पार्लर वाले भाईया

मृदुल जब छोटा था, तब मम्मी उसको पलंग पर बैठाकर खुद तैयार होतीं और मृदुल उन्हें बड़े ध्यान से देखा करता। उनके हर एक मेकअप स्टेप को और हर एक प्रोडक्ट को मृदुल पलक झपकाए बिना ही देखता रहता।

मृदुल अपने मम्मी-पापा का एकलौता बेटा था, और बचपन से ही खूब-लाड़ प्यार में पला था। उसके मम्मी-पापा ने मृदुल को कभी किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने दी, और न ही मृदुल को कभी किसी चीज़ के लिए रोक-टोक लगाई। उसने जो चाहा, वो मम्मी-पापा ने चुपचाप मान लिया। फिर वो चाहे स्कूल ट्रिप पर 7 दिन के लिए हिमाचल जाना हो या शहर के सबसे बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेना। 

पर कुछ तो था जो शहर के बेस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद भी मृदुल को नहीं मिला था। जिसके बिना उसे ज़िंदगी फीकी सी लगती थी। अपनी मर्ज़ी के कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद भी मृदुल खुश नहीं था, क्योंकि उसे मेकअप करना पसंद था। हालांकि वो एक लड़का था, पर उसे मेकअप प्रोडक्ट्स से बहुत प्यार था। 

मृदुल जब छोटा था, तब मम्मी उसको पलंग पर बैठाकर खुद तैयार होतीं और मृदुल उन्हें बड़े ध्यान से देखा करता। उनके हर एक मेकअप स्टेप को और हर एक प्रोडक्ट को मृदुल पलक झपकाए बिना ही देखता रहता। पहले पाउडर, फिर बिंदी, काजल, लिपस्टिक लगानी है, उसे ये सब रट गये थे। और इसी तरह उसमें मेकअप के लिए इतना प्यार पैदा हो गया। 

बड़े होते-होते मृदुल मम्मी के साथ खड़े होकर उन्हें उनके उठने से पहले ही मेकअप प्रोडक्ट हाथ में पकड़ा देता। तब मम्मी हंसकर कहतीं, “पगला! इतना ध्यान मेरे साथ खड़ा होकर यहां लगता है। जा जाकर पढ़ाई कर।”

और मन मानकर मृदुल पढ़ाई करने चला जाता। मम्मी कहीं बाहर जाने के लिए तैयार होतीं तो मृदुल उनकी साड़ी की प्लेटें संवारता, और पल्लू को बड़े ध्यान से पिन कर देता। 

“हाय! मेरा पर्सनल ब्यूटीपार्लर। तेरे होते मुझे न बेटी की कमी होती है और न पार्लर वाली दीदी की।”

मम्मी मज़ाक में कहती और मृदुल ऐसे खुश हो जाता जैसे किसी बच्चे को बोरी भर कर चॉकलेट्स दे दी गई हों। 

हालांकि ये बात कभी मम्मी को भी नहीं पता लगी कि जब घर पर कोई नहीं होता तब मृदुल अपने ही चेहरे पर मेकअप लगाकर देखा करता था।

मृदुल का मेकअप से प्यार कॉलेज आकर भी कम नहीं हुआ था। वहां गहरे-गहरे मेकअप में लड़कियों को देखकर मृदुल मन में अंदाज़ा लगाता रहता कि किसने कौन से शेड की लिपस्टिक लगाई है? किसने काजल नहीं लगाया और काजल का काम लाइनर से चलाया है या फिर किसने फाऊंडेशन ठीक से नहीं लगाया.. मैं होता तो बेहतर करता।

दिमाग में हर वक्त यही सब घूमने से वो पढ़ाई में भी ध्यान नहीं लगा पाता था।

फिर एक दिन उसके कॉलेज में सेमिनार लगा, जिसमें स्टूडेंट्स को उनके सपनों को पूरा करने के लिए अच्छी-अच्छी बातें बताई गईं। सारे स्टूडेंट्स से जब उनके सपनों के बारे में पूछा गया तो सबने अलग-अलग जवाब दिए। लेकिन मृदुल ने कहा, “मैं इंजीनियरिंग करके एक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग बनना चाहता हूं।” ये सुनकर सबने उसके लिए तालियां बजाईं पर मृदुल को लगा जैसे उसने अपना सपना नहीं बल्कि कोई बहुत बड़ा झूठ बोला हो। वो झूठ वहां मौजूद लोगों से नहीं बल्कि खुद से बोला हो।

