पालतू जानवर

5 एनिमल थेरेपी; इनका प्यार जख्म पर लगाता है मरहम

सोलवेदा दुनिया के कुछ विख्यात और कुछ गुमनाम पालतू जानवरों को याद कर रहा है, जिन्होंने अपनी सेवा से मानव जाति का दिल जीता है।

पालतू जानवर अपनी सच्चाई से हमारे दिल को जीत लेते हैं और अपनी मस्ती से हमें खूब हंसाते हैं। जब हम अकेले होते हैं, तो हमें वे अपनापन देते हैं। वो हमें ज़िंदगी में खुश रहना सिखाते हैं और जीवन की हर उस घड़ी में हमें सहारा देते हैं, जब हमारे साथ कोई नहीं होता। जानवरों में अपने आसपास खुशी बिखेरने की एक अलग ही कला होती है। शायद इसलिए हम पालतू जानवरों (Pet) से इतना ज्यादा प्यार करते हैं। एक तरह से इनकी मदद से इलाज भी हो जाता है। बेलफास्ट की क्वीन यूनिवर्सिटी (Queen’s University Belfast) के एक अध्ययन ने जानवरों को पास रखने के फायदे गिनवाएं हैं।

इसके अनुसार पालतू जानवरों को पास रखने या उन पर हाथ फेरने से ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) कम होने में सहायता मिलती है। साथ ही हमारी हार्ट रेट (Heart rate) संतुलित रहता है। शायद इसी वजह से पालतू जानवर को घर में रखने वाले लोगों को हम खुश देखते हैं। हमारा सामना एलर्जी से करवाकर जानवर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर हमें एलर्जी और फेफड़ों की बीमारी से दूर रखने में सहायता करते हैं। स्वाभाविक रूप से जानवरों की सहायता करने और उपचार में सहायक चिकित्सा पद्धति अब आम बात होती जा रही है। क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट राधिका नायर एनिमल एंजल्स फाउंडेशन की संस्थापकों में से एक हैं। वे और उनके थैरेपी डॉग (Therapy Dog) ऐसे बच्चों, बुजुर्गों और व्यस्कों के साथ काम कर चुके हैं, जिन्हें शारीरिक दिव्यांगता अथवा मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ा है। उनका अनुभव है कि जानवरों का साथ पाकर ऐसे मरीजों में सामाजिक, भावनात्मक व संज्ञानात्मक सुधार हुआ है। इसके साथ ही पालतू जानवरों की वजह से मरीज खुले दिल से डॉक्टर से बात करते हैं। राधिका के अनुसार एक बार उन्होंने देखा कि मानव तस्करी (Human trafficking) का शिकार हुए बच्चों का शोषण भी किया गया था। जब उन्हें मेरे पास लाया गया, तो वे मुझसे बात करने को तैयार नहीं थे, लेकिन जब वे पेट्स के साथ घुलने-मिलने लगे, तो धीरे-धीरे वे मुझ से भी बात करने लगे।

घर, अस्पताल, नर्सिंग होम हो या जेल, मनोरोग चिकित्सा विभाग, थैरेपी और सर्विस एनिमल ने वहां जाकर लोगों की सहायता की। ऐसा कर उन्हें खुशी का अहसास ही दिया है। साथ ही पशु की मदद से इलाज भी किया गया। सोलवेदा दुनिया के कुछ ऐसे ही पालतू जानवरों को याद कर रहा है, जिन्होंने अपनी सेवा से मानव जाति का दिल जीता है।

ऑस्कर, द कैट (बिल्ली)

रोड आइलैंड यूएसए में स्टीयर हाउस नर्सिंग एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में अल्जाइमर एवं पार्किंसंस डिजीज (Parkinson’s disease) व डिमेंशिया (Dementia) के मरीजों का इलाज किया जाता है। वहां के स्टाफ ने जब ऑस्कर को अपनाया, तो वह बहुत छोटा था। ऑस्कर स्टाफ और मरीजों के साथ जल्दी ही दोस्ताना व्यवहार करने लगता है। उसे यह भी आभास हो जाता है कि किस मरीज की मौत होने वाली है। उसको जब मरीज की मौत का आभास होता है, तो वह उसके आसपास घूमने लगता है और उसे उसके अंतिम समय में प्यार देकर उसकी मौत को आसान बना देता है। वह अब तक 50 से ज्यादा मरीजों को इस तरह विदा कर चुका है। इस तरह पालतू जानवर की मदद से इलाज हो रहा है।

सेंटर के डॉ डेविड दोसा ने अपनी पुस्तक ‘मेकिंग राउंड्स विथ ऑस्कर : द एक्स्ट्राऑर्डिनरी गिफ्ट ऑफ एन ऑर्डिनरी कैट’ में इस पर विस्तार से लिखा है। उनके अनुसार एक बार डॉक्टरों ने ऑस्कर को एक मरीज के पास रखा, जो उनके हिसाब से मरने वाला था, लेकिन ऑस्कर उस मरीज के पास रुकने को तैयार नहीं था। वह अन्य मरीजों के साथ ही खेल रहा था। सब लोग उस वक्त हैरान रह गए, जब ऑस्कर जिस मरीज के साथ खेल रहा था, उसकी पहले मौत हो गई। ऑस्कर का मौत को लेकर पूर्वानुमान इतना सटीक होता है कि अब तो डॉक्टर उस मरीज के परिवार को खबर भी कर देते हैं, जिनके पास ऑस्कर उसकी मौत का अनुमान लगाकर बैठ जाता है। ऐसे में परिजन भी अंतिम समय में अपने प्रियजन से मिलने आ जाते हैं।

