रात का सफर

नज़रिया

मैं बहुत देर तक किसी ऑटो या रिक्शा का इंतज़ार करती रही। रात बढ़ती जा रही थी। और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं घर कैसे जाऊं। मन में किसी से लिफ्ट लेने का ख्याल भी आया पर वहां से गुज़रने वाले लोग मुझे इतनी अजीब तरीके से देख रहे थे कि किसी को रोकने की हिम्मत ही नहीं हुई।

मुझे ऑफिस की एक ज़रूरी मीटिंग के लिए एक नई जगह जाना पड़ा। सुबह तो वहां मुझे मेरे बेटे ने छोड़ दिया, पर शाम को मीटिंग खत्म होतेहोते अंधेरा होने लगा। 

मैंने सोचा कि, चलो कैब मंगवा लेती हूं, पर ड्राइवर ने उस लोकेशन पर आने से इनकार कर दिया।

मैं बहुत देर तक किसी ऑटो या रिक्शा का इंतज़ार करती रही। रात बढ़ती जा रही थी। और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं घर कैसे जाऊं। मन में किसी से लिफ्ट लेने का ख्याल भी आया पर वहां से गुज़रने वाले लोग मुझे इतनी अजीब तरीके से देख रहे थे कि किसी को रोकने की हिम्मत ही नहीं हुई।

तभी एक कार मेरे सामने आकर रूकी। उस कार में कुछ जवान लड़के लड़कियां बैठे थे। कार एक लड़की चला रही थी। कार में चलते गाने और उनके हाथ में लगी कोल्डड्रिंक की बोतलें देखने से लग रहा था जैसे वो लोग सड़कों पर आवारागर्दी करते हुए घूम रहे हैं। 

उस कार में बैठी एक लड़की ने मुझसे कहा, “बताईए आंटी आपको कहां जाना है? हम छोड़ देंगे।”

मुझे उन लोगों से लिफ्ट लेना सही नहीं लगा। मुझे कभी भी ऐसे रात गये जवान लड़कीलड़कों का बाहर घूमना पसंद नहीं आता। पहले ये लोग आधी रात खुद ही पार्टियां करते हुए घूमते हैं फिर सुबह न्यूज पेपर में उन्हीं के साथ हादसे होने की खबरें छपती हैं।

“नोथैंक्यू!” मैंने साफ़ मना कर दिया।

“आंटी आपके लिए यहां अकेले खड़ा होना ठीक नहीं है।आपको जहां जाना है, हम छोड़ देंगे।“ इस बार कार चला रही लड़की ने कहा।

मैंने फिर से मना कर दिया। वो लोग थोड़ी देर रूके रहे। फिर चले गए।

कार के चले जाने से मैं वहां पूरी तरह अकेली हो गई थी। मुझे वहां खड़े हुए, और भी वक्त निकल गया। मुझे कहीं ना कहीं कार वाली लड़की से मना करने का अफसोस होने लगा।पर फिर मैंने सोचा अच्छा ही है, जो उनके साथ नहीं गयी। पता नहीं कहां से कहां ले जाते मुझे। और क्या पता उन लोगों ने शराब पी रखी हो। 

मैं यह सब सोच ही रही थी कि, मेरे पास एक बाइकआकर रूक गई। बाइक पर दो आदमी थे, जो मुझे गंदी तरह घूर रहे थे।

चलो मैडम हम छोड़ दें।उनमें से एक ने बड़ी बत्तमीज़ी से कहा और उतर कर मेरे पास आ गया।

हांहां मैडम चलो ना। आपका भी काम हो जाएगा और हमारा भी…” इस बार बाइक पर बैठे हुए लड़के ने कहा और मेरे पास वाले आदमी ने मेरा हाथ पकड़ने की कोशिश की, तभी वहां वही कार आकर रुकी। कार पूरी खाली थी, केवल कार चलाने वाली लड़की ही उसमें बैठी थी।

अरे आंटी आप यहां खड़ी हैआइए घर पर सब आपका इंतज़ार कर रहे हैं।लड़की ने जैसे ही मुझसे ये कहा। वो दोनों आदमी चुपचाप बाइक पर बैठकर वहां से निकल गये।

“मैंने कहा था ये जगह आपके लिए सेफ नहीं हैआप मुझपर भरोसा कर सकती हैं। चलिए मैं आपको आपके घर तक छोड़ दूंगी।”

मुझे लड़की की बात में विश्वास दिखा, मैंने उसकी बात मान ली और कार में बैठ गई।

“जी आज मेरा जन्मदिन है वो सब मेरे दोस्त थे। पार्टी करने घर आए थे। और रात को ये इलाका बिल्कुल सेफ नहीं है, इसलिए मैं उनके घर तक छोड़ कर आई हूं”। उसने मुस्कुराते हुए बताया।

“अच्छा! हैप्पी बर्थडे।” मैंने कहा।

“थैक्यू। पर आंटी आप इतनी दूर यहां कैसे? उसके पूछने पर मैंने बताया कि मैं यहां ऑफिस के काम से आई थी।

धीरेधीरे हमारी और बातें हुई, उसने बताया वो यहां से थोड़ी दूर ही रहती है। और एस. आई के एक्जाम की तैयारी कर रही है।

उसने मुझे मेरे घर तक छोड़ दिया। मैंने उस लड़की को मेरी मदद करने के लिए थैंक्यू कहा। साथ ही उस लड़की ने मेरी सोच भी बदल दी।

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