ताज़ी-ताज़ी कॉफी की सुगंध और गर्म टोस्ट पर बटर की सुगंध हमें सुबह बिस्तर से उठने पर मज़बूर करता है। इसी तरह सूखी जमीन पर पड़ने वाली बारिश की बूंदों के बाद की भीनी सुगंध का एहसास ही अलग होता है। इसी प्रकार समुद्री हवा की नमकीन गंध या एक पुरानी किताब का सुगंध हमारे अंदर उत्साह लाता है। ये तमाम सुगंध कहीं ना कहीं हमें भीतर से शांत कर देते हैं।
सुगंध हमें अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करते हैं। यह हमारे अंदर विभिन्न भावनाओं को जगाने के अलावा, हमारी पुरानी यादें भी ताज़ा कर देते हैं। उदाहरण के लिए, वैफेल्स की खुशबू हमें उस वक्त की याद दिला सकती है, जब पहली बार हमारे किसी अपने ने हमारे लिए नाश्ता बनाया था। समुद्र की खुशबू हमें हमारी पुरानी यात्रा की यादगार छुट्टी के सफर पर दोबारा ले जा सकती है। यह अविश्वसनीय है कि कैसे सुगंध यह सब कर सकते हैं।
हमारी सूंघने वाली इंद्रियां जिसके द्वारा हम सुगंध का अनुभव करते हैं, काफी शक्तिशाली होती हैं। अन्य सेन्सेस से अलग यह अचेतन और सहज तरीके से काम करती है। अरोमाथेरेपिस्ट एलिजाबेथ ऐनी जोन्स अपनी किताब ‘अवेकन टू हीलिंग फ्रेग्रेंस: द पावर ऑफ एसेंशियल ऑयल थेरेपी’ में गंध हमारे जीवन में कैसे काम करती है, इसके बारे में बताती है। वो कहती हैं कि जब हम एक सुगंध को सुंघते हैं, तो उसकी मॉलीक्यूलर इंफरेमेशन सबसे पहले हमारे दिमाग के प्राथमिक भाग में दर्ज होती है। यह न्यूरोनल इंफरेमेशन, ब्लड वेसल्स के बैरियर को तोड़ते हुए हमारे नर्वस सिस्टम से गुजरते हुए सीधे हमारे ब्रेन के इमोशनल रिस्पॉन्स को कंट्रोल करने वाले हिस्से तक पहुंचती है। वहां से आगे यह हिप्पोकैम्पस तक पहुंचती है, जहां सुगंध और उससे जुड़े इमोशन्स को मेमोरी के रूप में संजोकर रखा जाता है। इसके बाद यह इंफरेमेशन हायपोथैलेमस तक पहुंचती है, जो मेटाबॉलिज्म को अल्टर कर हमारे ऑटोनॉमस नर्वस सिस्टम और यहां तक कि हमारे एंडोक्राइन सिस्टम को बदल देती है। अंत में यह नियोकोर्टेक्स के राइट टेम्पोरल लोब तक पहुंचती है। इसके बाद हम स्वयं गंध के प्रति सचेत हो जाते हैं। सौ बातों की एक बात, सुगंध हमारी भावनाओं को प्रभावित कर हमारे मन की स्थिति को बदल देते हैं और हमारे जागरूक होने से पहले ही वह शारीरिक कार्यों के बारे में सचेत होकर हमें प्रभावित करते हैं।
सुगंध का हमारे शरीर और दिमाग पर होने वाले प्रभाव को देखते हुए कई सुगंध का निर्माण कर उनकी बिक्री हमारे लाभ के लिए की गई है। वास्तव में बहुत से सुगंध औषधीय जड़ी बूटियों से लिए गए हैं ताकि उनका अर्क निकाल कर उनके चिकित्सीय प्रभाव को बढ़ाया जा सके। ऐसे में अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी सुगंध का प्रयोग किया जाता है। उपचार की वह शाखा, जो स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए हर्बल फ्रेग्रन्सेस व सुगंध का उपयोग करती है, जिसे अरोमाथेरेपी कहते हैं। न्यूयॉर्क इंस्टीट्यूट ऑफ एरॉमॅटिक स्टडीज के एक प्रशिक्षक एमी एंथनी कहते हैं: ‘मैं हर्बर्लिज्म के सब सेट के रूप में अरोमाथेरेपी को जानने की कोशिश कर रहा हूं। हर्ब, मेडिसिन की एक ब्रांच है, जो हर्बल प्रिपरेशंस का हेल्थ परपस से उपयोग करती हैं। यहां किसी व्यक्ति की बनावट को उसकी वर्तमान चिकित्सकीय स्थिति व लक्षणों के साथ समझा जाता है। अरोमाथेरेपी, एरॉमॅटिक प्लांट्स पर और विशेष रूप से उनके डिस्टल्ड एसेंस पर केंद्रित होती है। कई अरोमाथेरेपिस्ट आवश्यक तेलों और सुगंधित पदार्थों के साथ काम करते हैं, जो जड़ी-बूटियों में इस्तेमाल होने वाले किसी न किसी पौधे के समूहों से संबंधित होते हैं।’
