अपने हाथ में एक सफेद गुब्बारा पकड़े शिखा धीरे से कमरे में आई। “यह तुम्हारे लिए है। तुम जल्द से जल्द ठीक हो जाओ, यही मैं प्रार्थना करती हूं,” यह बोलकर वह कमरे से बाहर चली गई।
अस्पताल में उससे मिलने वाले लोगों में शिखा चौथी इंसान थी। अपनी मां के कहने पर वह उससे मिलने आई थी। क्योंकि, उसके स्कूल में ही उसकी मां टीचर थीं। इससे पहले उससे मिलने वाले लोगों में अनिल, रॉय और उमेश थे। ये तीन लोग उसके मित्र नहीं, बल्कि सहपाठी थे। इन तीनों के साथ ही वह इधर-उधर घूमता रहता था और सभी मिलकर दूसरे बच्चों को परेशान करते थे।
दरअसल, एक सप्ताह पहले एक दर्दनाक सड़क हादसे में रोशन बुरी तरह घायल हो गया था। डॉक्टरों ने उसकी ज़िंदगी तो बचा ली, लेकिन चोट की वजह से उसके पैर इधर-उधर हिल नहीं सकते थे। अपने पिता के चेहरे पर उभरी चिंता को देखकर रोशन आसानी से अंदाज़ा लगा सकता था कि मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है। जब भी वे डॉक्टरों से बात करते, उस वक्त उनकी आंखों से आंसू खुद-ब-खुद छलक पड़ते थे।
यह देखकर रोशन काफी सहम गया। ज्यों ही शिखा वहां से गई, तो उसने टेबल से नोटबुक उठाया और उसमें से एक पन्ना फाड़कर कुछ लिखना शुरू कर दिया।
मेरे प्रिय भगवान, मुझे पता है कि मैं कभी भी एक अच्छा इंसान नहीं था। अगर आप मुझे दोबारा चलने लायक बना देंगे, तो मैं यह विश्वास दिलाता हूं कि दोबारा किसी को भी न परेशान करूंगा और न ही धमकी दूंगा।
रोशन ने इस पर्ची को शिखा के लाए गुब्बारे के साथ बांधा और पास में बैठे अपने पिताजी को बोला, “इसको खिड़की से बाहर टांग दें”।
अगली सुबह जब रोशन ब्रेकफास्ट कर रहा था, तभी एक युवती अपनी मां के साथ उसके कमरे में पहुंची। युवती के चेहरे पर चोट के निशान दिखाई दे रहे थे। उसकी प्यारी-सी मुस्कान भी उसके निशान को छिपा न सकी। “मैंने गुब्बारे पर बंधी पर्ची पर तुम्हारे संदेश को पढ़ा है। तुम चिंता मत करो, जल्द ही ठीक हो जाओगे,” यह कहकर युवती ने रोशन को चॉकलेट का एक डिब्बा भेंट किया।
रोशन यह सब देखकर काफी शर्मिंदगी महसूस कर रहा था। वह शर्म से इस कदर पछता रहा था कि वह उस युवती से अपनी नज़रें भी नहीं मिला पा रहा था। वह कुछ कहना चाहता, लेकिन उसकी जुबान से कोई शब्द ही नहीं निकल पा रहे थे। वह युवती कोई और नहीं, बल्कि टिया थी। स्कूल में रोशन और उसके दोस्त उसके साथ काफी दुर्व्यवहार (Abuse) करते थे। रोशन और उसके बदमाश दोस्त टिया के चेहरे पर उभरे धब्बे को लेकर अक्सर उसका मजाक उड़ाते थे, पर आज कुछ माहौल अलग ही था। आज रोशन के चेहरे पर भी भावनात्मक निशान उभर आए थे, वह टिया के दर्द को बखूबी समझ सकता था।
अपनी नम आंखों से रोशन ने उस चॉकलेट के बॉक्स को खोला और उसमें से एक चॉकलेट निकालकर सबसे पहले टिया को दिया।