आपने कई अंग्रेजी उपन्यासकारों को पढ़ा होगा। इसी क्रम में एक महान लेखिका जेन ऑस्टिन को भी ज़रूर पढ़ा होगा। उनकी रचनाएं प्राइड एंड प्राइजुडिस, सेंस एंड सेंसिबिलिटी, एम्मा, पर्सुएशन और मैन्सफील्ड पार्क काफी प्रसिद्ध हैं। इनकी सदाबहार कहानियां आज कई भाषाओं में अनुवादित हैं, उन पर टीवी शो और फिल्में भी बन चुकी हैं। जेन एक ऐसे समय में साहित्य को अपना अनुदान दे रही थीं, जिस समय महिलाओं को लेखन और साहित्य के क्षेत्र का कच्चा खिलाड़ी समझा जाता था और उन्हें आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया जाता था। पुरुष-प्रधान समाज में जेन ऑस्टिन की किताबें काफी अज्ञात तरीके से प्रकाशित हुई थी, शायद यही कारण है कि इतनी महान लेखक होने के बावजूद उन्हें उस समय वह ख्याति नहीं मिल सकी। जेन ऑस्टिन की कहानियों के किरदारों ने महिलाओं को जीवन का सबक (Life lessons), रूढ़िवादी परंपराओं के बंधन को तोड़कर अपने लिए लड़ना सिखाया। कई महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत उनकी कहानियां हैं।
ऑस्टिन की कहानियां पढ़ते समय आपको एहसास होगा कि उनके मुख्य किरदार बहादुरी, हास्य, चतुरता से परिपूर्ण होते हैं और जीवन के लिए अहम सीख देते हैं। ऑस्टिन अपनी बुद्धिमत्ता और हास्य शैली के साथ समस्याओं की आलोचना करती हैं। हमें ऑस्टिन की इतनी प्रभावी उपन्यासों से जीवन का सबक लेने की ज़रूरत है-
ज़िंदगी सभी को दूसरा मौका देती है (Zindagi sabhi ko dusra mauka deti hai)
दूसरा मौका सिर्फ हम इंसान ही नहीं, बल्कि ज़िंदगी भी देती है। हम आज में जीते हैं और ज़िंदगी हमें दूसरे मौके के रूप में ‘कल’ देती है। पर्सुएशन उपन्यास की किरदार ऐनी इलियट, फ्रेडरिक वेंटवर्थ से सिर्फ इसलिए अलग हो गई थी, क्योंकि वह अपने भविष्य को लेकर परेशान रहती थी। लेकिन जब एक वक्त गुजरने के बाद वे फिर मिलते हैं, तो उन्हें एहसास होता है कि वे दोनों अभी भी एक-दूजे से प्यार करते हैं। इसलिए वे दोबारा अपनी गलतियों को सुधार कर एक होने का फैसला करते हैं। जेन ऑस्टिन के इस उपन्यास से हमें यह सीख मिलती है कि दोबारा शुरुआत करने में कोई हर्ज़ नहीं है। हमें अपनी गलतियों को सुधार कर फिर से शुरू करना चाहिए। इस बात को हमेशा याद रखिए कि आप जब भी कोई काम दोबारा शुरू करते हैं, तो इस बार आप शून्य से नहीं बल्कि अनुभव के साथ करते हैं। इसलिए जीवन का सबक यह है कि जब भी किसी चीज़ को हासिल करने का दूसरा मौका मिले, तो उसे हाथ से ना जाने दें।
दिखावे पर न जाएं (Dikhawe par na jayen)
अक्सर आपने सुना होगी कि ‘फर्स्ट इम्प्रेशन इज लास्ट इम्प्रेशन’ यह बात हमेशा सौ फीसदी सही नहीं होती है। बहुत से ऐसे लोग मिलते होंगे, जो आपको पहली मुलाकात में आकर्षक, खुशमिजाज़, मजाकिया लगे हों। लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि वे वास्तव में वैसे ही हों। क्योंकि कई बार लोग दिखावा करते हैं और मन से कुछ और ही होते हैं। कई बार लोग उनसे प्रभावित होकर उन पर निर्भर हो जाते हैं, ऐसी स्थिति में कोशिश करें कि आप उन पर निर्भर न हो। क्योंकि कभी ज़रूरत पड़ने पर वे आपकी मदद नहीं कर सकते हैं। ऐसे लोग स्वार्थी और मतलबी भी हो सकते हैं या फिर आपके साथ बुरा व्यवहार भी कर सकते हैं। ऐसे लोग ऑस्टिन की कहानी प्राइड एंड प्राइजुडिस के जॉर्ज विकम जैसे होते हैं। इस कहानी के शुरुआत में जॉर्ज विकम एक सभ्य पुरुष लगता था, लेकिन असल में वह झूठा व मौकापरस्त इंसान के रूप में उभर कर सामने आता है। विकम ने एलिजाबेथ बेनेट की सहानुभूति पाने के लिए फिट्ज़विलियम डार्सी को गलत ठहराया था। याद रखें कि हमेशा जो दिखता है, वैसा होता नहीं है।
आत्मनिर्भर बनें (Atmnirbhar banen)
प्राइड एंड प्राइजुडिस कहानी हमें आत्मनिर्भरता का ज्ञान देती है। इसमें एलिजाबेथ बेनेट लेडी कैथरीन की कड़वी बातों के खिलाफ सशक्त होकर खड़ी होती है। लेडी कैथरीन की तीखी बातों का जवाब उसने बहुत ही शांत तरीके से दिया। जीवन का सबक यह है कि ऐसी कई परिस्थितियां देखने को मिलेंगी, जब आपको अपने लिए खड़ा होना पड़ेगा। आपका स्वाभिमानी स्वभाव ही आपको बेहतर इंसान बना सकता है।
