जो भी इस दुनिया में आया है उसे एक ना एक दिन जाना ही होगा। हर जीवित व्यक्ति की मौत निश्चित है। बावजूद इसके लोग इस सत्य को भूल कर जीवन को हल्के में लेते हैं। कहा भी जाता है कि जो व्यक्ति मौत के सत्य को जानता है उसका जीवन मूल्यवान होता है। इसे तरजीह देना जीवन में काफी अहम है। एप्पल के संस्थापक रहे स्टीव जॉब्स ने कहा था कि यह याद रखना कि मेरी एक दिन मौत होगी, जीवन में इस सत्य को जानना ज़रूरी है, इससे बड़े निर्णय लेने में मदद मिलती है। वास्तव में हम लोगों के लिए मौत के बारे में सोचना आसान काम है?
‘वेन ब्रेथ बिकम्स एयर’ (When Breath Becomes Air) पुस्तक 36 साल के न्यूरोसाइंटिस्ट पॉल कलानिथी की जीवन की कथा को बताती है। बतौर न्यूरोसर्जन ट्रेनिंग के दौरान स्टैनफोर्ड में उन्हें लंग्स कैंसर के बारे में पता चला। तब तक वो चौथे स्टेज में पहुंच चुका था। उन्हें इस बात की जानकारी थी कि अब उनकी मौत नज़दीक है। मौत का पता चलते ही व्यक्ति के जीवन में उथल पुथल मच जाता है। इस दर्दनाक यादों के साथ ईमानदारी के साथ वो लिखते हैं।
बीमारी और आने वाली मौत के बारे में जानने के बावजूद, वो साहित्य व अपनी शिक्षा न्यूरोसाइंस के ज़रिए अपने लाइफ का मकसद तलाशने की कोशिश करते हैं। उनकी माने तो साहित्य “मन के जीवन का सर्वोत्तम लेखा प्रदान करता है” व न्यूरोसाइंस “मस्तिष्क के रुचि पूर्ण नियमों को दर्शाती है।” यद्यपि वह न्यूरोसाइंस की खोज में साहित्य से भटक जाते हैं, पर अंत में वह साहित्य ही है, जो उन्हें अपने अंधकार भरे समय में उजाला देता है। जब वह हार मानने लगते हैं, तब सेम्युल बेकेट के शब्द- “मैं आगे नहीं बढ़ सकता; लेकिन मुझे चलते रहना है”- उनके दिलो-दिमाग में गूंजते हैं और इससे प्रेरणा लेकर वो आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं।
‘वेन ब्रेथ बिकम्स एयर’ पुस्तक के लेखक से जुड़ी मार्मिक बातें रीडर्स को हौसला देती हैं। ताकि वो खुशी-खुशी जीवन जी सकें। रीडर्स पुस्तक के ज़रिए ऐसे जुड़ते हैं जिससे वो अपने अंदर मौजूद गुस्से, मना करने की भावना, अकेलापन जैसी भावनाओं से निकल गंभीरता और वास्तविक दुनिया की ओर आगे बढ़ते हैं।
‘वेन ब्रेथ बिकम्स एयर’ के लेखक पॉल जो एक न्यूरोसर्जन होने के बावजूद बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। इससे वो अपने मरीज़ों से पहले की तुलना में और भी ज्यादा जुड़ाव महसूस कर पाते हैं। उनके प्रति हमदर्दी भी जता पाते हैं। वो लिखते हैं कि एक अच्छा डॉक्टर वही है जो न सिर्फ मरीज़ को मौत से बचा पाता है बल्कि वो उसे समझा भी पाता है। ताकि मरीज़ उन परिस्तिथियों को भली-भांति समझ सके।
अपने डॉक्टरों की मदद से लेखक जीवन मूल्यों को खोजने का प्रयास करते हैं। आखिरकार वो न्यूरोसाइंस और साहित्य से जीवन का सबक ले लेते हैं। वहीं इन तमाम प्रयासों को आजमाकर वो समझ जाते हैं कि उनके जीवन में क्या सबसे ज़रूरी है एक शांत मिजाज़ का पति, एक लेखक और अपने बच्चे की देखरेख करने वाले पिता के रूप में खुद को परिवर्तित कर लेते हैं।
‘वेन ब्रेथ बिकम्स एयर’ पाठकों को न केवल पॉल के असामयिक निधन पर दुख जताने, बल्कि उनके जीवन को करीब से पहचानने के लिए भी प्रेरित करते हैं। ताकि रीडर्स जान पाए कि एक शरीफ व्यक्ति कैसे बेहद कम समय में ही एक गंभीर व्यक्ति के रूप में तब्दील हो जाता है। वो ऐसे व्यक्ति के बारे में जान पाते हैं तो मौत का सामना डरकर नहीं बल्कि वीरता, सभ्य व्यक्ति की छवि के साथ सामना करते हैं। ‘वेन ब्रेथ बिकम्स एयर’ के लेखक में जीवन की साफ झलक देखने को मिलती है। यही कारण है जो इस पुस्तक को खास बनाती है।