उस दिन से मृदुल बेचैन हो गया। उसने लड़कियों को देखकर मेकअप के बारे में आने वाले ख्यालों को जबरन रोकने की कोशिश की और पढ़ाई में ध्यान लगाने की कोशिश करने लगा। वो दोनों ही कोशिशों में फेल हो गया। इसकी वजह से वो परेशान और मम्मी-पापा से अनमना रहने लगा।

पर मां से ज़्यादा देर कुछ भी नहीं छिपता। मम्मी को मृदुल की बेचैनी समझ आ गई और वो उसके कमरे में जाकर बोलीं, “क्या बात है बेटा? तुझे कुछ चाहिए? कोई बात है जो तुम्हें परेशान कर रही है? मम्मी को बता मृदुल। मैं सब ठीक करने की कोशिश करूंगी।”

मृदुल ने आज तक मम्मी से कोई बात नहीं छिपाई थी सिवाय उसके मेकअप की तरफ इतने झुकाव के। इसलिए मम्मी के इतने प्यार से पूछने पर मृदुल से रहा नहीं गया और उसने कहा, “कोशिश ही तो नहीं हो रही मम्मी मुझसे। मैं खुद से अब और झूठ नहीं बोल सकता। मुझे इंजीनियर नहीं मेकअप आर्टिस्ट बनना है। मेरे दिमाग में हर वक्त बस कौन-सा मेकअप कैसे करना है यही घूमता रहता है। मुझे इंजीनियरिंग के फॉर्मूले नहीं लिपस्टिक के शेड्स समझ आते हैं।”

मृदुल ने एक सांस में मम्मी को सब कुछ कह दिया। मम्मी कुछ देर खामोश रहीं। फिर उन्होंने कहा वो पापा से इस बारे में बात करेंगी। शाम को पापा आए तो मम्मी ने सारी बात उन्हें बताईं। पापा ये सुनकर बड़े गुस्से में आ गए। वो गुस्से में मृदुल के कमरे में गये और बोले, “तू समझता क्या है हमें? तेरी हर बात मानते आए हैं तो क्या ये भी मान लेंगे।?” उस वक्त पापा के सामने मृदुल किसी भीगी बिल्ली सा खड़ा था।

तभी पापा गुस्से में आगे बोले, “तुम्हें इंजीनियरिंग नहीं करनी थी तो बता देते, हम तुम्हारा एडमिशन किसी ब्यूटी कोर्स में करा देते!” ये सुनते ही मृदुल ने पापा की तरफ नज़रें उठा कर देखा। पापा मुस्कुरा रहे थे। मृदुल एकदम से उनके गले लग कर रोने लगा।

तभी पापा ने उसे खुद से दूर करते हुए कहा, “चल-चल अब ठीक है, पर मैंने तेरे कॉलेज एडमिशन में बहुत पैसा खर्च किया है, तो इंजीनियरिंग तो तुझे करनी पड़ेगी।” ये सुनकर मृदुल उदास हो गया। तभी पापा बोले, “मज़ाक कर रहा हूं, वो जाने दे। तूझे मेकअप कितना पसंद है ये हम बहुत पहले से देखते और महसूस करते आ रहे हैं। अगर मुझे तेरे मेकअप कोर्स के लिए लोन भी लेना पड़ा तो मैं सोचूंगा नहीं।” और मृदुल को गले लगा लिया।

मृदुल इससे भावुक हो गया। उसने कहा, “थैंक्यू मम्मी-पापा। आप बिना ये सोचे की लोग क्या सोचेंगे, मेरे इस सपने को पूरा करने में मेरे साथ खड़े हैं। मैं बहुत लकी हूं। ऐसा सपोर्ट सबको नहीं मिलता।” 

“चल अब मेलो ड्रामा छोड़ और जल्दी से मेरा बढ़िया सा मेकअप कर। शर्मा अंकल के घर लेडीज़ संगीत में जाना है।” मम्मी हंसकर बोलीं। 

मृदुल ने भी हंसकर मेकअप ब्रश ऐसे उठाया जैसे वो अपने सपने को अपने हाथों में पकड़ रहा हो।