हमारे परिवार में चार सदस्य थे, लेकिन परिवार में एक नन्हें-मुन्ने के आने से अब हम पांच हो गए। पेरेंट्स की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था, क्योंकि अब उनका परिवार पूरा हो गया था। अब पेरेंट्स के पास तीन प्यारे बच्चे हैं और उनका लालन-पालन करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा। लेकिन परिवार की बड़ी बहन इस बदलाव से खुश नहीं थी। माता-पिता अपने सभी बच्चे को एक समान प्यार करते हैं, लेकिन फिर भी वह भाई के जन्म के बाद उनके ध्यान और व्यवहार में हुए बदलाव के साथ खुद को एडजस्ट कर रही थी। इसके साथ ही वह तनाव और चिंता में रहने लगी। कुछ समय बाद दूसरे भाई का जन्म हुआ, अब उसकी सारी उम्मीद खत्म हो गई। वह यह समझ चुकी थी कि जो प्यार और देखभाल उसे पहले मिलता था, अब वह उसे कभी नहीं मिलेगा। समय बीतता गया हफ्ते महीनों में बदल गए और इसके साथ-साथ वह बच्ची गुमसुम हो गई। उसके माता-पिता उसमें हुए इस बदलाव से बेखबर थे। उसकी बड़ी आंखों के पीछे की उदासी को वह समझ पाने में असफल थे, क्योंकि उन्होंने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। इसी तरह से ना सिर्फ इंसान, बल्कि हमारे पालतू जानवर भी स्ट्रेस और डिप्रेशन का सामना कर सकते हैं। आपको जान कर हैरानी होगी कि आपका पालतू कुत्ता भी उदास रह सकता है।
बतौर पालतू जानवर के अभिभावक हम अपने पेट्स को एक बच्चे की तरह प्यार करते हैं। यह प्रक्रिया हम उनके साथ उम्र भर करते हैं। लोग अपने पेट्स के साथ भले ही लंबा समय गुजार ले, लेकिन वे अभी भी अपने नाजुक व मुलायम पेट्स के बारे में पूरी बातें नहीं जानते होंगे। खासकर तब हम नहीं समझ पाते हैं, जब वे तनाव और डिप्रेशन से गुजर रहे होते हैं।
इंसानों में डिप्रेशन व एंजायटी को समझ पाना कठिन काम है। इसे तब तक नहीं पहचाना जा सकता है, जब तक कि कोई उनके लिए आवाज न उठाए। ईश्वर का वरदान ही कह लीजिए कि हम लोग आपस में संचार और बातचीत के जरिए अपने मनोभाव को व्यक्त कर पाते हैं। लेकिन बेजुबान जानवर जैसे कुत्ते और बिल्लियां, अपने व्यवहार या मनोभाव के बारे में कैसे बता पाएंगे? उनके मनोभाव को समझना काफी मुश्किल काम है। वे अपनी खुशी, गम, दर्द, गुस्सा या तनाव ये सब जाहिर तो करते हैं, लेकिन हम उसे समझ नहीं पाते हैं।
पालतू पशुओं में डिप्रेशन बहुत खराब स्थिति है, जो उन्हें हमसे दूर या अलग-थलग कर सकती है। इस स्थिति से बचने के लिए हमें उनके हरकतों पर ध्यान देना होगा। पालतू पशुओं (Pet) के व्यवहार, शारिरिक और मानसिक स्थिति से ही हम उनकी बीमारी का पता लगा सकते हैं। कुछ रिसर्चर्स का मानना है कि पालतू पशुओं में स्ट्रेस या तनाव के कुछ सामान्य लक्षण नजर आते है। न्यूयार्क सिटी के वेस्टर्न मेडिसीन और एनसिएंट चायनीज हीलिंग आर्ट्स में प्रैक्टिस करने वाले पशु चिकित्सक डॉ. रेचल बराक का मानना है कि सामान्य तौर पर कुत्ते और बिल्लियों की मानसिक स्थिति उनके जीवन में हुए बदलाव पर निर्भर करते हैं, जैसे कि उनके किसी प्रिय का खो जाना, किसी की मौत हो जाना, किसी नए घर में शिफ्ट होना, दिनचर्या में बदलाव आदि। ऐसी स्थिति में पालतू जानवरों के व्यवहार में बदलाव आ जाता है। वे तनाव में या परेशान रहने लगते हैं। आइए अब कुत्ते और बिल्ली जैसे पालतू जानवरों में तनाव के लक्षणों को समझने का प्रयास करते हैं।
पालतू पशु अकेले में रहता है (Paltu pashu akele main rahta hai)
अगर आपका पालतू पशु ज्यादा से ज्यादा वक्त अकेले में जैसे टेबल, सोफे या अपने बिस्तर पर बिताता है, तो हो सकता है कि वह तनाव या डिप्रेशन से गुजर रहा है। वे बाहर से आलसी लग सकते हैं, पर ऐसा भी हो सकता है कि वे तनाव में हो। अगर वे अपना नाम पुकारे जाने या इशारा करने पर भी कोई हरकत न करे। वे खेलना-कूदना बंद कर दे और उन चीजों में दिलचस्पी न दिखाएं, तो यह तनाव के लक्षण हैं।
भूख कम लगना
