कैंसर शब्द लोगों का दिल बैठा देने के लिए काफी है। क्या होगा यदि आपको यह बीमारी दो बार जकड़ ले? ऐसी स्थिति में आपको मजबूत इरादों के साथ जूझना होता है। खुद में यह इरादा लाना ही पड़ता है। लेखिका नीलम कुमार (Neelam Kumar) ने कैंसर से लड़ने के लिए मित्र कैरोल का सहारा लिया। कैरोल के जरिए प्रबल इच्छाशक्ति (Willpower) के दम पर उसे कैंसर से दो-दो हाथ करने की फौलादी हिम्मत मिली थी।
‘टू कैंसर, विद लव’, ऐसी कहानी है, जिसमें यह स्पष्ट है कि किस बात को थामे रखना है और किसे छोड़ देना है। कैंसर पर किताब लिखी गई है जो दो भागों में बंटी हुई है। पहला भाग हमें नीलम की कैंसर के साथ लड़ाई के सफर पर ले जाता है, जबकि दूसरा भाग अरब सागर से उसके संबंध पर रोशनी डालता है।
पाठकों के लिए इस किताब में जो सबसे खास बात है, वह यह है कि इसमें किसी भी तरह की नकारात्मकता नहीं है। उदाहरण के लिए तीसरी कीमोथेरेपी के बाद जब नीलम के बाल झड़ने लगते हैं, तो वह अपने फैशन को लेकर सजग रहने वाले दोस्त को साथ लेकर विग खरीदने जाती है। वहीं कैरोल भी उसके साथ जाती है और इस हिला देने वाले अनुभव को रोचक बना देती है। इसके बाद वह विग, डगमगाती दोस्ती, भड़काऊ पड़ोसी और बदलते मौसम का वर्णन करने का सहारा बन जाती है।
कैंसर पर किताब के दूसरे हिस्से में लेखिका ने अरब सागर का खूबसूरती से वर्णन किया है। नीलम कुमार ने यह सीख दी है कि हम सागर की शांति, तूफान और लचीलेपन से कैसे सीख सकते हैं।
वह सागर को मानव सभ्यता के लिए उपलब्ध पुरातन शीलालेख बताती हैं और कहती हैं कि हमें भी पानी की तरह ही रहना चाहिए।
इस किताब में पारिवारिक रिश्तों को सबसे अहम बताया गया है। इसे जबरन साबित करने की कोशिश नहीं की गई है। एक मौके पर कैरोल, नीलम को कहती हैं कि उसका आशीर्वाद सदैव उसके साथ है। नीलम इसके लिए उसकी शुक्रगुजार होने की बात कहती है, क्योंकि उसे कैंसर के साथ अपनी लड़ाई लड़ते वक्त अपने पति (जो उसे बेइंतहा मोहब्बत करता था) की मौत का सदमा भी झेलना पड़ा था। इस वजह से उसे काफी कड़वी सीख भी मिली थी।
परिवार, दृढ़ता और आभार को साथ में समेटे नीलम अनेक कड़े फैसले भी लेती है। पहला कहानी में ऐसे कई मोड़ हैं जिन्हें और अधिक गंभीरता और उपदेशात्मक रूप में दिखाया जा सकता था, लेकिन नीलम ने इसे तथ्यात्मक दृष्टि से पेश करते हुए आपकी आंखों को नम कर होंठों पर निडर मुस्कान बिखेरी है।
नीलम कुमार की यह एक पुख्ता, प्रेरक और बेहद वास्तविक कहानी है जिसे हर किसी को पढ़ना चाहिए। ‘टू कैंसर, विद लव’ एक ऐसी कैंसर पर किताब है जिसे आप दोबारा पढ़ना चाहेंगे।