मैथलीशरण गुप्त की रचनाओं में है भक्ति, प्रकृति प्रेम और नारी सम्मान

मैथलीशरण गुप्त की रचनाओं में है भक्ति, प्रकृति प्रेम और नारी सम्मान

मैथलीशरण गुप्त (Maithili Sharan Gupt) आधुनिक काल के बड़े कवि थे। लिखने की कला उन्हें विरासत में मिली थी, क्योंकि उनके पिता रामचरण (कनकलता) भी प्रभु श्री राम के भक्त थे और कविताएं लिखा करते थे। उनके भाई सियारामशरण गुप्त हिंदी साहित्य के कवि थे। यही वजह है कि उनकी कविताओं में वैष्णव भक्ति झलकती है। उनकी कविताओं और उससे मिलने वाली सीख को बयां करता है ये खास लेख।

साल 1886 में यूपी के झांसी में मैथलीशरण गुप्त (Maithili Sharan Gupt) का जन्म हुआ था। काव्य और रचनाओं को गढ़ते हुए वे महावीर प्रसाद द्विवेदी से भी मिले। कुछ कविताओं में उन्होंने अपने दिल की बात को बयां करते हुए महावीर प्रसाद द्विवेदी को श्रेय भी दिया है। उनकी रचनाओं की भाषा काफी सरल है। आप उनकी रचनाओं में, प्रकृति प्रेम, नारी सम्मान, राष्ट्रीय भावना की झलक के साथ-साथ ईश्वर के प्रति उनकी भक्ति-भावना को भी महसूस कर सकते हैं।

उनकी कई प्रसिद्ध रचनाओं में ‘साकेत’ और ‘यशोधरा’ भी शामिल हैं। उनकी मौलिक रचनाओं में राजा और प्रजा, रंग में भंग, प्रदक्षिणा, जयद्रथ वध, अजित, भारत भारती, अर्चन और विसर्जन, शकुंतला, पत्रावली, वैतालिक, पद्मावली, पंचवटी, स्वदेश संगीत, हिंदू शक्ति सहित अन्य हैं। अनूदित रचनाओं में उमर खैय्याम की रुबाइयां, विरहिणी ब्रजांगना, प्लासी का युद्ध और अन्य हैं।

उनकी खास रचनाएं और उसकी खासियत पर नज़र:

अनुप्रास अलंकार से सराबोर ‘चारु चंद्र की चंचल किरणें…’ में है प्रकृति प्रेम

चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही हैं जल-थल में।
स्वच्छ चांदनी बिछी हुई है, अवनि और अम्बर तल में।।
पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से, 
मानों झीम रहे हैं तरु भी, मंद पवन के झोंकों से।।

मैथलीशरण गुप्त (Maithili Sharan Gupt) की ये कविता पढ़ते हुए हम बड़े हुए हैं। हिंदी की पुस्तकों में हम सभी ने इस कविता को पढ़ा ही होगा। कविता में अनुप्रास अलंकार का सुंदर प्रयोग किया गया है। कवि ने अपने शब्दों से प्रकृति की सुंदरता को बताया है और प्रकृति के प्रति अपने प्यार को बयां किया है। कवि कहते हैं कि “सुंदरता से भरे चांद की किरणें जब पानी और जमीन को छूती हैं, तो किसी नृत्य के समान दिखती हैं। चंद्रमा की रौशनी धरती से लेकर आसमान तक फैली है, जिसे देखकर ऐसा लगता है, मानो जमीन से लेकर आसमान तक सफेद चादर बिछी हो। जमीन पर हरी घास की नोक हरकत करते हुए अपनी खुशी जता रही है। खूशबू से भरी हवाओं के झोंके से पेड़ हिल रहे हैं, ऐसा लग रहा है मानो जैसे वे मस्ती में झूम रहे हों। प्रकृति अपनी खुशी को व्यक्त कर रही है।”

पंचवटी के ज़रिए समाज सुधार की सीख 

इन्हें समाज नीच कहता है, पर हैं ये भी तो प्राणी,
इनमें भी मन और भाव हैं, किन्तु नहीं वैसी वाणी।।

समाज को सही मार्ग पर लाने में कवियों का बड़ा योगदान रहा है। पंचवटी के ज़रिए मैथलीशरण गुप्त (Maithili Sharan Gupt) ने भी इस काम को बखूबी निभाया है। इस रचना के ज़रिए कवि बताते हैं कि समाज में रहने वाले जिन लोगों को ‘नीच’ कहते हैं, वो भी हमारे ही समाज का एक हिस्सा हैं, आम इंसान हैं। उनका भी मन है और उनके मन में आम इंसानों की तरह भावनाएं भी हैं। हां, एक चीज नहीं है, दूसरों को बुरा कहने की जुबां।

महाकाव्य ‘यशोधरा’ में महिलाओं के प्रति आदर-भाव

अबला जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी,
आंचल में है दूध और आंखों में पानी।।

मैथलीशरण गुप्त (Maithili Sharan Gupt) ने महाकाव्य यशोधरा में महिलाओं के प्रति आदर-भाव और सम्मान जताया है। उन्होंने महिलाओं के जीवन के संघर्ष को मार्मिक तरीके से लिखा है, जो सीधे दिल में उतरता है। सालों पहले समाज में जो कुछ चल रहा था, कवि ने उसे देखते हुए, इस कविता को लिखा था। कवि कहते हैं कि “नारी तुम्हारे जीवन को देखकर दुख होता है, लेकिन तुम्हारी कहानी यही है। नारी एक ओर खुशकिस्मत भी है, दूसरी ओर उसके जीवन में काफी कष्ट भी हैं।”

काव्य में है रौद्र रस 

श्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे, 
सब शोक अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे।।
संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े,
करते हुए यह घोषणा वे हो गए उठ खड़े।।

श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश को मैथलीशरण गुप्त (Maithili Sharan Gupt) ने शब्दों में पिरोया है। इन पंक्तियों में रौद्र रस है। कवि बताते हैं कि “अर्जुन को जब ज़िंदगी की सच्चाई पता चलती है, तो वे दुश्मनों को सज़ा देने के निर्णय को शास्त्रों के अनुसार सही समझते हैं। फिर गुस्से में अपने हाथों को मलते हुए युद्ध के मैदान में वीरता दिखाते हैं। अपने फैसले के अनुसार करीबी लोगों को भी सज़ा देने के लिए इच्छुक हैं। यह ललकारते हुए, गुस्से में वे खड़े हो उठते हैं।”

किस्से, कहानियों और कविताओं की दुनिया में गोते लगाने के लिए सोलवेदा पर पढ़ते रहें एक से बढ़कर एक लेख। प्रसिद्ध लेखकों की कविताओं और रचनाओं से लेते रहें प्रेरणा।

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