत्सव मनाना।
अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस क्यों मनाया जाता है?
फ्रांस के पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (International Chess Federation – FIDE) की स्थापना 20 जुलाई, 1924 को हुई थी। यह अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ दुनियाभर में ऑफिशियल चेस कॉम्पिटिशन का आयोजन कराती है। 1966 में, क्यूबा के हवाना में आयोजित 42वीं FIDE कांग्रेस के दौरान, 20 जुलाई को आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस के रूप में घोषित किया गया था। इस तारीख को FIDE की स्थापना और दुनियाभर की चेस कम्यूनिटी को सेलिब्रेट करने के लिए चुना गया था।
शतरंज कैसे रखता है आपके दिमाग को दुरुस्त?
आज के समय में बच्चे हों या बड़े, हर कोई स्क्रीन के सामने ही अधिक वक्त गुजारता है। चेस बोर्ड के प्रति लोगों का रुझान कम हो रहा है। लेकिन, आज के समय में भी ऐसे कई लोग हैं जो नियमित रूप से चेस खेलते हैं और बच्चों को भी कम उम्र से ही खेलना सिखाते हैं। चेस सिर्फ एक फन गेम नहीं है बल्कि यह दिमाग की कई तरह से मदद करता है।
आइए देखते हैं दिमाग के लिए चेस खेलने के फायदे:
चेस बढ़ाता है प्रॉब्लेम-सॉल्विंग स्किल
अगर बच्चे को कम उम्र से ही चेस खेलना सिखाया जाए तो बच्चे का दिमाग ज्यादा अच्छी तरह विकसित होता है। कम उम्र के बच्चों को अगर चेस का एक्सपोजर मिले तो वे स्कूल में अच्छा परफॉर्म कर सकते हैं। इसके अलावा वयस्कों में लिए भी चेस प्रॉब्लेम-सॉल्विंग स्किल को बढ़ाता है। जो लोग नियमित रूप से चेस खेलते हैं, उनका दिमाग, इसे न खेलने वालों के मुकाबले, अधिक एलर्ट होता है।
चेस खेलने से बढ़ती है एकाग्रता
किसी भी खेल पर फोकस करने से एकाग्रता तो बढ़ती ही है और चेस में तो खासतौर पर दिमाग का काम होता है।
चेस खेलने वाले लोगों को अपनी एक चाल चलने के लिए अपना पूरा ध्यान खेल पर लगाना होता है। ऐसे में चेस प्लेयर का कॉन्सन्ट्रैशन काफी अच्छा होता है।
चेस खेलने वालों की यादाश्त होती है अच्छी
कुछ स्टडीज बताते हैं कि चेस अलजाइमर (Alzheimer’s) जैसी खतरनाक बीमारियों को भी ठीक करने में मदद करता है। अलजाइमर एक दिमागी स्वास्थ्य समस्या होती है, जिसमें लोग बातें भूलने लगते हैं। चेस में अपनी करेंट की चाल के साथ-साथ अगली चाल की भी तैयारी करनी होती है और साथ ही दूसरों की चालों पर भी ध्यान देना होता है। इस प्रक्रिया में दिमाग पर काफी जोर पड़ता है, जिससे यादाश्त बेहतर होती है।
शिजोफ्रेनिया में मिल सकती है मदद
शिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) एक मानसिक रोग है। इसमें मरीज की भाषा, व्यवहार सहित कई अन्य आदतों में भी बदलाव देखा जा सकता है। कुछ रिसर्च बताते हैं कि चेस इस बीमारी के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। एक स्टडी में देखा गया कि जो रोगी चेस खेलते रहें, उनमें न खेलने के मुकाबले, अधिक सुधार हुआ।
अटेंशन डेफ़िसिट हाइपर एक्टिव डिसॉर्डर से मिल सकती है राहत
अटेंशन डेफ़िसिट हाइपर एक्टिव डिसॉर्डर (ADHD) एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। यह आज के समय में बच्चों में और टीनेजर में काफी कॉमन है। हालांकि, कुछ एडल्ट्स में भी इस स्वास्थ्य समस्या को देखा गया है। इसका कारण है कि आज के समय में ध्यान भटकाने की अनगिनत चीजें हमारे आस-पास ही मौजूद हैं। इसके वजह से किसी एक चीज पर ध्यान लगाना बच्चों के लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बच्चे हाइपर एक्टिव बनते हैं, किसी भी चीज पर ध्यान नहीं लगा पाते। इस स्थिति में भी चेस मददगार हो सकता है।
कॉन्फिडेंस करता है बूस्ट
खेल लोगों को पास लाता है। उनमें गिरकर उठने की हिम्मत जगाता है। जो लोग गेम्स खेलते हैं, उन्हें हार स्वीकार करने की आदत होती है। इसलिए उनका आत्मविश्वास नहीं डगमगाता, उनमें कॉन्फिडेंस भरा होता है। चेस खेलने वाले लोगों पर भी यही असर देखा जा सकता है। आप चाहे किसी भी उम्र के क्यों न हों, लेकिन जब आप चेस खेलते हैं और हार जाते हैं तो आप जरूर सोचेंगे कि आपने कौन-सी चाल में गलती की थी। इससे आप अगली बार बेहतर खेलेंगे और जीतेंगे। ऐसा होने पर हर बार आप अपनी गलती से सीखते हैं और दोबारा बेहतर करने पर आत्मविश्वास से भर जाते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस के अवसर पर आप भी आदत बनाएं नियमित रूप से चेस खेलने की और दूसरों को भी इसे खेलने की प्रेरणा दें। शतरंज दिमाग के लिए, आपके आत्मविश्वास के लिए, आपकी यादाश्त के लिए काफी अच्छा है। यह सिर्फ खेल नहीं बल्कि एक थेरेपी भी है। आज आपने अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस के महत्व के बारे में और शतरंज खेलने के फ़ायदों के बारे में जाना। ऐसे ही जानकारी भरे आर्टिकल पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी पर।