वेक अप कॉल

एक डांट ने मिटाया लापरवाही का दाग

यह पहली बार नहीं था जब जोगी को उसके वरिष्ठ अधिकारियों ने फटकार लगाई थी। काम के प्रति उसके लापरवाह रवैये ने उसे कई बार मुसीबत में डाला था।

राजेश एक उच्च सम्मानित पत्रकार थे, जिन्हें अपने काम का 20 से अधिक वर्षों का अनुभव था। हालांकि उनका स्वभाव गंभीर था, लेकिन उन्हें कभी भी गुस्सा करते हुए नहीं देखा गया था। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिनसे आप आसानी से मदद या सलाह के लिए संपर्क कर सकते थे।

इसलिए, जब ऑफिस के लोगों ने उन्हें अपने अधीन काम करने वाले एक युवा रिपोर्टर जोगी को डांटते देखा, तो सभी आश्चर्यचकित रह गए। “ये तुम किस प्रकार का कार्य कर रहे हो? तुम्हारी रिपोर्ट बहुत ही खराब है। इसमें बहुत सारी गलतियां हैं। इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता!” राजेश उस पर चिल्लाते हुए बोले।

“मुझे माफ करिए, राजेश,” डरते हुए जोगी बुदबुदाया।

राजेश ने वहां से जाने से पहले जोगी को स्पष्ट रूप से कहा, “यदि तुम यहां काम करना चाहते हो, तो तुम्हें वास्तव में बहुत मेहनत करने की ज़रुरत है।” इस वक्त सब लोगों की नज़र जोगी पर ही थी, जो अपने आंसुओं को रोकने की बहुत कोशिश कर रहा था।

यह पहली बार नहीं था जब जोगी को उसके वरिष्ठ अधिकारियों ने फटकार लगाई थी। काम के प्रति उसके लापरवाह (Careless) रवैये ने उसे कई बार मुसीबत में डाला था। लेकिन, हर बार किसी न किसी तरह वह हमेशा चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता था। लेकिन आज का दिन अलग था।

पूरी शाम जोगी ने अपने भीतर एक तरह की बेचैनी महसूस की। उसे डर था कि शायद संगठन में उसका वक्त पूरा होने लगा है। वह अपनी गलतियों और अपने भविष्य की अनिश्चितताओं के बारे में सोचना बंद नहीं कर पा रहा था। वह चाहता था कि काश! उसका मार्गदर्शन करने के लिए उसके पास एक गुरु हो।

अपने ख्यालों में खोया हुआ जैसे ही वह अपने बिस्तर पर लेटने गया, उसका फोन बजने लगा।

दूसरी तरफ फोन पर राजेश थे।

राजेश ने फोन पर कहा कि, “जोगी, मैंने जो आज कहा तुम उसे दिल पर मत लेना। मुझे तुम्हारी क्षमताओं पर पूरा भरोसा है। लेकिन, तुम्हें वास्तव में अपने काम करने के तरीके में सुधार करने की बहुत आवश्यकता है। यदि तुम्हें काम को लेकर कोई दुविधा हो या कुछ समझना हो, तो तुम मेरे पास आ सकते हो। सिर्फ काम करने के लिए कुर्सी पर मत बैठे रहो, कुछ नया सीखने की कोशिश करो! मैं हर कदम पर तुम्हारी मदद करूंगा।”

जोगी ने उसे जवाब देते हुए कहा, “ठीक है सर, और फोन करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपकी यह बात मेरे लिए बहुत मायने रखती है।”

अगली सुबह जैसे ही वह कार्यालय पहुंचा, राजेश ने मुस्कुराते हुए और उसकी पीठ पर थपथपाकर उसका स्वागत किया।

दोनों ने एक-दूसरे को सुप्रभात कहा और दोनों अपने-अपने काम पर चले गए और अब पहली बार जोगी अपनी नौकरी को हल्के में नहीं ले रहा था। उसे आखिरकार अपना वेक-अप कॉल मिल गया था।

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