सिंधु घाटी सभ्यता, सिंधु घाटी

सिंधु घाटी सभ्यता का स्वर्णिम काल

इतिहास के कुछ पन्ने सुनहरे पर्दे की तरह लगते हैं, जिनपर एक बार में यकीन करना मुश्किल है। कुछ ऐसी ही है सिंधु घाटी सभ्यता। शायद आप यकीन न करें लेकिन 8000 साल पुरानी इस सभ्यता का हमारे विकास में भी योगदान रहा है।

इंसानों के दुनिया में आने के बाद धीरे-धीरे सभ्यताएं विकसित होने लगी। हजारों साल में दुनिया ने कई सभ्यताओं को बनते और बिगड़ते देखा है। इन्हीं की बुनियाद पर आज समाज ने इतनी तरक्की कर ली है। चाक से शुरू हुई विकास की ये यात्रा चांद और मंगल तक पहुंच चुकी है।

इंसानों ने अपनी यात्रा शुरू करने के बाद एक लंबा सफर तय किया है। लाखों साल पहले हमारे पूर्वज महज शिकारी थे। लेकिन आज सर उठाकर देखेंगे तो आपको चारों तरफ आसमान छूती बिल्डिंग और हाईटेक शहर नज़र आएंगे। इंजीनियरिंग और आर्किटेक्ट के साथ हमने न जाने कितने सपनों का शहर बसा लिया है। ऐसे इंफ्रॉस्ट्रक्चर डेवलेप किए गए जिन्हें लोग सिर्फ फिल्मों में देखते थे। साइंस और फिक्शन फिल्मों में दिखने वाले सीन सच हो रहे हैं। लेकिन क्या इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई सभ्यता (Civilization) अपने समय से काफी आगे की लगती हो?

आइए हम इतिहास के सुनहरे पन्नों को पलटकर देखें। बात 8000 साल पहले की है जब मिस्र की प्रसिद्ध सभ्यता शुरू भी नहीं हुई थी। ज़रा सोचिए हमारे पूर्वज उस समय कैसे रहते होंगे। अगर हम साफ शब्दों में कहें तो उस समय के लोग असभ्य रहे होंगे। वो खेती-बाड़ी और जानवर चराना सीख ही रहे होंगे। कुछ लोग कह सकते हैं कि उनके ठिकाने एकदम अविकसित रहे होंगे। ऐसे इलाके जिन्हें ठीक तरीके से गांव भी नहीं कहा जा सकता। लेकिन तमाम मुश्किलों के बावजूद एक ऐसी सभ्यता थी जो उस समय सबसे ज्यादा संपन्न और खुशहाल थी।

सिंधु घाटी सभ्यता इतिहास की सबसे बड़ी और प्रगतिशील सभ्यताओं में से एक थी। इसका पहले फेज जहां खासतौर से देहात की झलक दिखती है, लेकिन बदलते वक्त के साथ ही यहां भी शहरीकरण शुरू हो गया। अपने सबसे अच्छे दिनों (2500 और 2000 ईसा पूर्व के बीच) में यहां की आबादी 50 लाख थी! इसने अपने समय से बहुत आगे की टेक्नोलॉजी डेवलपेमेंट और इंजीनियरिंग उपलब्धियां हासिल की। शायद आप यकीन न करें लेकिन आज भी ये आर्कियोलॉजिस्ट और एंथ्रोपोलॉजिस्ट को हैरत में डाल देती है। कहा जा सकता है कि हड़प्पा और मोहन जोदड़ो ने आज के विकास में भी बहुत योगदान दिया। इस लेख में सोलवेदा ने सिंधु घाटी सभ्यता की कुछ शानदार उपलब्धियों पर एक नज़र डाला है।

सिंधु घाटी सभ्यता में शहरों की प्लानिंग (Sindhu ghati sabhyata mein shahron ki planning) 