बटरकप, द पिग

बटरकप एक मोटे पेट वाला वियतनामी सूअर है। जो अपने मालिक सैन फ्रांसिस्को निवासी लोइस ब्रैडी, स्पीच पैथोलोजिस्ट के साथ मरीजों का इलाज करने के लिए जाता है। लोइस इसे विशेष सहायता की ज़रूरत वाले बच्चों के पास ले जाते हैं। यह स्वभाव से इतना शांत होता है कि आक्रामक बच्चों को आसानी से बर्दाश्त कर लेता है। ऐसे में वह ऑटिस्टिक बच्चों में काफी लोकप्रिय है। वह अपने करतब से उनकी जिज्ञासा को बढ़ाता है। इस तरह पालतू जानवर की मदद से मरीज का जख्म भरा जा सकता है।

ऑटिस्टिक बच्चे इससे बोलने की भी कोशिश करते हैं, ताकि वे भी उसके साथ बात कर सके। वे उसका ध्यान रखने के लिए भी तैयार रहते हैं। वे उसके साथ खेलने, खाने और घूमने में खुशी महसूस करते हैं। ब्रैडी ने अपने एक ब्लॉग में लिखा है कि बटरकप की ज़रूरतों का ध्यान रखते हुए वे अपनी ज़रूरत के प्रति भी सचेत होने लगते हैं।

मैजिक, द मिनिएचर हॉर्स

पालतू जानवरों के लिए काम कर रही जेंटल कैरासौल मिनिएचर थैरेपी हॉर्स फ्लोरिडा की एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है। इनके घोड़ों को सर्विस एनिमल (Service animals) के रूप में प्रशिक्षण दिया जाता है और यह बाद में शारीरिक रूप से दिव्यांग लोगों की मदद करते हैं। यह प्राकृतिक आपदा से पीड़ित लोगों या किसी अन्य वजहों से परेशान लोगों की भी सहायता करते हैं। मैजिक नामक घोड़ा गंभीर बीमारी या कैंसर से जूझ रहे लोगों में काफी लोकप्रिय है। मैजिक युद्ध से लौटे सैनिकों को भी राहत देता है, जिन्होंने काफी मुश्किल वक्त गुजारा होता है। वह ऐसे सैनिकों के चलाने में सहयोगी बनता है, जिन्होंने युद्ध में अपने पैर गंवा दिए थे। मैजिक मानव तस्करी का शिकार हुए बच्चों (Child trafficking victims) के लिए भी ज़िंदगी में आगे बढ़ने में सहायक बनता है। इस तरह से पालतू जानवर जख्म भरने का काम भी कर रहे हैं।

विलियम, द डोंकी

जितने भी पालतू जानवरों को प्रशिक्षण दिया है, उसमें गधा ही सबसे चतुर है। शांत स्वभाव का मालिक गधा एक बेहतरीन सहानुभूति रखने वाला साथी होता है। इंग्लैंड की डोंकी सैंचुरी एक अंतरराष्ट्रीय चैरिटी है, जो डोंकी असिस्टेड थैरेपी मुहैया करवाने कराती है। यह थैरेपी शारीरिक, सामाजिक व बेहवियरल अक्षमता (Behavioural disabilities) से परेशान लोगों के काम आती है। यहां के गधों को उपेक्षा और जानलेवा बर्ताव से मुक्त करवाया गया था। गधों को बचाने और उन्हें प्रशिक्षित करने के बाद उन्हें बच्चों की थैरेपी में लगाया जाता है। इसमें से ही एक गधा है – विलियम डी। उसे भुखमरी और उपेक्षित माहौल से निकाल कर लाया गया था। शायद इसी वजह से वह दिव्यांग बच्चों में ज्यादा खुश रहता है। स्वाभाविक रूप से ऑटिस्टिक बच्चे भी विलियम को बेहद पसंद करते हैं। ये बच्चे अब सीख गए हैं कि किसी का प्यार पाने के लिए परफेक्ट होना ज़रूरी नहीं होता।

स्माइली, द डॉग

पालतू जानवर भी जख्म भरते हैं, उन्हीं में से एक है स्माइली डॉग। जो अपनी मुस्कान से लोगों का दिल जीत लेता है। इसको ओंटारियो की एक पप्पी मिल से जानवरों के डॉक्टर तकनीकी सहयोगी जोआन जॉर्ज ने बचाया था। निश्चित रूप से स्माइली परेशान था। जब जोआन को स्माइली के लिए कोई ठिकाना नहीं मिला, तो उन्होंने उसे अपने पास रख लिया। जैसे-जैसे स्माइली जोआन के साथ रहने लगा, उसके व्यवहार में बदलाव आने लगा। उसके चेहरे पर एक मनमोहक मुस्कान रहती, जिसे देखकर जोआन ने उसे थैरेपी पेट (Therapy dog) बनाने का निर्णय किया।

अब स्माइली एक दशक से भी ज्यादा वक्त से लोगों पर अपनी मुस्कान का जादू बिखेर रहा है। उसने कनाडा की सेंट जॉन्स एंबुलेंस नामक ट्रेनिंग देने वाली संस्था के साथ काम किया है। वहां रहते हुए वह नर्सिंग होम, अस्पताल और स्कूल में भी जाता था। उसने विशेष सहायता की जरूरत वाले बच्चों के साथ भी काफी काम किया है। नेत्रहीन पेट्स को मुस्कुराते देख बच्चे अपनी परेशानी भूल जाते हैं। उसने उन्हें सिखाया कि वे भी सारी बातें भुला कर उपयोगी और खुश रह सकते हैं।

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