जैसे इंसान के टेंशन में होने पर उन्हें भूख नहीं लगती है, वैसे ही पालतू पशु में भी होता है। जिसे एनोरेक्सिया नर्वोसा कहा जाता है। ठीक हमारी तरह ज्यादा स्ट्रेस और डिप्रेशन के कारण पालतू जानवरों में एनोरेक्सिया हो सकता है। खाने को मना करने का कारण नए वातावरण से लेकर अचानक घर के किसी सदस्य के गुजर जाने से हो सकता है। कारण कुछ भी हो, वे खाने को मना कर देंगे, चाहे वह उनका मनपसंद खाना ही क्यों न हो। वे कई दिनों तक भूखे रह जाते हैं, जो उनके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है।
अचानक से आक्रामक होना
पालतू जानवर जब अधिक तनाव में होते हैं, तो उनका व्यवहार आक्रामक हो जाता है। वह आपके मित्र, पड़ोसी पर भौंकेंगे या गुर्राएंगे। तनाव जैसी बातों से अनजान लोग अपने पालतू पशु को शांत करने के तरीके ढूंढते हैं, जैसे- उनकी मनपसंद चीज उन्हें देना, उन्हें घर में कहीं बांध कर रखना या उनके ऊपर चिल्लाना। ऐसे व्यवहार से आपके पालतू पशु की स्थिति और बिगड़ सकती है। अक्सर जानवरों में आक्रामकता का व्यवहार उनके प्रति बुरा व्यवहार करने से आता है।
लगातार चाटना और चबाना
पालतू पशु द्वारा खिलौने को चबाने या पंजे चाटने के अनगिनत वीडियो और तस्वीरें इंटरनेट पर मौजूद हैं। जो आपको देखने में बेशक अच्छा लगता होगा। लेकिन कभी-कभी कुछ जानवर हद से ज्यादा चाटना या चबाना शुरू कर देते हैं। पालतू पशु के इस मनोस्थिति को अभिभावक समझ नहीं पाते हैं। जैसे- मनुष्य अपनी चिंता और घबराहट को शांत करने के लिए नाखून चबाने लगते हैं या पैर हिलाने लगते हैं। वैसे ही जानवर चाटना और चबाना शुरू कर देते हैं। एक ही जगह या समान को बार-बार चाटने से जानवरों का तनाव कम होता है।
बिछड़ने पर गुर्राना और चिल्लाना
जब कुत्ते और बिल्ली तनाव में होते हैं, तो वे चिल्लाते हैं, ज्यादातर ऐसा उनके अभिभावक के उनके पास न रहने पर होता हैं। यह लक्षण जानवरों को उनके अभिभावक से अलग होने के दुख का होता है। इसके कारण उनकी भूख और नींद में कमी आती है। इंसान के बच्चे की तरह ही जानवर भी अपने अभिभावक से ज्यादा दिन दूर रहने पर स्ट्रेस में आ जाते हैं। इस स्थिति में वे रात-दिन चीखना-चिल्लाना शुरू कर देते हैं।
घुलने-मिलने से बचने के लिए छिपना
कभी-कभी कुछ कुत्ते और बिल्लियां अपने आसपास के लोगों या मूड के अनुसार शर्मीला व्यवहार करते हैं। अगर ऐसा वे ज्यादा करना शुरू करते दे, तो इसका मतलब है कि वे तनाव में हैं। इंसान से बचने के लिए वे ज्यादातर कहीं ना कहीं छिपे रहते हैं। यहां तक कि अपने खेलने के समय पर भी वे बाहर नहीं निकलते हैं। स्ट्रेस में आपका पालतू जानवर आपकी नजर और किसी काम को करने से बचते हैं। अगर इस वक्त उन्हें कोई लाड-प्यार देने की कोशिश करता है, तो वे आक्रामक हो सकते हैं या अकेले में वक्त गुजारने के लिए कोई और जगह ढूंढ लेंगे।
बाहर घुमाने ना ले जाएं, तो होता है तनाव (Bahar ghumne na le jayen, to hota hai tanav)
जब कुत्ते और बिल्ली के अभिभावक उन्हें घुमाने के लिए बाहर ले जाना भूल जाते हैं, तो वे घर में या कूड़ेदान में मल-मूत्र करने लगते हैं। लेकिन अगर आपका पालतू घर के हर कोने में पेशाब करना शुरू कर दे, तो यह उनमें तनाव का संकेत है। जैसा कि कुत्ते और बिल्लियों की आदत होती है अपने मूत्र द्वारा अपने रहने के क्षेत्र की पहचान करना। वैसे ही, जब किसी नए पशु के आने से तनाव में जाते हैं, तो उनका यह व्यवहार देखने को मिलता है। क्योंकि वह उस स्थिति में अपने घर पर अपना हक जताना चाहते हैं और चारों तरफ मूत्र त्याग करते हैं।
इंसानों की तरह कुत्ते और बिल्लियों में भी फीलिंग्स होती है, शायद इसीलिए वे हमसे इतनी अच्छी तरह घुल-मिल जाते हैं। काश अगर हम उन सब की भाषा समझ पाते, तो तुरंत उनकी समस्याओं का हल ढूंढ लेते। लेकिन यदि पालतू जानवर के अभिभावक उनकी छोटी से छोटी हरकत पर ध्यान दें, तो उनमें थोड़ा भी बदलाव होने पर वे उन्हें डॉक्टर को दिखा सकते हैं। ये न भूले कि तनाव किसी को भी अंदर ही अंदर खत्म कर सकता है। इसीलिए कुछ बुरा होने से रोकने के लिए अपने पालतू पशुओं को करीब से समझें और उनका पूरा ध्यान रखें।