सिंधु घाटी सभ्यता के लोग विजनरी, प्रगतिशील और संगठित थे। उनके पास एक बेहतरीन इंजीनियरिंग और डिजाइनिंग स्किल थी। इसका इस्तेमाल वे साफ-सफाई के लिए भी करते थे। यह उनकी बेहतरीन टाउन प्लानिंग से जाहिर होता है।

सड़कों को ग्रिड पैटर्न में डिजाइन किया गया था। ये सड़क कम-से-कम 10 मीटर चौड़ी थी और समकोण (रेक्टेंगल) पर क्रॉस की गई थी। कई चीज़ों के अलावा इन सड़कों को ऐसे बनाया गया था कि आंधी-तूफान का ज्यादा पानी भी निकल जाए। नाली और तूफान के पानी की निकासी के लिए सड़क किनारे अंडरग्राउंड चैनल वाले पाइप की व्यवस्था की गई। कहा जाता है कि हड़प्पावासियों ने वर्ल्ड क्लास ड्रेनेज सिस्टम डिजाइन किया था, जिसमें बाथरूम में साफ पानी के साथ फ्लश शौचालयों और पाइपलाइनों की व्यवस्था थी।

सिंधु घाटी सभ्यता ज्योमेट्री और इंजीनियरिंग में थे आगे (Sindhu ghati sabhyata geometry or engineering me the aage)

खुदाई करने वालों ने पत्थर के बाट की खोज की जिसका इस्तेमाल सिंधु घाटी सभ्यता के लोग वजन मापने के लिए करते थे। उन्हें तांबे या हाथीदांत से बने पुराने मापने वाली छड़ें भी मिली, जिनसे लंबाई मापा जाता था। इस तरह की खोज से पता चलता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग ज्योमेट्री और इंजीनियरिंग में काफी आगे थे। शायद इसीलिए सभ्यता के इतने पुराने इंजीनियर हड़प्पा और मोहन जोदड़ो जैसे शहर को इतने शानदार तरीके से बना सके। इतना ही नहीं खेती और धातु विज्ञान के क्षेत्र में भी बाट, पैमाने और माप ने अहम भूमिका निभाई।

सिंधु घाटी सभ्यता में अर्थव्यवस्था और व्यापार (Sindhu ghati sabhyata me arthvyavastha or vyapar)

सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कई तरह का कारोबार करते थे। कुछ धातुकर्मी और ताम्रकार थे जो नुकीले औजार बनाने के लिए चकमक पत्थर का इस्तेमाल करते थे। जबकि कुछ इंजीनियर थे जिन्होंने डॉकयार्ड, सिक्योरिटी वॉल और गोदाम बनाए। उन्हें आर्ट और क्राफ्ट्स से भी उतना ही लगाव था। यही नहीं वे ज्वेलरी, मनके, बर्तन, टोकरियां आदि भी बनाते थे।

दिलचस्प बात यह है कि सिंधु के लोग जो भी बनाते वे दूसरी सभ्यताओं में एक्सपोर्ट भी करते थे। ऐसा कहा जाता है कि वे खासतौर से फारस, मेसोपोटामिया और चीन के साथ बिजनेस करते थे। हालांकि उन्होंने अरब की खाड़ी, अफ्रीकी और सेंट्रल एशिया में भी कारोबार किया। वो एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स, बर्तन, कपास एक्सपोर्ट करते थे। वहीं कीमती सामान जैसे सोना, चांदी, जेम स्टोन और मोती का भी एक्सपोर्ट करते थे।

सिंधु घाटी सभ्यता ने इस युग की प्रगति और विकास में जबरदस्त योगदान दिया है। अगर आज हम विकास का लंबा सफर तय कर सके हैं तो इसकी वजह हमारे पास प्राचीन सभ्यता का मजबूत आधार है। इसके अलावा हमने इस युग में जो भी हासिल किया वह एक व्यक्ति की जीत नहीं बल्कि सामूहिक उपलब्धि है।

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