सादगी भरा चेहरा, बेहद सरल लेकिन अनोखी बातें करने वाले मानव कौल (Manav Kaul) को भला कौन नहीं जानता। लेखक की लेखनी से सब रू-ब-रू होते हैं, मगर कई बार उनके चेहरे हमारी यादों में धुंधले हो जाते हैं। लेकिन, जब बात मानव कौल की आती है, तो उनकी लेखनी दिल से और उनका चेहरा आंखों से उतर जाना नामुमकिन ही समझिए। इसका कारण है कि मानव एक उम्दा लेखक होने के साथ-साथ, एक बेहतरीन अभिनेता, नाटककार और निर्देशक भी हैं।
इन्होंने अब तक 10 किताबें, कई नाटक और कई कविताएं लिखीं हैं। इनकी 10 किताबों में ‘तुम्हारे बारे में’, ‘ठीक तुम्हारे पीछे’, ‘अंतिमा’ शामिल है। उनकी हर किताब समाज का एक नया चेहरा दिखाती है। कौल के लेखन को, गहराई और बारीकियों के लिए जाना जाता है और उनमें इंसान की भावनाओं और रिश्तों की जटिलताओं को समझने की अनोखी क्षमता है। उनका लेखन अक्सर प्रेम, हानि और इंसान की विभिन्न स्थितियों से जुड़ा होता है।
आइए, मानव कौल की किताबों और रचनाओं के बारे में बात करते हैं और जानते हैं कि उसकी खासियत क्या है।
‘ठीक तुम्हारे पीछे’ की हर कहानी में है समाज का अलग चेहरा (Thik tumhare piche ki har kahani mein hai samaj ka alag chehra)
कई कहानियों का संग्रह है ‘ठीक तुम्हारे पीछे’, जिसकी हर कहानी में समाज का एक बिल्कुल अलग चेहरा उभर कर आता है। इस किताब में मानव कौल ने एक छोटे बच्चे से लेकर, एक बूढ़े पिता की भी जिंदगी को इतनी बारीकी से लिखा है कि पढ़ने वाला इंसान भी एक बार सोच में पड़ जाए।
‘बहुत दूर कितना दूर होता है’ में है सफर का रोमांच (Bahut door kitna door hota hai mein hai safar ka romanch)
यह किताब एक यात्रा-वृतांत है, जो यात्रा के दौरान होने वाली हर छोटी-बड़ी घटना को बेहद सलीके से दर्शाती है। लेखक ने अपनी यात्रा के दौरान होने वाले हर संवाद, उनकी आंखों में उतरने वाले विदेश के हर दृश्य को इस तरह लिखा है कि आप पढ़ते वक्त महसूस करेंगे कि वहां मानव नहीं बल्कि आप खुद घूम रहें हैं। किताबों के ज़रिए यात्रा को महसूस करना चाहते हैं, तो एक बार यह किताब ज़रूर पढ़ सकते हैं।
‘तुम्हारे बारे में’ के किरदारों में खुद की झलक (Tumhare baare mein ke kirdaron mein khud ki jhalak)
जैसा इस किताब का नाम है ‘तुम्हारे बारे में’, इस पढ़ते वक्त आप ऐसा ही महसूस करेंगे यानि कि ‘आपके बारे में’! इस किताब के किसी भी पन्ने को आप पलट लें, किसी एक जगह में आप खुद को ज़रूर पाएंगे। ‘तुम्हारे बारे में’ की कहानियों में ज़िंदगी की उन बातों का ज़िक्र किया गया है, जो हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में देखते हैं, लेकिन वे कहानियां इस तेज़ भागती ज़िंदगी में हमारे मन से कहीं खो जाती हैं। आप अपनी कहानी खुद तो जानते ही हैं, लेकिन जब एक लेखक की लेखनी में आपको अपनी ज़िंदगी की छोटी-छोटी कहानियां नज़र आती हैं, तो आपका मन उस किताब में पूरी तरह डूब जाता है। कुछ ऐसी ही है मानव कौल की रचना ‘तुम्हारे बारे में’!
