चोट लगना

चोटिल हूं पर टूटा नहीं

उसने सोचा, यह उसकी विशेषता थी कि जब स्थिति हाथ से निकलती दिखे, तो भाग जाना।

उसने बालों की उस लट को हटाया, जो उसकी काली सूजी हुई नाज़ुक आंख में चुभ रही थी।

उन्होंने 3 साल पहले भागकर शादी की थी। दोनों एक-दूसरे से बेहद प्यार करते थे। लेकिन अब महिला साथी को महसूस होने लगा था कि कुछ गड़बड़ है। ऐसे में उसका पार्टनर अब हमेशा तनावग्रस्त, थका हुआ और दुखी रहता था।

वह रोज़ सुबह दर्द और धुंधली यादों के साथ उठती थी। वह यह सोचकर रोती थी कि वह उसे मारता क्यों है। वह हमेशा खुद को एक मज़बूत महिला के रूप में देखती थी, लेकिन न जाने अब वह महिला कहां खो गई थी। अब हद पार हो गई थी। उसे यहां से निकल जाना था। उसने फोन उठाया और सेंड का बटन दबा दिया।

मैसेज आते ही मेज़ पर रखे उसके पार्टनर का फोन वाइबरेट हुआ। उसमें लिखा था, ‘मैं तुम्हें छोड़कर जा रही हूं।’ मेज़ से उठते हुए उसने फोन को मज़बूती से पकड़ा और ऑफिस से निकल गया।

उसने सोचा, यह उसकी विशेषता (Speciality) थी। जब स्थिति हाथ से निकलती दिखे तो भाग जाना। यह छठी बार था जब वह ऐसा कर रही थी। इससे पहले दो बार उसने उसे उसकी मां के यहां पाया और तीन बार दोस्त के यहां।

उसने याद किया कि वह पहले कैसी हुआ करती थी… ज़िंदादिल और जीवन से भरी हुई। लेकिन अब वह दुखी थी। एक गृहिणी होने से नाखुश थी। इस बात से नाखुश थी कि बच्चा न हो सका; शायद मौसम से भी नाखुश। लेकिन सबसे बुरी बात यह थी कि वह उससे नाराज़ थी। दिनचर्या सरल थी, वह खुद को चोट पहुंचाती और वह उसे रोकने के लिए मिन्नत करता, रोता और अपनी सारी गलतियों को स्वीकार कर लेता, मानो सब उसी की गलती हो। उसे पता नहीं था कि आगे क्या करना है।

दो साल पहले, उसे उसके एक मनोविकार का पता चला था। डॉक्टर भी स्तब्ध थे। उसके माता-पिता भी चाहते थे कि वह उसे छोड़ दे। उसके बाद चीज़ें और ज्यादा खराब हो गईं। वह नहीं जानता था कि इन्हें ठीक कैसे करें।

वह बस इतना जानता था कि वह उससे बेहद प्यार करता है और उसे कभी जाने नहीं देगा।

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