दो साल पहले अभिमन्यु को उसकी स्कूल क्रश ने उसके रंग की वजह से रिजेक्ट कर दिया था। लड़की का कहना था कि उसे एक स्मार्ट और हैंडसम बायफ्रेंड चाहिए, पर अभिमन्यु न तो स्मार्ट है, और न ही हैंडसम। उस लड़की की कही ये बातें अभिमन्यु को इतनी चुभ गईं कि उसने गोरे होने का फैसला किया। बहुत सी फेयरनेस क्रीम इस्तेमाल की, और कुछ असर न दिखने पर बुरी तरह झुंझला गया।
कुछ समय बाद अभिमन्यु के सिर से गोरा दिखने का भूत तो उतर गया,लेकिन अब उसे किसी और के गोरे रंग से नफरत होने लगी। रंग की ये नफरत इतनी बढ़ी कि उसने अपने कई दोस्तों से तो बस इसलिए दोस्ती तोड़ दी, क्योंकि उनका रंग अभिमन्यु की तुलना में ज़्यादा साफ था। अभिमन्यु को लगता था कि हर गोरा इंसान मतलबी और घमंडी होता है।
“गोरा रंग एक धोखा है!” ये लाइन तो अभिमन्यु की ज़ुबान पर हमेशा रहती थी।
एक दिन अभिमन्यु के फोन पर एक अजनबी लड़की की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई। अभिमन्यु ने जिसे एक्सेप्ट कर लिया। उस लड़की का नाम कुहू था। कुहू की प्रोफाइल पर स्कूल, कालेज और एड्रेस, सब कुछ तो था, पर उसकी तस्वीर कहीं भी नहीं थी।
कुहू का सामने से मैसेज आया, तो धीरे-धीरे उनकी बातें शुरू हुई। अभिमन्यु ने कुहू से पूछा कि उसने अपनी कोई फोटो क्यों नहीं डाली, तो कुहू ने कहा, “यार! मुझे डर लगता है कि कहीं लोग मुझे देखकर, बातें न बनाएं।”
कुहू की बात सुनकर अभिमन्यु ने सोचा कि कुहू भी शायद उसकी ही तरह गोरे रंग की सताई हुई है। इसके बाद दोनों की और भी बातें हुईं। धीरे-धीरे फोन पर भी बातें होने लगीं। कुहू रोज़ दिनभर की बातें अभिमन्यु को बताती, और अभिमन्यु भी कुहू से सब कह देता।
“देखो न! हमें बातें करते कितना वक्त गुज़र गया। अब मैं तुम्हें देखना चाहता हूं। अपनी कोई तस्वीर भेजो या वीडियोकॉल करें?” अभिमन्यु, कुहू को देखने की ज़िद करने लगा, तो कुहू ने कहा, “तुम मेरे इतने अच्छे दोस्त बन गए हो, इसलिए मैं नहीं चाहती कि तुम मुझे देखकर, ये दोस्ती खत्म कर दो।”
अभिमन्यु के बहुत समझाने पर भी जब कुहू नहीं मानी, तो अभिमन्यु ने कहा “ठीक है! पर अगले हफ्ते मैं तुमसे मिलने आ रहा हूं। और तुम्हें मिलना होगा, क्योंकि मैं तुमसे मिलकर, तुम्हें कुछ बताना चाहता हूं।”
अभिमन्यु दिल ही दिल में कुहू को पसंद करने लगा था, और कुहू की बातों से भी ये पता चलता था कि वो भी अभिमन्यु को पसंद करती है,इसलिए अभिमन्यु,कुहू से मिलकर उसे प्रोपोज करना चाहता था।
अगले हफ्ते वो कुहू के शहर पहुंच गया और एक कैफे में बैठ कर उसका इंतज़ार करने लगा। कुछ देर इंतजार के बाद, एक लड़की उसके सामने आकर बैठ गई, और बोली, हाय! अभिमन्यु!”
अभिमन्यु उसे देखकर दंग रह गया, और गुस्से से लाल-पीला हो गया। अभिमन्यु ने हमेशा से कुहू को एक सांवली लड़की के रूप में सोचा था, पर ये लड़की तो बिल्कुल गोरी थी।
कुहू से बिना बोले ही अभिमन्यु कैफे के बाहर निकल आया और वापस जाने के लिए ऑटो ढूंढने लगा। कुहू भी उसके पीछे आ गई और बोली, “अभिमन्यु! तुमने कहा था कि तुम्हें गोरे रंग से नफरत है, ऐसे में मैं कैसे तुम्हें बता देती कि मैं ऐसी दिखती हूं? और मुझे देखने के बाद तो तुम मुझसे कभी बात ही नहीं करते।”
“ओह! तो इसलिए मेरे साथ झूठ बोलकर दोस्ती का नाटक करती रही? आज मुझे फिर यकीन हो गया कि गोरा रंग एक धोखा है।” गुस्से से तमतमाते हुए जैसे ही अभिमन्यु जाने लगा, तभी कुहू ने उसका हाथ पकड़ लियाऔर कहा, “मैंने तुमसे कभी झूठ नहीं बोला। हां बस सच नहीं कहा। मैं कैसी दिखती होंगी, ये तो तुमने खुद ही सोच लिया था न? और तुम्हारी ये गलतफहमी मैंने इसलिए दूर नहीं कि क्योंकि मैं तुम्हें पसंद….!”
“बंद करो ये बकवास! देखो मुझे! मेरे रंग को देखो! तुम जैसी लड़की,मुझ जैसे काले और समान्य से दिखने वाले लड़के को पसंद कर सकती है भला?” वो कुहू की बात काटते हुए बोला।
“बिल्कुल कर सकती है! क्योंकि मुझे तुम्हारा रंग भीऔरतुम्हारा दिल भी पसंद है। मेरे लिए तुम काले या गोरे नहीं, एक अच्छे इंसान हो, जिसने बाकी लड़कों की तरह मुझसे बदतमीजी से बात नहीं की।” कुहू की ये बात सुनकर अभिमन्यु का गुस्सा खत्म हो गया और उसने कुहू से पूछा, “सच में?” और कुहू ने कहा, “हां! अभिमन्यु, देखो! कोई भी रंग बुरा नहीं होता, अच्छी या बुरी इंसान की नीयत होती है। और हम चाहे जैसे भी रंग के हो, इससे फर्क नहीं पड़ता।हमें तो बस हमारे लिए जो सही है उस इंसान का इंतज़ार करना होता है।”
कुहू की इन बातों ने अभिमन्यु पर ऐसा असर डाला कि उसने अपनी जेब से एक अंगूठी निकाली और घुटनों के बल बैठ कर बोला, “मेरा सही इंसान मुझे मिल गया है कुहू! विल यू मैरी मी?”
और कुहू ने अभिमन्यु को उठा कर,गले लगा लिया।