संयोग से अरोमाथेरेपी नई नहीं है। प्राचीन काल से ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए व चिकित्सीय लाभ के लिए सुगंधित मिश्रणों का उपयोग किया जाता रहा है। बहुत से प्रसिद्ध लोग समस्त सुख को पाने के लिए अरोमाथेरेपी का उपयोग करने के लिए जाने जाते हैं। उनमें से एक मिस्र की रानी हॅटशेपसूट है, जिसने अपने मन और शरीर की जीवन शक्ति को बढ़ाने के लिए मिररह (लोहबान) नामक सुगंध से अपना अभिषेक करवाया था। इस सुगंध ने ना केवल उसे शांत और संयमित रहने में मदद की बल्कि, उसकी इम्युनिटी को भी बढ़ाया और उसकी आध्यात्मिकता को मज़बूती प्रदान की। इससे यह पता चलता है कि ये अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए फ्रेग्रन्सेस सदियों से इलाज का एक अनिवार्य हिस्सा है, लेकिन अरोमाथेरेपी ने केवल 20वीं शताब्दी की शुरुआत में ही व्यापक स्वीकृति प्राप्त की है। इस लेख में सोलवेदा ने पता लगाया है कि कैसे फ्रेग्रन्सेस (सुगंध) का हमारे शारीरिक, मानसिक और हमारे ऊर्जा स्त्रोतों पर प्रभाव पड़ता है।
शारीरिक स्वास्थ्य (Sharirik Swasthya)
अच्छा स्वास्थ्य (Good health) के लिए इसका काफी प्रयोग किया जाता है। फ्रेग्रन्सेस व एरोमॅटिक कम्पाउंड्स को हमेशा से ही शारीरिक बीमारियों जैसे त्वचा के विकारों और पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि फ्रेग्रंसेस से हमेशा ही हमारा स्वास्थ्य बेहतर होता है। यह हमारी इम्युनिटी को बढ़ाकर हमारे शरीर को वायरल, बैक्टीरियल व फंगल इंफेक्शन से छुटकारा दिलाता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (एनसीबीआई) द्वारा प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया है, ‘विभिन्न ज़रूरी तेलों में जैविक गुण को पाया गया है, जैसे कि इनमें इंटी इन्फ्लेमेटोरी, सिडेटिव, डाइजेसटिव, एंटी मायक्रोबियल, एंटीवायरल, एंटीऑक्सिडेंट के साथ-साथ सायटोटॉक्सिक एक्टीविटीज भी होते हैं।’ कुल मिलाकर कहें तो अच्छे स्वास्थ्य के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है।
अच्छे स्वास्थ्य व हमारी इम्युनिटी को बढ़ाने के अलावा फ्रेग्रंसेस (विशेष रूप से ज़रूरी तेलों के रूप में) दर्द वाली जगह पर त्वचा पर मलने से दर्द से भी राहत मिलती है। इस प्रकार ज़रूरी सुगंधित तेल शरीर के पुराने दर्द का चाहे वह पीठ का दर्द हो, घुटनों में दर्द हो या गर्दन में दर्द हो, इलाज करने में उपयोग किया जाता है। एनसीबीआई की प्रकाशित हुई एक स्टडी के अनुसार, सुगंधित अदरक के तेल से मालिश करने पर रोगियों ने पीठ दर्द में कमी देखी। इसी तरह, गुलाब के तेल ने गुर्दे के दर्द से होने वाली परेशानी को काफी कम कर दिया।
मानसिक तंदुरुस्ती (Mansik Tandurusti)
सुगंधों को सुंघने से मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित करता है, क्योंकि सुगंधित पदार्थ सीधे ऑटोनॉमस नर्वस सिस्टम के साथ डायरेक्ट इंटरएक्ट करता है। यहां तक कि हमारे हार्मोन भी इससे रेग्युलेट होते हैं, क्योंकि सुगंध सीधे हमारे एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करती है। इसकी पुष्टि एनसीबीआई की एक प्रकाशित स्टडी से होती है। स्टडी में कहा गया है, ‘फ्रेग्रंसेस, हमें मानसिक सतर्कता में या शांतिपूर्ण ध्यान की स्थिति में ले जाकर हमारी महसूस करने व सोचने-समझने की हमारी क्षमता को गहराई से प्रभावित कर सकती है। (..) इलेक्ट्रोइन्सफलोग्राफ स्टडीज से स्पष्ट पता चला है कि फ्रेग्रंसेस, हमारी विभिन्न मस्तिष्क तरंगों की गतिविधियों को महत्वपूर्ण रूप से नियंत्रित करती है और हमारे मस्तिष्क की विभिन्न अवस्थाओं के लिए जिम्मेदार होती है।’ ऐसे में ये कहना गलत ना होगा कि फ्रेग्रंसेस अच्छे स्वास्थ्य में अहम भूमिका अदा करती है।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए सुगंध तनाव के कारण होने वाली चिंता व नींद संबंधी विकारों से लेकर अवसाद और पागलपन तक कई तरह के मनोवैज्ञानिक विकारों का इलाज कर सकती है। उदाहरण के लिए, यह साबित हो गया है कि चमेली की सुगंध हमें सक्रिय व रोमांटिक महसूस करने में मदद करती है, जबकि पुदीने का रस हमारी सतर्कता को बढ़ाता है। इनसे भी ज्यादा एक अध्ययन में कहा गया है, लैवेंडर के तेल की सुगंध भरी धारा डिमेंशिया के मरीजों में उत्तेजित व्यवहार के उपचार में हल्की असरदार है। फ्रेग्रंसेस का अच्छे स्वास्थ्य में काफी योगदान है।
चक्रों पर प्रभाव (Chakro par prabhav)
अच्छे स्वास्थ्य के लिए सुगंध हमारे फिजियोलॉजी व सायकोलॉजी को कैसे प्रभावित करती है, इसके बारे में काफी कुछ लिखा जा चुका है। लेकिन क्या सुगंध हमारे चक्रों (शरीर के एनर्जी जंक्शंस) को प्रभावित कर सकती है व हमारे ऑरिक वेल बीइंग को बढ़ा सकती है? पता चला है कि हां, सुगंध ऐसा करने में समर्थ है। अल्टरनेटिव थेरेपिस्ट व लेखिका शालीला शरामन अपनी किताब, ‘द चक्र हैंडबुक: फ्रॉम बेसिस अंडरस्टैंडिंग टू प्रैक्टिकल एप्लीकेशन’ में बताती हैं कि कैसे कुछ सुगंध हमारे चक्रों को प्रोत्साहित करती हैं व अच्छे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। वह कहती हैं, ‘फ्लावर और प्लांट्स के सटल इथरियल (सूक्ष्म इथरियल) पदार्थ, ह्यूमन की एनर्जी बॉडी को टच करते हैं, चक्र की सीट को छूकर उनकी उपचार करने की सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा के मार्ग को प्रकाशित करते हैं’। शरामन एक उदाहरण देते हुए कहती हैं कि तेजपान की तीखी महक गले के चक्र को आराम देती है व आत्म-अभिव्यक्ति की सुविधा प्रदान करती है। यह सुगंध अनिवार्य रूप से हमें आत्मा के आंतरिक संदेशों को समझने व संप्रेषित करने में मदद करती है। इसी तरह, गुलमेंहदी (रोजमेरी) को सौर तंत्रिका चक्र को बढ़ावा देने वाला कहा जाता है, जिससे हमें अपनी जड़ता को दूर करने और कार्य करने में मदद मिलती है।
हर दिन हम पर ढेर सारी खुशबुओं की बौछार होती है – कुछ अच्छी होती हैं और कुछ अन्य इतनी अच्छी नहीं होती हैं। पर वे हमेशा हमें प्रभावित करती हैं, कुछ तो हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हैं। उदाहरण के लिए, हमने शायद ध्यान दिया हो कि वाहनों के धुएं की गंध न केवल हमारे श्वसन स्वास्थ्य को बल्कि हमारे मूड को भी प्रभावित करती है। दूसरी ओर, फूलों की सुगंध हमारे मूड और हमारे समग्र स्वास्थ्य को बढ़ाती है। दुर्भाग्य से शायद ही कभी हम इन प्रभावों को गंभीरता से लेते हैं। यदि हम केवल अपने रास्ते में आने वाली प्रत्येक गंध पर ध्यान दें, चाहे वह अच्छी हो या बुरी, तब हम इस बात से अवगत होंगे कि विभिन्न सुगंध हमें कैसा महसूस करवाती हैं। यह जागरूकता हमें केवल कुछ सुगंधों के संपर्क में आने से हमारी शारीरिक, मानसिक व ऊर्जा अवस्थाओं को बदलने के लिए सशक्त बना सकती है। तो अब बताओ, क्या यह एक महाशक्ति नहीं है, जिसे हम सभी अपने पास रखना चाहेंगे?