“आज मुझे स्कूल छोड़े हुए दस साल हो गए। ये वक्त कभी वापस नहीं आ सकता। सुहाना कितनी सुंदर दिख रही है, इस तस्वीर में। अब तो वो बिल्कुल बदल चुकी है। शहर जाकर सब बदल जाते हैं। मेरा मन नहीं होता उससे बात करने का।” स्कूल की पुरानी तस्वीर पर उंगलियां फेरते हुए मीरा ने अपने आप से कहा।
आज मीरा को स्कूल छोड़े 10 साल हो चुके हैं। इन दस सालों में उसने सबसे ज़्यादा अपनी दोस्त सुहाना को याद किया है। लेकिन, शहर जाने के बाद सुहाना के पहनावे, रहन–सहन और बात करने के तरीके में आया बदलाव, मीरा को पसंद नहीं आया। धीरे–धीरे मीरा को उससे बात करने में घुटन होने लगी। उसे लगने लगा सुहाना वो उसे ये दिखाने की कोशिश करती है कि वह कितना आगे निकल गई है, कितनी मॉडर्न बन गई है और मीरा उसी पुराने छोटे शहर में रह गई।
सुहाना ने कई बार मीरा से बात करने की कोशिश की, लेकिन मीरा ने ज़्यादतर उसके कॉल्स नज़रअंदाज़ कर दिए। ऐसा नहीं था कि मीरा को सुहाना से कोई मतलब नहीं था, वो अक्सर उसके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उसकी एक्टिविटी देखती रहती थी। लेकिन, उसके सभी पोस्ट में मीरा अपनी पुरानी सुहाना को ढूंढती थी।
सुहाना ने मीरा को कई मेसेज भेजें, कॉल किए, लेकिन मीरा ने ‘मुझे तुमसे बात नहीं करनी’ लिखकर सुहाना को हर जगह से ब्लॉक कर दिया। धीरे–धीरे सुहाना ने मीरा से बात करने की कोशिश छोड़ दी। आज पूरे 5 साल हो गए, जब दोनों की आखिरी बार बात हुई थी।
मीरा बिस्तर पर पड़ी थी और खिड़की के बाहर अपने पुराने बचपन के दिनों को ढूंढने की कोशिश कर रही थी। तभी उसे एक अनजाने नंबर से कॉल आया। मीरा ने जब फोन उठाया तो सामने से किसी लड़की की आवाज़ आई। मीरा को एक सेकेंड से भी कम समय लगा ये समझने में कि फोन की दूसरी तरफ सुहाना है। उसका दिमाग कह रहा था ‘फोन काट दो’, मगर दिल कह रहा था ‘आज सारा दिन फोन मत काटना।’
सुहाना ने कहा ‘फोन मत काटना, मैं तुम्हारे घर के नीचे खड़ी हूं, प्लीज आ जाओ।’
मीरा ने चौंकते हुए कहा ‘मज़ाक मत कर।’
सुहाना ने कहा ‘फोन काट और बालकनी में आकर देख ले मेरा मज़ाक।’
मीरा हवा की रफ्तार से भागती हुई बालकनी में पहुंची। नीचे सुहाना खड़ी थी, वो भी सालों पुरानी स्कूल ड्रेस में। दोनों एक–दूसरे को कुछ देर तक देखते रहें। सुहाना ने मीरा को नीचे आने का इशारा किया। वो तुरंत नीचे भागी और नीचे जाकर सुहाना के गले लग गई। दोनों काफी देर तक एक–दूसरे को पकड़कर रोते रहें। दोनों में हिम्मत नहीं थी, आंखें मिलाने की। सुहाना ने मीरा के कानों में फुसफुसाया ‘मैं अभी भी तेरी वही पुरानी सुहाना हूं, क्या तू मेरी पुरानी मीरा बनेगी?’ सुहाना की बात सुनकर, मीरा ने उसे और कसकर गले लगा लिया और कहा “मैं भी तेरी वही पुरानी मीरा हूं।”