इन गुड फेथ (In good faith), अनजान भारत की खोज में निकली सबा नक़वी ने दक्षिण में तमिलनाडु से लेकर उत्तर में कश्मीर और पश्चिम में राजस्थान से लेकर पूर्व में बंगाल तक की यात्रा को पत्रकार की नज़रों से बयां किया है।
सबा नक़वी इस यात्रा में उस भारत की खोज पर निकली थी, जो ‘सभी समुदायों के लिए सहिष्णु (Tolerant) और सुरक्षित तथा विभिन्न पहचानों का समिश्रण है। बजाय इसके कि वो हमें छोटे–छोटे वर्गों में बांटे कि एक हिन्दू अणु यहां है, एक मुस्लिम तत्व वहां है, एक ईसाई घटक कुछ दूरी पर है, तो एक सिख तत्व शहर के परकोटे में है।’
भारत, अपने बहुसांस्कृतिक, बहुधार्मिक और बहुभाषी लोगों के साथ हृदय में धर्मनिरपेक्ष (secular) को लिए बैठा है। भारत में रहते हुए हमें विभिन्न धर्मों के शांतिपूर्ण सह–अस्तित्व के अनेक उदाहरण रोज ही देखने को मिलते हैं। यह किताब आपकी सह अस्तित्व की धारणा को उस वक्त और मजबूती प्रदान करती है, जब नक़वी हमें सह अस्तित्व और एकता के प्रतीक धर्मस्थल, मंदिर और दरगाहों की सैर करवाती हैं।
किताब की शुरुआत सबा नक़वी अपना परिचय देते हुए करती हैं। आउटलुक पत्रिका की पूर्व राजनीतिक संपादक सबा नक़वी, मुस्लिम शिया पिता और प्रोटेस्टेंट ईसाई माता की बेटी हैं। उनका विवाह बंगाल के एक हिन्दू से हुआ है। उनकी मिश्रित पृष्ठभूमि को देखते हुए हिन्दू–मुस्लिम एकता की परतों को खोलने की उनकी जिज्ञासा को एक व्यक्तिगत यात्रा के रूप में भी देखा जा सकता है।
किताब एक खोजपूर्ण फिल्म की अनुभूति कराती है। इसमें लेखिका ने भारत की अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न धार्मिक स्थलों का पूर्ण ब्योरा दिया है, जिसमें मुगलकाल से ही मौजूद हिन्दू–मुस्लिम एकता की जड़ों पर ज़ोर दिया गया है।
इतिहास के पन्नों की सैर कराती यह किताब देश के प्रत्येक भाग में मौजूद भारत के धार्मिक ताने–बाने का महत्वपूर्ण लेखा–जोखा प्रस्तुत करती है। यह किताब धर्मों, आस्था के स्थलों और उत्साही अवलोकनों पर आधारित है। लेखिका खूबसूरती से धार्मिक एकता अथवा असमानता के संदेश देते हुए बताती हैं कि पवित्र स्थानों को लेकर ही विवाद अथवा सह–अस्तित्व हमें देखने को मिलता है। ऐसा ही एक तीर्थस्थल कर्नाटक के गुलबर्गा जिले का टिन्थनी मौनेश्वर है, जिसे हिन्दू मंदिर और मुसलमान दरगाह मानते हैं।
भारत के एकजुटता वाले आध्यात्मिक ताने–बाने की प्रशंसा करते हुए यह किताब इस सिक्के के दूसरे पहलू को भी उजागर करती है। ‘गिव मनी, मीट गॉड’ अध्याय में ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पैसा खर्च किए जाने की बात की गई है। मंदिर हो, सूफी तीर्थस्थल हो या दरगाह ‘ईश्वर से निकटता अक्सर व्यक्ति के बटुए में पैसे की मात्रा से निर्धारित होती है।’
कुल मिलाकर, ‘इन गुड फेथ’ में धर्मनिरपेक्ष समाज में भारत के भाई–चारे और बंधुतत्व के महत्व को बताकर इसे ही केंद्रबिंदु बताया गया है। यह आपमें भारत को लेकर गर्व और आदर का भाव भरती है। उस भारत के लिए जिसमें धर्म, सांस्कृतिक जड़ें और भाषाएं फल–फूल सकती हैं और पनपती हैं।