7 कहानियों का संग्रह है ‘चलता फिरता प्रेत’ (7 kahaniyon ka sangrah hai chalta phirta pret)
7 कहानियों का संग्रह है मानव कौल की किताब ‘चलता फिरता प्रेत’। हालांकि, इस किताब में इन 7 कहानियों के अलावा जो चीज़ अंत तक आपको खुद से बांधे रखेगी वो है इस किताब की भूमिका। किताब पढ़ते वक्त आपका ध्यान इसके हर पन्ने पर पूरी तरह रहेगा, मगर किताब के पूरे हो जाने के बाद भी आपके मन में एक अजीब सी चुपी रहेगी। मानो इस किताब की कहानियां, किसी चलते-फिरते प्रेत की तरह हमारे साथ रहने लगती हैं। लेकिन, यह प्रेत डराता नहीं है बल्कि हमें ज़िंदगी की कई सच्चाई से वाकिफ कराता है।
‘प्रेम कबूतर’ जगाती है उम्मीद की किरण (Prem kabootar jagati hai umeed ki kiran)
8 छोटी-छोटी कहानियां, जिनकी शुरुआत एक उलझन से होती है, लेकिन समाप्ति एक उम्मीद से। हमारे मन का वो कबूतर जिसे हमने खुद कई कारणों से कैद कर के रखा है, इस कबूतर के आज़ाद होने की कहानी है ‘प्रेम कबूतर’! लेखक की इस किताब के पात्र, हमनें से कई लोगों की तरह ज़िंदगी के एक उलझन में फंसे हैं। सबकी उलझन का कारण अलग है, लेकिन उम्मीद सभी के अंदर बिल्कुल एक-सी है।
‘अंतिमा’ में है मुश्किलों का ज़िक्र (Antima mein hai mushkilon ka zikr)
अंतिमा’ कौल की अन्य रचनाओं से काफी अलग है। यह लेखक के द्वारा लिखा गया पहला उपन्यास भी है। इसमें एक लेखक की जिंदगी में आने वाली मुश्किलों को लिखा गया है, जो आमतौर पर एक कहानी को लिखते वक्त आती है। यह किताब एक पाठक के लिए तो अच्छी है ही वहीं एक नए लेखक के लिए भी बेहतरीन है।
‘कर्ता ने कर्म से’ में हर कविता है एक से बढ़कर एक (Karta ne karm se mein har kavita hai ek se bhadhkar ek)
‘कर्ता ने कर्म से’ मानव कौल के द्वारा लिखी गईं कविताओं का संग्रह है। सालों से लिखी गई अलग-अलग कविताओं को जोड़कर मानव ने अपने अनुभवों को पाठकों तक पहुंचाने की भरपूर कोशिश की है। इस किताब में जूता, नींद, माता-पिता, पतंग जैसे विषयों पर कविताएं हैं। हर कविता अपने आप में अनूठी है। बेहद कम शब्दों में अगर ज्यादा पढ़ने की इच्छा रखते हैं, तो एक बार इनकी इस किताब को पढ़ सकते हैं।
किशोरावस्था की कहानी है ‘शर्ट का तीसरा बटन’ (Kishoravastha ki kahani hai shirt ka tisra button)
‘शर्ट का तीसरा बटन’ एक लड़के के किशोरावस्था की कहानी है। किस तरह यह उम्र उसे बेहद परेशान करती है। हममें से कई लोग भी आज किशोरावस्था की उम्र में है या फिर कभी थे। इस उम्र की उलझन सिर्फ इस उम्र में ही पता चलती है। लेकिन, मानव कौल ने बड़ी ही संजीदगी से इस उम्र में होने वाली घटनाओं को लिखा है जिसे पढ़कर आपके मन में दबे किशोरावस्था के पुराने ख्याल एक पल के लिए बाहर आ जाएंगे।
कश्मीर के इर्द-गिर्द घूमती है ‘रूह’ (Kashmir ke ird gird ghumti hai rooh)
मानव की रचना ‘रूह’ कश्मीर के इर्द-गिर्द घूमती है। यह कहानी खुद मानव कौल की ज़िंदगी की है। अपनी पुरानी यादों के साथ-साथ मानव कौल ने आज की स्थिति को भी लिखा है। किताब में कई बार उन्होंने अपने बचपन में बीते घटनाओं का ज़िक्र किया है। वे इस किताब को लिखते वक्त, कश्मीर और अपने पिता को बारी-बारी से एक-दूसरे में महसूस कर रहे थे।
‘तितली’ में लेखक का है अनुभव (Titli mein lekhak ka hai anubhav)
तितली मानव कौल की सबसे नई रचना है। इस किताब में लेखक ने अपने अनुभव के बारे में लिखा है। किताब में दो कहानियां अलग-अलग, मगर एक साथ भी चल रही होती हैं। इस किताब की कहानी में आपको एक पाठक और एक लेखक के बीच का जुड़ाव देखने को मिलेगा। किस तरह मानव कौल डेनमार्क की लेखक एक ‘नाया’ की एक किताब से प्रभावित होकर उनसे मिलने जाते हैं और उनकी रचना के बारे में उनसे बात करते हैं। यह किताब मानव की अन्य रचनाओं से जरा हटकर, लेकिन बेहद उम्दा है।
साहित्यकारों के साथ-साथ नए ज़माने के लेखकों की रचनाओं और उसकी खासियत जानने के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा पर लेख।