अदिति का फोन लगातार बज रहा था। फोन पर फिर से उसके पिता थे। लेकिन वह उनसे बात नहीं करना चाहती थी। उसके माता-पिता का तलाक हो रहा था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे इसलिए वह घर से भाग गई थी।
निराशा में डूबी हुई वह बहुत देर तक सड़कों पर भटकती रही। उसका पीला पड़ चुका चेहरा और आंसुओं से भरी आंखें एक दुखद कहानी बयां कर रही थी। वे ऐसा कैसे कर सकते थे? वह भी शादी के इतने साल तक एक साथ रहने के बाद! उनके प्यार का क्या? उसके दिमाग में लाखों सवाल कौंध रहे थे लेकिन एक बात तो साफ थी कि सच्चे प्यार (True love) जैसी कोई चीज़ नहीं होती।
अदिति ने जल्दी से अपनी मां को एक संदेश भेजा और अपनी मौसी रश्मि के घर जाने वाली बस पकड़ी। रश्मि चुपचाप सोफे पर बैठी हुई चाय की चुस्की ले रही थी कि तभी अदिति अंदर आई। अपनी आंखों में आंसू भरे हुए उसने अपनी मौसी से कहा, “वे ऐसे कैसे अलग हो सकते हैं? क्या उन्होंने मेरे बारे में एक बार भी नहीं सोचा?” रश्मि ने उसे गले लगाते हुए उसका जवाब देते हुए कहा कि, “काश! मैं तुम्हें इस बात का कोई उत्तर दे पाती। कभी-कभी जीवन में चीज़ें ठीक नहीं होती हैं।” फिर वह उससे बोली कि, “तुम कुछ दिनों के लिए यही क्यों नहीं रह जाती? तुम मेरी फूलों की दुकान चलाने में भी मेरी मदद भी कर सकती हो।”
इस समय इतनी व्याकुलता में यही सही होगा, यही सोचकर अदिति अपनी मौसी की बात तुरंत मान गई।
हालांकि 22 वर्षीय अदिति के लिए यह परिवर्तन आसान नहीं था। वह अभी भी अपने माता-पिता के तलाक के कारण बहुत व्यथित थी। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए फूलों ने उस पर अपना जादू बिखेरा और उसकी मुस्कान वापस ला दी।
वह अपने ग्राहकों के साथ फूलों की खुशियों का आदान-प्रदान करने के अलावा ज्यादा बातचीत नहीं करती थी। उसकी मौसी के पास कुछ नियमित ग्राहक थे, जैसे एक व्यवसायी जो लगभग हर दिन उनसे एक महंगा गुलदस्ता खरीदता था; एक युवती जो हर दूसरे दिन गुलाब का एक गुच्छा खरीदती थी; एक गृहिणी जो नर्सरी के बारे में उसकी मौसी के साथ लंबी चर्चा करती थी। उन सब ग्राहकों में अजीबो-गरीब कपड़े पहने एक बूढ़ा आदमी था, जो हर सुबह केवल एक सफेद गुलाब खरीदता था।
एक दिन जब अदिति कैश काउंटर पर थी, तो बूढ़े ने एक सफेद गुलाब खरीदा। जब वह उसे बचे हुए पैसे दे रही थी तो उसने उत्सुकता से उससे पूछा, “सर, अगर आपको कोई आपत्ति न हो तो क्या मैं आपसे पूछ सकती हूं कि आप हर दिन एक सफेद गुलाब क्यों खरीदते हैं? हमारी दुकान में और भी तो बहुत खूबसूरत फूल हैं।”
बूढ़ा आदमी मुस्कुराया और उसने कहा, “बेशक!, आपके पास सभी फूल सुंदर हैं। लेकिन सफेद गुलाब मेरी पत्नी का पसंदीदा है। दुर्घटना के कारण कोमा में जाने से पहले वह इन फूलों को हमारे बगीचे में उगाती थी।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने ऐसा ही एक सफेद गुलाब अपनी पहली डेट पर खरीदा था। सही बात तो यह है कि डॉक्टर बहुत आशान्वित नहीं हैं, लेकिन मुझे विश्वास है कि वह एक दिन ज़रूर जागेगी और जब वह कोमा से उठे तो मैं चाहता हूं कि वह अपने प्यारे फूलों से घिरी हो।”
अदिति यह सब सुनकर अवाक रह गई। जैसे ही उसने बूढ़े आदमी के हाथ में खूबसूरत सफेद गुलाब को देखा तो उसने सोचा कि सच्चा प्यार असली में होता है।