दिमाग और सोच को खुला रखें (Dimag aur soch ko khula rakhen)
अक्सर हम किसी भी परिस्थिति या चीज़ों को अपने सीमित और पूर्वालोकित नज़रिए से ही देखते हैं। हमारी सोच जैसी होती है, हम वैसे ही सभी समस्याओं का समाधान सोचते हैं। हम हमेशा यह भूल जाते हैं कि किसी भी समस्या का समाधान बहुआयामी हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि उस समस्या का हमारे वर्तमान मानसिक स्थिति से कोई संबंध भी ना हो। इसलिए हमें सभी परिस्थितियों को सही तरीके से देखने के लिए अपना दिमाग और सोच दोनों को खुला रखना चाहिए। किसी भी बात को सिर्फ इसलिए सच मत मानिए कि वह देखने में सच लग रही है, उसके सतह तक पहुंच कर वास्तविकता का अवलोकन करें। प्राइड एंड प्राइजुडिस उपन्यास में फिट्ज़विलियम डार्सी ने जब एलिजाबेथ बेनेट का पब्लिक डांस में अपमान किया, तब उसने उसके बारे में मन में एक गलत धारणा बना ली। जो आगे चल कर गलत साबित हुई। जब उसने उसके और उसके संबंधियों की मदद की तो सारी गलतफहमियां दूर हो गईं।
कभी-कभी ‘नहीं’ कहना भी ठीक होता है (kabhi kabhi nahi kehna bhi thik hota hai)
प्राइड एंड प्राइजुडिस उपन्यास भी इस बात की पड़ताल करती है कि कभी-कभी ना कहना भी ठीक ही होता है। इस कहानी को एलिजाबेथ बेनेट अपनी पूरी बात को सबके सामने रखती हैं और जो उसे नहीं पसंद करते हैं, उन्हें भी सुनाती हैं। वह अपने परिवार को प्यार करती थीं और सामाजिक नियमों को मानती थी, लेकिन वह अपने जीवन को किसी और के द्वारा निर्धारित होते नहीं देख सकती थी। इसलिए ही उसने विलियम कॉलिन्स के विवाह प्रस्ताव को मना कर दिया। इसके अलावा जब उसे लगा कि वो और मिस्टर डार्सी एक दूसरे के लिए सही नहीं हैं तब उसने उनके प्रस्ताव को भी मना कर दिया। इसलिए आप आसानी से ऐसे फैसले को सिरे से खारिज कर सकते हैं, जिसमें आप खुश ना हो। इसका कतई ये मतलब नहीं है कि आप स्वार्थी हैं।
अपनी क्षमता पर करें भरोसा (Apni chamta par karen bharosa)
जेन ऑस्टिन के अभिमान और रोमांस पर आधारित उपन्यास एम्मा की किरदार एम्मा वुडहाउस के पास अपने समुदाय की महिलाओं की तरह कौशल नहीं है। वो संगीत की जानकार भी नहीं है। लेकिन उसने हिम्मत बनाए रखी और खुद पर भरोसा किया। यह उसका स्वभिमान है कि वह अपनी क्षमता पर भरोसा करती है और यही उसे समस्याओं का सामना करने में मदद करता है, जिससे हम सभी जीवन का सबक लेना चाहिए।
पहली नज़र में प्यार नहीं होता (Pehli nazar me pyar nahi hota)
प्यार कभी पहली नज़र में नहीं होता। यह किसी के लिए आकर्षण मात्र होता है और इसे प्यार समझने की गलती न करें। हो सकता है कि इस पल अच्छा लगने वाला व्यक्ति आने वाले समय में आपको उतना आकर्षक ना लगे। सच्चा प्यार किसी के शारिरिक बनावट पर निर्भर नहीं होता है, यह तब होता है, जब हम किसी के बारे में सबकुछ जानते हो, जैसे उसका व्यवहार, ईमानदारी, ज्ञान, नज़रिया। किसी को देखने के बाद हमारी पहली प्रतिक्रिया इच्छा मात्र होती है न कि वास्तविक भावना। सच्चा प्यार जीवन में अप्रत्याशित होता है। ऑस्टिन के उपन्यास सेंस एंड सेंसिबिलिटी में मैरिएन और कर्नल ब्रैंडन की शादी के बाद ही मैरिएन को प्यार के सही मायने समझ में आते हैं।
किसी भी चीज़ की अधिकता खराब होती है (Kisi bhi cheez ki adhikta kharab hoti hai)
कबीर सिंह का एक दोहा है कि ‘अति का भला न बोलना, अति का भला चुप। अति का भला ना बरसना, अति की भली ना धूप।’ किसी भी चीज़ की अधिकता अच्छी नहीं है। भावनात्मक रूप से कमजोर या अत्यंत भावुक होना राई को पहाड़ बना सकता है और वहीं कम भावुक या अपनी भावनाओं पर कुछ ज्यादा ही काबू करना भी आपको लोगों से दूर और अलग कर सकता है। जेन ऑस्टिन के उपन्यास प्राइड एंड प्राइजुडिस में लिडिया बेनेट के किरदार को भी बहुत अलग तरीके से दिखाया गया है, उसे पशु प्रेमी व खुद के लिए काफी सजग महिला के रूप में वर्णित किया गया है। लेकिन उसकी यही प्रकृति उसके परेशानी का सबब बनती है, जब वह जॉर्ज विकम के साथ जो शादी करने के मकसद से उसके साथ भाग जाती है। इसके बाद मिस्टर डार्सी ने हस्तक्षेप किया तो न्यूकैसल जाने से पहले दोनों की शादी हो पाती है।